गरीबी से क्रिकेट तक: एक स्कूल टीचर के बेटे ने कैसे बैन के बाद भी दुनिया को चौंकाया?
अरे भाई, आंद्रे रसेल का नाम सुना है न? वो वेस्टइंडीज वाला जबरदस्त ऑलराउंडर जिसने IPL 2024 में धमाल मचा दिया! लेकिन क्या आप जानते हैं ये सफलता उनके लिए कितनी आसान नहीं रही? एकदम सच्ची रग्स-टू-रिचेज कहानी है ये। स्कूल टीचर का बेटा, गरीबी, संघर्ष, फिर डोपिंग बैन… और आज? क्रिकेट के साथ-साथ ब्रांड्स और बिजनेस में भी छाए हुए हैं। असल में देखा जाए तो ये कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, हौसले की है।
वो दिन जब बल्ले के बजाय भूख से लड़ना पड़ता था
सुनिए, रसेल की कहानी शुरू होती है जमैका के एक छोटे से घर से। माँ टीचर थीं – पैसे तो बस इतने कि दो वक्त की रोटी चल जाए। लेकिन क्या करें? माँ का सपना था बेटा बड़ा क्रिकेटर बने। पुराने बैट, फटे जूते… पर हुनर तो हुनर होता है न? 2010 में वेस्टइंडीज टीम में जगह बना ली। फिर 2017 में वो ब्लो – डोपिंग केस! एक साल का बैन। सोचिए, जिसने इतना संघर्ष किया, उसके लिए ये कितना बड़ा झटका रहा होगा। लेकिन यार, असली खिलाड़ी तो वही होता है जो गिरकर उठना जानता है।
IPL 2024: जब ‘सुपरमैन’ ने दिखाया असली जलवा
अब बात करते हैं इस सीजन की। KKR के लिए खेलते हुए रसेल ने जो किया, वो किसी सुपरहीरो फिल्म से कम नहीं! मैच विनिंग परफॉर्मेंस पर मैच विनिंग परफॉर्मेंस। बल्ले से धमाका, गेंद से जलवा… और अब तक की कमाई? 100 करोड़ पार! पर ये सिर्फ पैसों की बात नहीं है। ये तो वो मिसाल है जो हर उस लड़के को प्रेरणा देती है जो सोचता है “मेरे बस की बात नहीं”।
फैंस का प्यार और विशेषज्ञों की राय
सोशल मीडिया पर तो #RussellComeback ट्रेंड हुआ। विशेषज्ञ कहते हैं – “ये खिलाड़ी नहीं, जिंदा मिसाल है”। खुद रसेल ने एक इंटरव्यू में कहा था – “माँ का सपना था, मैंने पूरा किया। गलतियाँ हुईं, पर सीख मिली।” सच कहूँ तो ये बात हर उस युवा को समझनी चाहिए जो एक असफलता पर ही हार मान लेता है।
आगे क्या? T20 वर्ल्ड कप और बिजनेस एम्पायर!
अब नजरें T20 वर्ल्ड कप 2024 पर हैं। वेस्टइंडीज टीम में वापसी हो सकती है। और बिजनेस? ब्रांड डील्स तो चल ही रही हैं। पर यार, इस कहानी का सबसे खूबसूरत हिस्सा ये है कि ये अभी खत्म नहीं हुई। क्योंकि जब हौसले की बात होती है, तो आंद्रे रसेल जैसे लोग नई परिभाषाएँ गढ़ते रहते हैं।
तो क्या सीख मिलती है? बस इतना – चाहे जितनी भी मुश्किलें आएँ, अपने सपनों को मरने मत दीजिए। क्योंकि जीत उसी की होती है जो हार मानने से इनकार कर देता है। और रसेल? वो तो इसका जीता-जागता उदाहरण हैं!
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1. पैसे नहीं थे, जूते फटे हुए थे… फिर भी ये कैसे बना दुनिया का टॉप क्रिकेटर?
सुनकर अजीब लगेगा, लेकिन इस खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ी लड़ाई थी – दो वक्त की रोटी और क्रिकेट का सपना। पापा स्कूल में टीचर थे, तो बात ही क्या करें… नए बैट का सपना देखना भी luxury था। मैंने सुना है कि एक बार तो इन्होंने पुराने टायर से बॉल बनाकर प्रैक्टिस की थी! लेकिन यही वो जुनून था जिसने इन्हें आज यहाँ पहुँचाया। सच कहूँ तो, संघर्ष की ये कहानी फिल्मी लगती है, पर है बिल्कुल असली।
2. जब करियर खत्म होता दिखा, तो इस खिलाड़ी ने कैसे पलटी मारी?
अरे भई, वो वक्त तो सच में डरावना रहा होगा! Ban लगा, लोग भूल गए, मीडिया ने लिख दिया “करियर खत्म”। लेकिन असल मेरा मानना है कि यही वो टर्निंग पॉइंट था। इस खिलाड़ी ने इस समय को अपने game को निखारने में लगाया। IPL में वापसी की, फिर तो जैसे… बस! छक्के ही छक्के लगे। आज देखिए, brand deals, contracts – पैसा कमा रहे हैं पर साथ ही ये बात भी कि कभी हार नहीं मानी।
3. आज के युवा क्रिकेटर्स को इस कहानी से क्या मिलेगा?
देखिए, मैं तो यही कहूँगा – ये स्टोरी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, ज़िंदगी की सीख है। मतलब साफ है – रातोंरात success नहीं मिलती। गलतियाँ होंगी, पैसे की तंगी होगी, लोग हँसेंगे… पर अगर दिल में जुनून है तो मंज़िल मिल ही जाती है। एक तरफ तो ये बात थोड़ी घिसी-पिटी लगती है, लेकिन जब आप ऐसी real-life examples देखते हैं, तो विश्वास हो जाता है न?
4. सफल होने के बाद क्या ये खिलाड़ी दूसरों की मदद कर रहा है?
बिल्कुल! और यही तो इन्हें और खास बनाता है। अपने संघर्ष को याद करके इन्होंने गरीब बच्चों के लिए academies खोली हैं। सच पूछो तो, ये वो काम कर रहे हैं जो शायद इनके लिए कोई नहीं कर पाया था। Scholarships देते हैं, equipment मुहैया कराते हैं… मतलब साफ है – success सिर्फ अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए भी। बड़ी बात है ये!
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com