शुभांशु शुक्ला: अंतरिक्ष से लौटकर क्या चुनेंगे – एयरफोर्स की नौकरी या इसरो का सफर?

शुभांशु शुक्ला: अंतरिक्ष से लौटकर क्या करेंगे? एयरफोर्स या इसरो – दोनों में से किसे चुनेंगे?

भारत ने इतिहास रच दिया है दोस्तों! हमारे गगनयान मिशन ने सफलतापूर्वक शुभांशु शुक्ला को वापस धरती पर लौटा दिया। मानो कोई बॉलीवुड स्क्रिप्ट हो – एक एयरफोर्स पायलट अंतरिक्ष यात्री बन जाए और फिर सुरक्षित वापस आ जाए। लेकिन अब असली ड्रामा शुरू होने वाला है। सवाल यह है कि अब आगे क्या? वो अपनी एयरफोर्स की नौकरी में वापस जाएंगे या फिर इसरो के साथ जुड़कर अंतरिक्ष में नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे? ये सिर्फ उनका निजी फैसला नहीं है बल्कि पूरे देश के लिए बड़ा मसला है।

क्या सपना था, क्या हकीकत बन गया!

सच कहूं तो शुभांशु की कहानी फिल्मी लगती है। एक तरफ एयरफोर्स के जांबाज पायलट, दूसरी तरफ भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन के हीरो। ये वो कहानी है जिसे हम बचपन से किताबों में पढ़ते आए थे। और देखिए, आज ये हमारे सामने सच होकर खड़ी है! लेकिन अब सवाल यह है कि इस कहानी का अगला चैप्टर क्या होगा? एयरफोर्स की वापसी या इसरो में नई शुरुआत?

दो रास्ते, एक मकसद – देश की सेवा

सूत्रों की मानें तो शुभांशु अभी दोनों ऑप्शन्स पर विचार कर रहे हैं। इसरो ने तो जैसे पूरा रेड कार्पेट बिछा दिया है – वरिष्ठ अंतरिक्ष यात्री की पोस्ट, फ्यूचर मिशन्स की प्लानिंग, नए अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग। वहीं एयरफोर्स भी पीछे कहां हटने वाली? उनका कहना है कि शुभांशु जैसे अनुभवी पायलट की वापसी युवा पायलटों के लिए प्रेरणा बनेगी। मुश्किल चुनाव है भाई – जैसे दो प्यारे बच्चों में से किसी एक को चुनना हो!

क्या कह रहे हैं दोनों संस्थान?

इसरो चीफ का कहना है, “शुभांशु जैसे टैलेंटेड अंतरिक्ष यात्री हमारे लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।” वहीं एयरफोर्स के एक बड़े अधिकारी ने कहा, “उनका अनुशासन और टीम स्पिरिट हमारी सबसे बड़ी ताकत है।” और परिवार? उनका तो सीधा सा स्टैंड है – “चाहे आसमान हो या अंतरिक्ष, देश सेवा सर्वोपरि।”

अब क्या होगा आगे?

ईमानदारी से कहूं तो ये फैसला सिर्फ शुभांशु का नहीं, पूरे देश का फैसला होगा। अगर इसरो ज्वाइन करते हैं तो हमारे स्पेस प्रोग्राम को नई उड़ान मिलेगी। चांद, मंगल – सब कुछ पॉसिबल लगने लगेगा। और अगर एयरफोर्स में वापसी हुई तो? तो फिर हमारी डिफेंस टेक्नोलॉजी को नई दिशा मिलेगी। फिलहाल तो पूरा देश उनके फैसले का इंतज़ार कर रहा है। एक बात पक्की है – जो भी रास्ता चुनेंगे, भारत का नाम रोशन करेंगे।

अंत में बस इतना कहूंगा – चाहे वो आसमान हो या अंतरिक्ष, शुभांशु जहां भी जाएंगे, हमारे दिलों में राज करेंगे। क्योंकि ये सच्चे हीरो की कहानी है – जिसमें कोई बुरा एंडिंग हो ही नहीं सकती!

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शुभांशु शुक्ला: एयरफोर्स vs इसरो – और आपके मन में उठ रहे सारे सवाल!

1. शुभांशु शुक्ला कौन हैं? और भई, अंतरिक्ष से इनका क्या लेना-देना?

देखिए, शुभांशु शुक्ला कोई आम शख्स नहीं हैं। एक तरफ तो ये Indian Air Force के ऑफिसर हैं, दूसरी तरफ इसरो के साइंटिस्ट भी! हाल ही में इन्होंने अंतरिक्ष मिशन से वापसी की है – और अब ये दोनों fields के बीच उलझन में हैं। ऐसा लगता है जैसे किसी को दो प्यारे-प्यारे रास्तों में से एक चुनना हो।

2. क्या सच में शुभांशु ने एयरफोर्स और इसरो दोनों में काम किया है?

अरे हां भई! पहले Indian Air Force में जवानों वाली discipline और जोश, फिर इसरो में scientists वाली research और innovation। एक तरह से देखें तो ये दोनों ही देशसेवा के अलग-अलग रूप हैं। पर सच कहूं तो, ऐसा dual experience बहुत कम लोगों को मिलता है। और इसी वजह से उनका यह फैसला इतना emotional है।

3. एयरफोर्स या इसरो? समझिए दोनों के अपने-अपने मजे!

अब यहां बात दिलचस्प हो जाती है। एयरफोर्स में मिलेगा वो adrenaline rush, वो flying का मजा, और वो अनुशासन जो आपको steel की तरह मजबूत बना देता है। वहीं इसरो? अरे भई, वहां तो आप stars तक पहुंच जाते हैं! Research, new technologies, और वो गर्व जब आपका rocket सफलतापूर्वक लॉन्च होता है। दोनों ही किसी सपने से कम नहीं।

4. क्या शुभांशु की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है?

सच पूछो तो, बिल्कुल बन सकती है! देखिए न, आजकल के युवा अक्सर confuse रहते हैं – “क्या चुनूं?” शुभांशु का सफर दिखाता है कि passion और देशसेवा दोनों को साथ लेकर चला जा सकता है। और हां, उनका अंतिम फैसला? वो तो किसी motivation booster से कम नहीं। जैसे कि… अरे, आप ही बताइए, क्या आप inspire नहीं हो रहे?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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