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“क्या भारत को बांग्लादेश के चटगांव पर करना चाहिए कब्जा? पूर्वोत्तर की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम, एक्सपर्ट ने दी चेतावनी!”

चटगांव पर कब्ज़ा? भारत के लिए सही कदम या बड़ी मुसीबत? एक्सपर्ट्स की राय जानकर चौंक जाएंगे!

अरे भाई, क्या आपने सुना? हाल के दिनों में भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव का माहौल बन रहा है। और अब तो कुछ एक्सपर्ट्स ने बड़ी दिलचस्प बात कही है – क्या भारत को बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर कब्ज़ा कर लेना चाहिए? सुनने में थोड़ा अजीब लगता है ना? लेकिन असल में यह सुझाव बिना वजह नहीं आया। दरअसल, बांग्लादेश की यूनुस सरकार चीन के साथ मिलकर जो खेल खेल रही है, वह हमारे पूर्वोत्तर राज्यों के लिए सीधा खतरा बन सकता है। यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं, बल्कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है।

चीन का खेल: क्या हमें डरना चाहिए?

देखिए न, बात यह है कि बांग्लादेश के PM यूनुस पिछले कुछ सालों से चीन के साथ infrastructure और military deals पर दस्तखत करते जा रहे हैं। और सबसे बड़ी चिंता की बात? वही चटगांव बंदरगाह! जहां चीन अपने पैर पसार रहा है। अब आप सोचिए – हमारे पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह बंदरगाह कितना strategic महत्व रखता है? सच कहूं तो भारत और बांग्लादेश के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं, लेकिन चीन ने आकर इस दोस्ती में दरार डाल दी है। कुछ एक्सपर्ट्स तो यहां तक कह रहे हैं कि यह चीन की ‘String of Pearls’ strategy का हिस्सा है – जिसमें वह भारत को चारों तरफ से घेरना चाहता है। डरावना लगता है ना?

सुरक्षा एक्सपर्ट्स की राय: क्या करे भारत?

अब सवाल यह उठता है कि भारत को क्या करना चाहिए? हमारे defence experts तो बिल्कुल साफ बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि चीन का चटगांव में बढ़ता प्रभाव हमारे पूर्वोत्तर राज्यों – असम, त्रिपुरा, मिजोरम के लिए direct threat बन सकता है। कुछ तो यहां तक सुझाव दे रहे हैं कि भारत को चटगांव पर military pressure बनाने पर विचार करना चाहिए। पर सवाल यह भी है – क्या यह सही कदम होगा? क्योंकि अभी तक तो बांग्लादेश सरकार ने कोई official statement नहीं दिया है, लेकिन ढाका में भारत-विरोधी प्रदर्शनों की खबरें आ रही हैं। मुश्किल स्थिति है भाई!

क्या कह रहे हैं दोनों देश?

इस पूरे मामले पर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय है। हमारे विदेश मंत्रालय ने तो बड़ी डिप्लोमेटिक भाषा में कहा है – “हम बांग्लादेश के साथ रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं, लेकिन चीन की हरकतों पर नजर है।” वहीं रिटायर्ड मेजर जनरल अरुण सहगल जैसे experts साफ कह रहे हैं – “चटगांव में चीन का बढ़ता दखल खतरनाक है, हमें अपनी strategy बदलनी होगी।” और बांग्लादेश के डॉ. तारिक रहमान तो अपनी ही सरकार को चेतावनी दे रहे हैं – “चीन के साथ balance बनाकर चलो, नहीं तो भारत से तनाव बढ़ेगा।” सचमुच, हर कोई अपनी-अपनी राग अलाप रहा है!

आगे क्या होगा? कुछ predictions

अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा? अगर बांग्लादेश चीन के साथ military cooperation बढ़ाता रहा, तो भारत को अपनी पूर्वोत्तर सीमा की सुरक्षा और मजबूत करनी पड़ेगी। हमारी सरकार तो पहले diplomacy का रास्ता अपनाएगी, लेकिन अगर चीन का दखल बढ़ता गया तो…? कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि भारत को अपनी naval presence बढ़ानी चाहिए। सच तो यह है कि यह सिर्फ एक बंदरगाह का मामला नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया का power balance इससे प्रभावित हो सकता है। क्या आपको नहीं लगता कि यह स्थिति गंभीर है? सोचने वाली बात तो है ही!

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अब सवाल यह है कि चटगांव पर कब्ज़ा करना सिर्फ़ एक रणनीतिक चाल है या फिर इससे कुछ बड़ा हासिल हो सकता है? देखिए, मेरी नज़र में तो यह पूर्वोत्तर की सात बहनों की सुरक्षा के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। Experts की मानें तो इस इलाक़े में हमारी सुरक्षा चुनौतियाँ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में यह कदम न सिर्फ़ ज़रूरी है, बल्कि लंबे समय तक शांति बनाए रखने का एकमात्र रास्ता भी हो सकता है।

लेकिन यहाँ एक ‘हालांकि’ ज़रूर आता है – ऐसा कोई भी फैसला अचानक नहीं लिया जा सकता। थोड़ा सा उदाहरण देता हूँ – जैसे आप बिना सोचे-समझे कोई बड़ा निवेश नहीं करते, वैसे ही इन मामलों में भी धैर्य की ज़रूरत होती है। सच कहूँ तो, यह पूरा मामला उतना ही पेचीदा है जितना कि हमारी चाय में उसका सही मिश्रण!

एक तरफ़ तो यह हमारी सुरक्षा के लिए अहम है, लेकिन दूसरी तरफ़ इसके नाज़ुक पहलू भी हैं। Experts की राय को गंभीरता से लेना चाहिए, पर साथ ही अपनी ज़मीनी हकीकत को भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। आखिरकार, यह सिर्फ़ नक्शे पर एक लाइन खींचने जैसा साधारण मामला तो है नहीं!

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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