सिंधिया महाराज का दर्द: जब ताजिये की आग देखकर छलक पड़े थे आंसू, बोले थे – ‘ताजिया नहीं…’
अरे भाई, क्या बताऊं… हाल ही में एक बड़ा ही दिलचस्प मामला सामने आया है। Emergency की 50वीं वर्षगांठ पर BJP के कुछ नेताओं ने संविधान से ‘secularism’ शब्द हटाने की मांग कर डाली। अब यहां मजेदार बात ये है कि इनमें से कई नेता तो सिंधिया राजघराने से जुड़े हैं – और यही वो परिवार है जिसने हमेशा मुस्लिम त्योहारों को पूरे दिल से मनाया। ऐसे में, पुराना एक वीडियो फिर से viral हो रहा है, जहां माधवराव सिंधिया ताजिये की आग देखकर भावुक हो जाते हैं और कहते हैं – “यह ताजिया नहीं, हमारी आस्था का प्रतीक है…”। सच कहूं तो, ये वीडियो आज के माहौल में एक बड़ा सवाल खड़ा कर देता है। क्या आपको नहीं लगता?
एक राजघराने की विरासत और आज की राजनीति
देखिए, सिंधिया राजघराने की बात ही अलग है। ग्वालियर से लेकर पूरे मध्य भारत में ये परिवार सांप्रदायिक एकता का प्रतीक रहा है। माधवराव सिंधिया साहब ने तो मुहर्रम के दौरान ताजिये की परंपरा को न सिर्फ मान दिया, बल्कि खुद भी पूरे जोश के साथ शामिल हुए। उस जमाने की बात ही कुछ और थी – त्योहारों को साझी संस्कृति के तौर पर देखा जाता था। लेकिन आज? आज तो ऐसा लगता है जैसे हम पीछे की ओर जा रहे हैं। BJP के कुछ नेताओं की ये मांग सीधे-सीधे सिंधिया परिवार की उस विरासत को चुनौती देती नजर आती है जिसे उनके पूर्वजों ने खून-पसीने से सींचा था।
वायरल वीडियो ने छेड़ी नई बहस
असल में बात ये है कि social media पर ये पुराना वीडियो अचानक से फिर से चर्चा में आ गया है। और वो भी ऐसे समय में जब secularism पर बहस गर्म है। माधवराव जी का वो भावुक पल, जब वो ताजिये की आग देखकर रो पड़ते हैं… सच कहूं तो दिल को छू जाता है। BJP के नेताओं की मांग और ये वीडियो – दोनों एक साथ आए हैं, जैसे कोई संयोग हो। Opposition तो मानो इस पर झपट ही पड़ा है। Congress से लेकर अन्य दलों ने BJP पर सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप लगा दिए हैं। पर सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ राजनीति है, या फिर हम वाकई अपनी विरासत को भूलते जा रहे हैं?
विरासत बनाम वर्तमान राजनीति
इस मामले में तो हर कोई अपना-अपना राग अलाप रहा है। Congress के एक नेता ने तो सीधे कह दिया – “BJP को सिंधिया परिवार से सीखना चाहिए।” वहीं social activists इसे हमारी गंगा-जमुनी तहजीब की याद दिलाने वाला बता रहे हैं। पर BJP वालों का कहना है कि ये तो बस संवैधानिक सुधार की बात है। सच्चाई? शायद इन सबके बीच में ही कहीं है। एक तरफ विरासत है, दूसरी तरफ आज की राजनीति। और बीच में फंसा है आम आदमी, जो समझ ही नहीं पा रहा कि सही क्या है।
आगे की राह क्या होगी?
अब सवाल ये उठता है कि आगे क्या होगा? Political analysts कह रहे हैं कि इस वीडियो के चलते सिंधिया परिवार से जुड़े BJP नेताओं पर दबाव बढ़ सकता है। सरकार और विपक्ष के बीच तो ये बहस और तेज होगी ही। पर असल सवाल ये है कि क्या हम वाकई अपनी उस साझा विरासत को भूलते जा रहे हैं, जिस पर हमें गर्व होना चाहिए? माधवराव सिंधिया ने ताजिये को सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि हमारी साझी संस्कृति का हिस्सा माना था। और आज? आज तो ऐसा लगता है जैसे हम उनकी इस सोच से कोसों दूर जा चुके हैं। शर्म की बात है, सच कहूं तो।
आखिर में बस इतना ही कि राजनीति से ऊपर उठकर हमें अपनी इस विरासत को संजोने की जरूरत है। वरना… वरना हमारी आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी। सोचिएगा जरूर।
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सिंधिया महाराज और ताजिये की आग – जानिए पूरी कहानी और जुड़े सवाल
सिंधिया महाराज ने ताजिये की आग देखकर क्या कहा था?
देखिए, ये वाकया कुछ ऐसा था जिसने सबको भावुक कर दिया। सिंधिया महाराज ने जब ताजिये को आग में देखा, तो उनके मुंह से निकला – “ताजिया नहीं…”। और ये कोई साधारण बयान नहीं था। उनकी आँखों में आंसू साफ दिख रहे थे। आप समझ सकते हैं न, किसी चीज़ को अपनी आँखों के सामने जलते देखना कितना दर्द देता होगा?
ताजिये की आग का सिंधिया महाराज के साथ क्या कनेक्शन था?
असल में बात ये है कि ये सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं था। सिंधिया परिवार के लिए ताजिया उनकी विरासत का हिस्सा रहा है – जैसे हमारे घरों में दादा-परदादा की यादें होती हैं। ईमानदारी से कहूं तो, आजकल के नेताओं में ऐसी भावुकता कम ही देखने को मिलती है। है न?
यह घटना कब और कहाँ हुई थी?
तो मुहर्रम का वक्त था – जब ताजिये को जलाने की परंपरा है। लेकिन सटीक जगह और तारीख? देखा जाए तो इस पर ज्यादा जानकारी नहीं मिलती। पर एक बात तय है – सिंधिया परिवार के इतिहास में ये पल सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। कभी-कभी एक पल पूरी कहानी बयां कर देता है। सच नहीं?
सिंधिया महाराज के इस बयान का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
अरे भई, सोशल मीडिया पर तो जैसे तूफान आ गया! लोगों ने महाराज की इस भावुकता को सच्चा माना। एक तरफ जहां कुछ लोगों की आँखें नम हो गईं, वहीं ये घटना सांप्रदायिक एकता की मिसाल भी बन गई। क्या आपको नहीं लगता कि आज के दौर में ऐसे पल दुर्लभ होते जा रहे हैं?
और हां, एक बात और – महाराज के इन आंसुओं ने साबित कर दिया कि नेता भी इंसान हैं। बिल्कुल हमारे जैसे। है न?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com