SC का धमाकेदार फैसला: 15 ‘मृत’ घोषित वोटरों को वापस चाहिए नाम, क्या बदलेगा अब?
अरे भई, सुप्रीम कोर्ट ने तो आज एक बेहद दिलचस्प मोड़ लेते हुए चुनाव आयोग को झटका दिया है! कोर्ट ने साफ कहा है कि जिन 15 लोगों को ‘मरा हुआ’ बताकर वोटर लिस्ट से हटाया गया था, उन्हें तुरंत वापस जोड़ा जाए। अब सवाल यह है कि आखिर यह पूरा मामला है क्या? दरअसल, कोर्ट Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया की जांच कर रहा था, और यहां से पूरी कहानी शुरू होती है। जस्टिसों ने साफ-साफ कह दिया – अगर पता चला कि ये लोग जिंदा हैं और नाम गलती से हटे हैं, तो चुनाव आयोग को बड़ी मुश्किल में पड़ना पड़ सकता है। सच कहूं तो, यह फैसला आम आदमी के वोटिंग राइट्स के लिए एक बड़ी जीत है।
पूरा किस्सा: कैसे फंसे जिंदा लोग ‘मृत’ की लिस्ट में?
कहानी तब शुरू हुई जब चुनाव आयोग ने अपनी SIR प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट से लाखों नाम काट डाले। हैरानी की बात यह कि इनमें से कई तो पूरी तरह जिंदा थे! मानो सरकारी फाइलों में जिंदगी और मौत का फर्क ही मिट गया हो। और तो और, जब Kapil Sibal और Prashant Bhushan जैसे दिग्गज वकीलों ने मामला कोर्ट में उठाया, तब तो पूरा पेंच ही खुल गया। उनका सवाल सीधा था – बिना पूछताछ किए लोगों को ‘मृत’ घोषित करना क्या लोकतंत्र की हत्या करने जैसा नहीं है?
कोर्ट का गजब का आदेश: ‘जिंदा हैं तो वापस लाओ!’
सुनवाई के दौरान तो जज साहबों ने जमकर तीर चलाए! चुनाव आयोग को 15 खास मामलों की जांच करने को कहा गया। और यहां सबसे मजेदार बात – कोर्ट ने साफ कह दिया कि अगर ये लोग जिंदा पाए गए (जो कि हैं ही), तो उनके नाम तुरंत वापस डालने होंगे। एक जज साहब तो बोले, “यार, किसी को मरा बताने से पहले कम से कम पूछ तो लो न!” सच में, यह टिप्पणी पूरे सिस्टम पर करारा तमाचा थी।
किसने क्या कहा? राजनीति गर्माई
Kapil Sibal ने तो सीधे संविधान की दुहाई दे डाली – “भई, वोट डालना हमारा मौलिक अधिकार है। ये नाम हटाने का खेल क्या कोई मजाक है?” वहीं Prashant Bhushan ने चुनाव आयोग को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा, “थोड़ी तो शर्म करो भाई, इतना भी नहीं देखते कि आदमी जिंदा है या मरा?” हालांकि, चुनाव आयोग की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वे जल्द ही कोर्ट के आदेश पर Action Plan लेकर आएंगे।
आगे क्या? 2024 चुनाव पर असर?
अब चुनाव आयोग के सामने बड़ी चुनौती है – 15 मामलों की तुरंत जांच करो, और गलती निकले तो नाम वापस डालो। एक्सपर्ट्स की मानें तो यह फैसला आने वाले दिनों में वोटर लिस्ट अपडेट की पूरी प्रक्रिया को ही बदल सकता है। और तो और, 2024 के Lok Sabha elections से पहले यह मामला वोटर लिस्ट की सफाई को लेकर बड़ी बहस छेड़ सकता है। सच पूछो तो, यह फैसला न सिर्फ सिस्टम में सुधार की दिशा में कदम है, बल्कि यह हम सभी को याद दिलाता है कि हमारा वोट कितना कीमती है। अब बस यह देखना बाकी है कि चुनाव आयोग इस फैसले को कितनी गंभीरता से लेता है। वैसे मेरा तो यही कहना है – जिंदा आदमी को मरा बताने से अच्छा है कि मरे हुए को जिंदा बता दो, है न?
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com