सॉफ्टबैंक और OpenAI का $500 बिलियन वाला AI प्रोजेक्ट “स्टारगेट” अटक क्यों गया?
याद है वो प्रोजेक्ट जिसे कुछ महीने पहले तक AI का ‘नेक्स्ट बिग थिंग’ बताया जा रहा था? अजीब है ना कि आज वही स्टारगेट प्रोजेक्ट अपने ही दावों से काफी पीछे छूट गया है। सॉफ्टबैंक और OpenAI की ये $500 बिलियन (यानी 50 लाख करोड़ रुपये!) वाली महत्वाकांक्षा अब एक छोटे से डेटा सेंटर तक सिमट कर रह गई है। और सोचिए, पिछले साल व्हाइट हाउस के इवेंट में इसे ‘दुनिया के सबसे ताकतवर AI सुपरकंप्यूटर’ के तौर पर पेश किया गया था! आज? दोनों कंपनियां साल के आखिर तक बस एक पायलट डेटा सेंटर बनाने में जुटी हैं। क्या गड़बड़ हो गया?
जब सपना बहुत बड़ा हो…
देखिए, स्टारगेट की कहानी शुरू में तो बिल्कुल हॉलीवुड साइंस-फिक्शन जैसी लग रही थी। एक ऐसा AI सुपरकंप्यूटर जो OpenAI के नए-नए मॉडल्स को ट्रेन करेगा – वो भी दुनिया में सबसे तेज और सबसे शक्तिशाली! सॉफ्टबैंक के मासायोशी सॉन और OpenAI के सैम अल्टमैन की ये जोड़ी तो मानो टेक दुनिया का ‘ड्रीम टीम’ थी। अमेरिकी सरकार का सपोर्ट तो ऐसा जैसे चेरी ऑन द केक। पर…यहाँ से कहानी पलटती है।
मुश्किलें कहाँ आईं?
असल में, दिक्कतें दो मोर्चे पर आईं। पहली तो – पैसा! $500 बिलियन? ये कोई मजाक थोड़े ही है। इतनी रकम जुटाना और फिर उसे सही जगह लगाना…ये तो किसी साइंस प्रोजेक्ट से कम चैलेंज नहीं था। दूसरा – टेक्नोलॉजी की लिमिट। इतना बड़ा सुपरकंप्यूटर बनाने के लिए जरूरी हार्डवेयर और एनर्जी सोल्यूशन्स अभी हमारी पहुँच से बाहर हैं। नतीजा? प्रोजेक्ट को स्केल डाउन करना पड़ा। अब 2024 तक बस एक छोटा डेटा सेंटर बनाने पर फोकस है। क्या ये सही फैसला था? शायद हाँ।
क्या कह रहे हैं लोग?
OpenAI का कहना है – “हम AI रिसर्च में पूरी तरह कमिटेड हैं, बस बड़े प्रोजेक्ट्स को अब फेज-वाइज करेंगे।” सॉफ्टबैंक वालों ने भी ऐसा ही कुछ कहा, पर साथ में ये भी कि “भविष्य में बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम जारी रखेंगे।” टेक एक्सपर्ट्स की राय? ये पूरा केस AI इंडस्ट्री में बड़े-बड़े दावों और ग्राउंड रियलिटी के बीच के गैप को दिखाता है। सच कहूँ तो, थोड़ा सबक भी देता है।
अब आगे क्या?
तो अब सवाल ये कि स्टारगेट का भविष्य क्या है? फिलहाल तो ये पायलट डेटा सेंटर ही एकमात्र उम्मीद है। अगर ये सफल रहा, तो 2025-26 में शायद बड़े पैमाने पर निवेश की बात फिर से उठे। पर अभी के लिए? ये प्रोजेक्ट हमें एक अहम सबक दे गया है – सपने देखना अच्छा है, पर उन्हें जमीन पर उतारने के लिए रियलिटी चेक भी जरूरी है। AI की दुनिया में ये बैलेंस बनाना ही असली चैलेंज है। है ना?
सॉफ्टबैंक और OpenAI का $500 बिलियन वाला AI प्रोजेक्ट “स्टारगेट”: क्या हुआ, क्यों हुआ, और आगे क्या?
1. स्टारगेट AI प्रोजेक्ट – जानिए क्या है ये पूरा माजरा?
देखिए, स्टारगेट कोई छोटा-मोटा प्रोजेक्ट नहीं है। सॉफ्टबैंक और OpenAI ने मिलकर इसके लिए पूरे $500 बिलियन का बजट रखा था! सोचिए, ये रकम कितनी बड़ी है – भारत के कुछ राज्यों के बजट से भी ज़्यादा। असल में ये दुनिया का सबसे बड़ा AI infrastructure बनाने की कोशिश थी, जिसमें supercomputers से लेकर next-gen AI models तक सब कुछ शामिल था। पर सवाल यह है कि क्या इतना बड़ा सपना सच में पूरा हो पाता? ईमानदारी से कहूं तो, मुश्किल लगता है।
2. आखिर क्यों अटक गया ये महाप्रोजेक्ट?
अरे भई, पैसा तो था ही, पर समस्याएं कम नहीं थीं। पहली बात तो funding को लेकर ही उलझन थी – इतने बड़े प्रोजेक्ट में पैसा कब तक चलता? दूसरा, technical challenges… जैसे आप घर में नया फ्रिज लाते हैं तो दरवाज़े से फंस जाता है न? वैसी ही स्थिति। सबसे बड़ी बात – OpenAI और सॉफ्टबैंक की टीमें एक दूसरे से सहमत ही नहीं हो पा रही थीं। ROI (Return on Investment) का सवाल तो जैसे चेरी ऑन द केक था।
3. क्या अभी भी बची है कोई उम्मीद?
सुनिए, टेक्नोलॉजी की दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं। हालांकि अभी प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में है, पर अगर ये दोनों कंपनियां फिर से बैठकर – पहले से बेहतर प्लानिंग के साथ – इस पर काम करें, तो कौन जाने? पर एक बात तो तय है – अगर ये प्रोजेक्ट revive होता भी है तो इसमें वक्त लगेगा। बहुत वक्त।
4. इस ठहराव से AI इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ेगा?
असर? बिल्कुल पड़ेगा! जब कोई स्टारगेट जैसा बड़ा प्रोजेक्ट रुकता है तो पूरी इंडस्ट्री को झटका लगता है। शॉर्ट-टर्म में तो investment धीमा होगा ही, खासकर large-scale projects में। पर एक सबक भी मिला है – बिना ठोस प्लान के बड़े-बड़े सपने देखना कितना खतरनाक हो सकता है। शायद अब कंपनियां थोड़ा और realistic approach अपनाएंगी। वैसे भी, टेक्नोलॉजी की दौड़ में कभी रुकना नहीं होता। बस दिशा बदल जाती है!
Source: WSJ – Digital | Secondary News Source: Pulsivic.com