शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार: कौन देगा मुखाग्नि? अग्नि संस्कार, दफन या समाधि – जानें पूरी जानकारी

शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार: मुखाग्नि का सवाल और एक जटिल पहेली

दोस्तों, झारखंड की राजनीति का एक युग समाप्त हो गया। गुरुजी शिबू सोरेन अब नहीं रहे – 81 साल की उम्र में दिल्ली में उनका निधन हो गया। लेकिन अब एक बड़ा सवाल सामने है… उनके अंतिम संस्कार को लेकर। अग्नि संस्कार? दफन? समाधि? ये कोई साधारण सवाल नहीं है, क्योंकि शिबू सोरेन सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता का प्रतीक थे। और यहीं पर बात पेचीदा हो जाती है।

कहानी की जड़ें: सरना परंपरा बनाम राजनीतिक वास्तविकता

असल में देखा जाए तो गुरुजी सरना धर्म मानते थे – जहां दफनाने की प्रथा है। लेकिन यहां दिक्कत ये है कि वो सिर्फ एक धार्मिक व्यक्ति नहीं थे। JMM के संस्थापक, झारखंड आंदोलन के नायक… और अब उनके परिवार से लेकर समर्थकों तक में ये बहस छिड़ गई है। एक तरफ तो उनकी आदिवासी पहचान है, दूसरी तरफ राजनीतिक विरासत। समझने वाली बात ये है कि ये सिर्फ एक संस्कार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक बयान बन गया है।

अपडेट्स: क्या कह रही है गप्पें, क्या कह रही है सच्चाई?

अभी तक आधिकारिक घोषणा तो नहीं हुई, लेकिन राजनीति की गलियारों से जो खबरें आ रही हैं… वो कह रही हैं कि संस्कार झारखंड में ही होगा। पर सवाल तरीके का है। कुछ लोग चिल्ला रहे हैं – “सरना रीति से दफन होना चाहिए!” तो कुछ का कहना है हिंदू परंपरा वाला अग्नि संस्कार सही रहेगा। और इन सबके बीच हेमंत सोरेन पर सबकी नजरें टिकी हैं। क्योंकि अंतिम फैसला तो उन्हीं को लेना है। मुश्किल चुनाव, है न?

रिएक्शन्स: राजनीति, भावनाएं और एक जटिल समीकरण

अर्जुन मुंडा जैसे नेताओं ने तो अपनी राय दे दी – “धार्मिक मान्यताओं का सम्मान हो।” लेकिन परिवार की तरफ से अभी चुप्पी। हालांकि सूत्र कुछ और ही कहानी बता रहे हैं। और सच कहूं तो झारखंड के आम लोगों की भावनाएं तो साफ हैं – वो चाहते हैं उनके गुरुजी को सरना रीति से ही विदा किया जाए। क्योंकि यही तो उनकी जिंदगी का सार था।

आगे का रास्ता: क्या होगा अगले 48 घंटों में?

अब सबकी नजरें इस ओर हैं कि आगे क्या होगा। परिवार के फैसले से लेकर राजनीतिक प्रभाव तक – सब कुछ इस एक निर्णय पर टिका है। और ये कोई छोटा मामला नहीं है दोस्तों। शिबू सोरेन के जाने के बाद झारखंड की राजनीति का नक्शा ही बदल सकता है। साथ ही, ये मामला आदिवासी पहचान पर एक बड़ी बहस छेड़ देगा। एक बात तो तय है – पूरा देश अब रांची की तरफ देख रहा है। क्या होगा अगला कदम? वक्त ही बताएगा।

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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