सिंगापुर का केंद्रीय बैंक: क्यों नहीं बदल रही मौद्रिक नीति, और क्या है अमेरिकी टैरिफ का खेल?
देखिए न, सिंगापुर का केंद्रीय बैंक (MAS) फिर से वही पुरानी रट लगा रहा है – “ना कोई बदलाव, ना कोई ढील।” लगातार दूसरी बैठक में उन्होंने मौद्रिक नीति को जस का तस रखा है। पर सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों? असल में, पूरी बात अमेरिका के उन डरावने टैरिफ की वजह से है जो सिंगापुर की निर्यात-प्रधान अर्थव्यवस्था को चैन से सोने नहीं दे रहे।
अब सिंगापुर की अर्थव्यवस्था तो वैसे भी exports और financial services पर टिकी है – जैसे कोई नटखट बच्चा दो पैरों वाली कुर्सी पर बैठा हो। थोड़ा सा भी झटका लगा और… समझ गए न? पिछली दो बैठकों में MAS ने easing mode में जाकर थोड़ी राहत देने की कोशिश की थी। लेकिन अब? अमेरिका-चीन का trade war और नए टैरिफ का खतरा – इन सबने स्थिरता को ही सबसे बड़ी प्राथमिकता बना दिया है।
इस बार MAS ने SGD के policy band को भी नहीं बदला। साथ ही inflation का अनुमान भी 2.5%-3.5% के पुराने रेंज में ही रखा। पर मजे की बात यह है कि विशेषज्ञों की चिंता जायज है – क्योंकि अगर अमेरिका ने चीन पर नए टैरिफ लगाए, तो सीधा असर तो सिंगापुर पर ही पड़ेगा। आखिर वह global supply chain का बड़ा हब तो है न!
अब विशेषज्ञों की राय? उन्हें यह फैसला समझदारी भरा लगा। इस उठापटक भरे दौर में स्थिरता ही तो सबसे बड़ी जरूरत है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ, सिंगापुर के SMEs (छोटे-मझोले उद्योग) तो मानो दहशत में हैं। टैरिफ का मतलब? उनके लिए मुश्किलें। शायद इसीलिए सरकार ने exporters को नई schemes देने के इशारे किए हैं। स्मार्ट मूव!
अब आगे की बात करें तो… सीनारियो क्लियर है। अगर अमेरिका ने वाकई नए टैरिफ लगा दिए, तो MAS को फिर से easing की तरफ मुड़ना पड़ सकता है। और हां, trade diversification पर जोर तो बढ़ेगा ही – ताकि अमेरिका-चीन के झगड़े का असर कम हो। GDP growth पर नजर रखी जाएगी, और जरूरत पड़ी तो नीतियों में tweaking भी होगी।
तो कुल मिलाकर? MAS ने बिल्कुल सही चाल चली है। वैश्विक अनिश्चितता के इस दौर में उनकी यह सतर्कता दिखाती है कि वे भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार हैं। और जब जरूरत होगी, एक्शन लेने में भी देर नहीं करेंगे। एक तरह से देखें तो… बिल्कुल सही समय पर सही कदम!
सिंगापुर का केंद्रीय बैंक और अमेरिकी टैरिफ – जानिए क्या होगा असर?
MAS ने मौद्रिक नीति (Monetary Policy) में बदलाव क्यों नहीं किया? समझिए पूरा मामला
देखिए, सिंगापुर का केंद्रीय बैंक (MAS) कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं है। असल में, उन्होंने पूरे आर्थिक हालात को ध्यान से देखा – inflation है, growth rate है – और फिर यह तय किया कि अभी status quo बनाए रखना ही समझदारी है। थोड़ा ऐसे समझ लीजिए जैसे आप गाड़ी चला रहे हों और सामने ट्रैफिक जाम दिखे – तो ब्रेक मारना ही बेहतर होता है न? वैसा ही कुछ।
अरे भई! अमेरिकी टैरिफ (US Tariffs) से सिंगापुर का क्या बनेगा?
सच कहूं तो थोड़ी टेंशन वाली बात है। जब अमेरिका टैरिफ लगाता है, तो सिंगापुर के exports पर सीधा असर पड़ता है – खासकर electronics और pharmaceutical सेक्टर में। लेकिन यहां एक मजेदार बात – सिंगापुर की economy तो मानो रबर की तरह है। दबाव आता है, थोड़ा स्ट्रेच होती है, फिर वापस अपनी शेप में आ जाती है। 2008 का financial crisis याद है? तब भी ऐसा ही हुआ था।
SGD की value पर क्या होगा असर? आपके विदेशी ट्रिप्स के लिए खबर!
अभी तो MAS ने policy rates unchanged रखे हैं, तो SGD स्थिर ही रहेगा। पर…हमेशा एक पर होता है न? अगर US Dollar मजबूत होता है या global markets में हलचल होती है, तो SGD भी डांस करने लगता है। मेरा personal अनुमान? short term में कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं आएगा।
हम जैसे आम लोगों के लिए इसका क्या मतलब? जेब पर असर!
सीधी सी बात:
• होम लोन या कार लोन लेने वालों को राहत – interest rates नहीं बढ़ेंगे
• FD कराने वालों के लिए थोड़ा disappointing – returns वही ढाक के तीन पात
• बिजनेस वालों के लिए चुनौती – US tariffs के चलते कुछ समस्याएं आ सकती हैं
एक तरफ तो stability है, दूसरी तरफ challenges भी। पर यही तो जिंदगी है न? हमेशा mixed bag ही होता है।
Source: Dow Jones – Social Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com