severely burnt student aiims treatment cm mazhi statement 20250713172840788316

“95% झुलसी छात्रा की हालत गंभीर, AIIMS में मौत से जूझ रही – CM माझी का बड़ा बयान!”

95% झुलसी छात्रा की हालत गंभीर, AIIMS में मौत से जूझ रही – CM माझी का बड़ा बयान!

एक 17 साल की लड़की की जान आज ओडिशा में दांव पर लगी हुई है। सोचिए, शरीर का 95% हिस्सा जल चुका हो… ये सुनने में ही कितना डरावना लगता है न? वो इस वक्त AIIMS भुवनेश्वर में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है। असल में, ये केस सिर्फ एक मेडिकल इमरजेंसी नहीं है – पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है इसने। CM माझी ने तो तुरंत बयान जारी कर दिया, वादा किया बेहतर इलाज का। लेकिन सवाल ये है कि क्या सिर्फ बयानों से काम चलेगा? स्वास्थ्य सुविधाओं की ये हालत, सुरक्षा मानकों की ये लापरवाही… ये सब कब तक चलता रहेगा?

मामले की पृष्ठभूमि: क्या हुआ था असल में?

कहानी शुरू होती है ओडिशा के एक गाँव से। कुछ दिन पहले की बात है – अचानक लड़की के कपड़ों में आग लग गई! गैस लीक? शॉर्ट सर्किट? अभी तो पूरी जाँच बाकी है। पर आग ने इतनी तेजी से अपना शिकार बनाया कि देखते-देखते पूरा शरीर झुलस गया। स्थानीय अस्पताल वाले तो घबरा गए, तुरंत AIIMS भेज दिया। और हैरानी की बात ये कि ऐसे मामले तो अब नए नहीं रहे। पिछले कुछ सालों में कितनी ही बार बर्न के मरीजों को AIIMS भेजना पड़ा है। सिस्टम की ये फेल्योर कब तक?

अब क्या चल रहा है? जान बचाने की जंग

AIIMS भुवनेश्वर में डॉक्टर्स की पूरी टीम जुटी हुई है। बर्न यूनिट, प्लास्टिक सर्जरी, ICU – सब मिलकर कोशिश कर रहे हैं। पर हालत बेहद नाजुक है। वेंटिलेटर पर है मरीज, इन्फेक्शन का खतरा भी मंडरा रहा। CM ने तो हिदायत दे दी है – “कोई कसर न छोड़ो”। एक्सपर्ट्स की स्पेशल टीम भी बना दी गई है। लेकिन सच कहूँ तो, ये सब काफी नहीं है। ऐसे हादसों के बाद सिस्टम में सुधार कब होगा?

प्रतिक्रियाएं: राजनीति से लेकर आम जन तक

CM माझी का बयान: “पूरी मदद की जाएगी, जाँच होगी”। परिवार वालों की आँखों में आँसू: “हमें इंसाफ चाहिए”। विपक्ष ने मौका नहीं छोड़ा – “बर्न यूनिट्स की कमी पर कब ध्यान देंगे?”। सच तो ये है कि हर बार ऐसे हादसों के बाद यही होता है – बयानबाजी, वादे, फिर सब भूल जाते हैं। क्या इस बार कुछ अलग होगा?

आगे का रास्ता: सवाल ज्यादा, जवाब कम

अब देखना ये है कि सरकार:
– बर्न यूनिट्स बढ़ाएगी या नहीं?
– परिवार को मुआवजा मिलेगा या नहीं?
– सुरक्षा मानकों पर एक्शन होगा या नहीं?

