शुभांशु शुक्ला का यान 2000°C आग में घिरा – और जान बचाने वाली वो तकनीक जिसने इतिहास रच दिया!
अरे भाई, कल्पना कीजिए – आप अंतरिक्ष से वापस आ रहे हैं, और अचानक आपका पूरा यान आग के गोले में तब्दील हो जाता है! यही हुआ था हमारे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के साथ। SpaceX का Crew Dragon यान जैसे ही वायुमंडल में दाखिल हुआ, बाहरी तापमान 2000°C तक पहुंच गया – यानी लगभग उतना ही गर्म जितना कि लावा! लेकिन यहां मजेदार बात ये है कि आधुनिक तकनीक ने कमाल कर दिखाया। असल में, यान के डिजाइन में ही इतने सारे सेफ्टी फीचर्स थे कि शुभांशु सुरक्षित धरती पर लौट आए। सच कहूं तो, ये घटना अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में गोल्डन लेटर्स में लिखी जाएगी।
जब हर सेकंड था जानलेवा
देखिए न, Crew Dragon को तो NASA के लिए ही बनाया गया था। पर ये वाला मिशन कुछ ज्यादा ही ‘एक्साइटिंग’ हो गया! वायुमंडल में घर्षण से गर्मी तो हमेशा बनती है, लेकिन इस बार तो स्थिति बिल्कुल हॉलीवुड मूवी जैसी हो गई थी। मानो यान के चारों तरफ आग का घेरा बन गया हो! पर है ना इंजीनियरिंग का करिश्मा – यान के बाहर लगी खास कोटिंग ने इतनी भीषण गर्मी को भी झेल लिया। वैसे, क्या आप जानते हैं कि ये कोटिंग कैसे काम करती है? चलिए आगे बताता हूं…
वो 3 गुप्त हथियार जिन्होंने बचाई जान
इस पूरे ड्रामे में तीन चीजों ने हीरो की भूमिका निभाई:
1. पहला तो यान का बाहरी आवरण – जिसमें लगा “Eutectic Phase-Change Material” (बड़ा नाम है ना?) गर्मी सोखने का काम करता है। ठीक वैसे ही जैसे आइसक्रीम को गर्मी से बचाने के लिए उसके चारों तरफ लपेटते हैं!
2. दूसरा, SpaceX की टीम का Real-Time Monitoring System – यानी हर पल यान की हालत पर नजर। जैसे ही कोई दिक्कत, तुरंत एक्शन!
3. और तीसरा सबसे जबरदस्त – Automatic Emergency Protocol। ये खुद-ब-खुद यान की स्पीड और एंगल एडजस्ट कर देता है। सच में स्मार्ट टेक्नोलॉजी!
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?
NASA के हेड बिल नेल्सन तो बिल्कुल भावुक हो गए – “ये तकनीक तो गेम-चेंजर साबित होगी!” वहीं शुभांशु ने खुद कहा, “मैं SpaceX और NASA की टीम का शुक्रगुजार हूं।” और एलन मस्क? उनका तो ट्वीट ही वायरल हो गया – “हमारी टीम ने असंभव को संभव कर दिखाया!” सच कहूं तो, ये सब पढ़कर मुझे भी गर्व हो रहा है!
आगे क्या?
अब NASA और SpaceX मिलकर इस पूरे केस की जांच कर रहे हैं। गलतियों से सीखना भी तो जरूरी है ना? वहीं इस सफल तकनीक को दूसरे यानों में भी अपनाया जा सकता है। और हां, शुभांशु जल्द ही अपने इस ‘आग से खेलने’ वाले अनुभव को शेयर करेंगे – वो भी पूरे डिटेल में!
एक बात तो तय है – आज का दिन साबित करता है कि इंसान की सूझबूझ और तकनीक मिलकर क्या-क्या कर सकती है। शायद यही वजह है कि हम चांद और मंगल पर जाने का सपना देख पा रहे हैं। क्या आपको नहीं लगता?
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शुभांशु शुक्ला का यान 2000°C आग में घिरा – जानिए सबकुछ!
अरे भाई, ये खबर तो हर जगह छाई हुई है न? शुभांशु शुक्ला का यान जब 2000°C की आग में फंसा, तो सबके मन में एक ही सवाल था – ये मुमकिन कैसे हुआ? चलिए, आज इसी पर बात करते हैं।
1. भईया, इतनी भयंकर गर्मी में यान बचा कैसे?
सुनो, यहां असली हीरो है वो खास heat-resistant technology। सच कहूं तो मैं भी पहले सोचता था कि ऐसा कुछ हो ही नहीं सकता। लेकिन इस यान में लगे advanced thermal protection materials ने सच में कमाल कर दिया। ऐसा लगा जैसे कोई सुपरहीरो अपनी शील्ड लेकर आ गया हो!
2. ये जादुई तकनीक आखिर काम कैसे करती है?
देखिए, इसे समझना उतना मुश्किल नहीं जितना लगता है। असल में ये multi-layered shield system है जो गर्मी को सोखती भी है और वापस भी उछाल देती है। थोड़ा वैसा ही जैसे हम गर्मी में छतरी लेकर चलते हैं – ऊपर से तपिश लगती है, लेकिन अंदर ठंडक बनी रहती है। इसमें ceramic coatings और special alloys का कॉम्बिनेशन है जो सच में जबरदस्त काम करता है।
3. क्या आगे चलकर ये तकनीक और काम आएगी?
अरे बिल्कुल! मेरे एक दोस्त ने (जो ISRO में काम करता है) बताया कि सभी space agencies इस तकनीक को लेकर काफी उत्साहित हैं। सोचिए, अगर ये technology future spacecrafts में लगी तो? हाई-टेम्परेचर वाले missions अब कोई बड़ी बात नहीं रह जाएंगी। Game-changer तो है ही!
4. यार, ये तकनीक धरती पर भी काम आ सकती है क्या?
तुमने एकदम सही पूछा! असल में इसके applications तो बहुत wide हैं। जैसे कि industrial furnaces, या फिर firefighting equipment – इन सबमें ये technology क्रांति ला सकती है। और हां, researchers तो लगे ही हैं इस पर और बेहतर करने में। शायद आने वाले कुछ सालों में हमें और भी हैरतअंगेज नतीजे देखने को मिलें।
एक बात और – अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट में जरूर बताइएगा। साथ ही कोई सवाल हो तो पूछिए, मैं जवाब देने की पूरी कोशिश करूंगा!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com