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अंतरिक्ष से शुभांशु शुक्ला का पहला वीडियो संदेश: “बच्चे की तरह सीख रहा हूं…” और रोचक खुलासे!

अंतरिक्ष से शुभांशु शुक्ला का पहला वीडियो मैसेज: “बच्चे की तरह सीख रहा हूं…” और कुछ दिलचस्प बातें!

क्या हुआ है?

इतिहास में एक और नया मुकाम! भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने SpaceX के ड्रैगन यान से अंतरिक्ष से अपना पहला वीडियो मैसेज भेजा है। उन्होंने इसे ‘बिल्कुल जादुई’ बताया और कहा कि वो यहाँ हर दिन नई चीजें सीख रहे हैं, जैसे कोई बच्चा हो। Ax-4 मिशन सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

Ax-4 मिशन: जानिए क्या खास है

मिशन का मकसद

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में कुछ खास experiments करना और private space travel के नए रास्ते खोलना है। NASA और SpaceX की ये साझेदारी commercial space travel को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

शुभांशु शुक्ला का सफर

ग्रुप कैप्टन शुक्ला का चयन उनके बेहतरीन ट्रेनिंग रिकॉर्ड और वायुसेना में उनके योगदान की वजह से हुआ। उनकी मेहनत और dedication ने ये मौका हासिल करवाया।

अंतरिक्ष से आया पहला वीडियो मैसेज

क्या कहा शुभांशु ने?

अपने वीडियो में शुभांशु ने कहा, “यहाँ हर पल कुछ नया सीखने को मिल रहा है… जैसे बचपन में पहली बार साइकिल चलाई थी।” पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखने के अनुभव को उन्होंने ‘दिमाग को झकझोर देने वाला’ बताया।

कैसे भेजा गया मैसेज?

SpaceX के ड्रैगन यान में लगे high-tech communication systems की मदद से ये मैसेज भेजा गया। अंतरिक्ष से डेटा ट्रांसफर करना आसान नहीं होता – latency और signal strength की दिक्कतें आती हैं, लेकिन आज की टेक्नोलॉजी ने इसे मुमकिन बनाया।

शुभांशु के अनुभव: कुछ मजेदार बातें

जीरो ग्रैविटी में जिंदगी

शुभांशु के लिए जीरो ग्रैविटी में रहना एकदम नया अनुभव था। उन्होंने बताया कि यान के अंदर experiments के साथ-साथ रोज physical exercise भी जरूरी होता है, ताकि मसल्स कमजोर न हों।

क्या हो रहे हैं experiments?

इस मिशन में microgravity में किए जा रहे experiments से भविष्य में मेडिसिन और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी खोजों की उम्मीद है। इनमें biomedical research और material science के tests शामिल हैं।

भारत और अंतरिक्ष की नई उड़ान

प्राइवेट मिशनों का बढ़ता रोल

NASA और SpaceX के साथ भारत की साझेदारी अंतरिक्ष रिसर्च के नए दरवाजे खोल रही है। ISRO भी अपने आने वाले missions में private sector को ज्यादा शामिल करने पर विचार कर रहा है।

युवाओं के लिए मिसाल

शुभांशु की ये सफलता युवाओं के लिए एक प्रेरणा है। अंतरिक्ष विज्ञान में career के मौके लगातार बढ़ रहे हैं, और भारत के students इन क्षेत्रों में अपना नाम रोशन कर सकते हैं।

आखिर में

Ax-4 मिशन और शुभांशु शुक्ला का योगदान सिर्फ साइंस के लिए ही नहीं, बल्कि समाज को अंतरिक्ष के प्रति जागरूक करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। ये मिशन दिखाता है कि भारतीय भी global space missions में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

FAQs: आपके सवाल, हमारे जवाब

Ax-4 मिशन कितने दिन का है?
करीब 10 दिनों का ये मिशन है।

शुभांशु अंतरिक्ष में कितने दिन रहेंगे?
वो लगभग एक हफ्ते तक अंतरिक्ष में रहेंगे।

भारत के लिए क्यों है खास?
ये मिशन भारत के लिए अंतरिक्ष रिसर्च में एक नया chapter है, जो दिखाता है कि हमारे professionals भी global missions में बराबरी से भाग ले सकते हैं।

प्राइवेट एस्ट्रोनॉट कैसे बना जा सकता है?
इसके लिए आपको space agencies या private companies के selection processes में शामिल होना होगा और कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना होगा।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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