ईमानदारी से कहूँ तो, सिर्फ इस एक केस को हल करने से कुछ नहीं होगा। जरूरत है पूरे सिस्टम को ठीक करने की। आग से बचाव के प्रोटोकॉल, बेहतर इमरजेंसी रिस्पॉन्स… ये सब तो बनाने ही होंगे।

ओडिशा का ये दुखद मामला एक बार फिर हमें झकझोर गया है। अब बस यही उम्मीद कि इस बार सिर्फ बयानबाजी न हो, कुछ ठोस कदम उठें। वरना… अफसोस, ऐसी खबरें आती रहेंगी।

यह भी पढ़ें:

ये हादसा सच में दिल दहला देने वाला है। फिर से वही सवाल – क्या हमारे स्कूलों में सुरक्षा के नाम पर सिर्फ कागजी दस्तावेज़ ही हैं? उस बेचारी छात्रा का हाल, जो 95% जलने के बाद AIIMS में जिंदगी की जंग लड़ रही है…सोचकर ही रूह कांप जाती है। CM माझी का बयान तो सुनिए – साफ पता चलता है कि मामला कितना गंभीर है।

हम सबकी दुआएं उस बहादुर लड़की के साथ हैं। भगवान करे वो जल्द ठीक हो। पर सिर्फ प्रार्थना ही काफी नहीं। ज़रूरी है कि इस पूरे मामले की ईमानदारी से जांच हो – बिना किसी दबाव के। क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो…आप समझ ही रहे होंगे।

क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे हादसों के बाद हम सब कुछ दिनों तक हल्ला करके फिर भूल जाते हैं? शायद इस बार कुछ अलग करें?

झुलसी छात्रा का मामला: सवाल, जवाब और वो सब जो आप जानना चाहते हैं

1. छात्रा की हालत – अभी क्या चल रहा है?

AIIMS की रिपोर्ट तो यही कह रही है कि हालात अभी भी नाज़ुक हैं। सच कहूँ तो, डॉक्टर्स की टीम उसे बचाने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन मौत से यह लड़ाई बेहद मुश्किल है। जानलेवा केस है, और हर पल मायने रखता है।

2. CM माझी ने क्या कहा? सिर्फ़ बयानबाजी या कुछ ठोस?

देखिए, CM साहब ने तो हमेशा की तरह ‘गंभीर चिंता’ जताई है। पर असल सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ़ शब्दों तक सीमित रहेगा? हाँ, उन्होंने जांच का आदेश दिया है और परिवार को मदद का वादा किया है। लेकिन आप भी मानेंगे, ऐसे मामलों में वादों से ज़्यादा काम की ज़रूरत होती है।

3. वो भयानक पल – क्या, कहाँ और कैसे हुआ?

स्कूल में हुई ये घटना सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 95% बर्न्स… सोचिए तो, पूरा शरीर लगभग झुलस गया! अभी तक क्लियर नहीं कि ये accident था या फिर… (यहाँ सवालिया निशान छोड़ देना ही बेहतर है)। पुलिस जांच में जुटी है, पर सच सामने आने में वक्त लगेगा।

4. परिवार को मिल रही है मदद या सिर्फ़ दिखावा?

सरकारी बयान तो यही कहते हैं कि पूरी मदद की जा रही है – मेडिकल खर्च, इलाज, वगैरह। पर ग्राउंड रियलिटी क्या है? स्थानीय लोगों से बात करो तो पता चलता है कि असल मदद और दावों में फर्क होता है। ईमानदारी से कहूँ तो, ऐसे वक्त में परिवार को सिर्फ़ वादों से नहीं, ठोस सहायता की ज़रूरत है।

क्या आपको लगता है इस मामले में और क्या किया जाना चाहिए? कमेंट में बताएं…

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

More From Author

delhi kanwar route glass shards e rickshaw fir case 20250713165213570471

दिल्ली कांवड़ रूट पर कांच के टुकड़े वाला झटकेदार मामला: ई-रिक्शा कनेक्शन और FIR की पूरी कहानी

indian army drone strike ulfa myanmar border 20250713175437638768

“म्यांमार बॉर्डर पर ULFA-I के कैम्पों पर भारतीय सेना का ड्रोन हमला! किसने मचाई तबाही?”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Comments