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स्टेबलकॉइन्स मौद्रिक प्रणाली की नींव बनने में विफल, केंद्रीय बैंकों का बड़ा बयान!

Stablecoins फेल हुए मौद्रिक प्रणाली की नींव बनने में, Central Banks ने दिया बड़ा झटका!

क्या हुआ नया?

पिछले कुछ सालों से तो क्रिप्टो और Stablecoins ने दुनिया भर में धूम मचा रखी है। हर कोई इन डिजिटल assets पर पैसा लगा रहा है। लेकिन अब दुनिया के बड़े Central Banks ने एक साथ आकर साफ कह दिया है – “भाई, ये crypto assets कभी भी मुख्य मौद्रिक प्रणाली का हिस्सा नहीं बन पाएंगे!” चलिए समझते हैं कि आखिर मामला क्या है।

Stablecoins आखिर हैं क्या?

समझिए आसान भाषा में

Stablecoins वो डिजिटल करेंसी हैं जो किसी stable चीज़ से जुड़ी होती हैं – जैसे USD, EUR या फिर सोना। इनका मकसद होता है price stability maintain करना, जो कि Bitcoin जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में नहीं मिलती।

कितने तरह के होते हैं?

  • Fiat-backed: ये USD/EUR जैसी करेंसी से backed होते हैं। जैसे USDT, USDC
  • Commodity-backed: इनका value सोने जैसी चीज़ों से जुड़ा होता है
  • Crypto-backed: ये दूसरी क्रिप्टो से supported होते हैं, जैसे DAI
  • Algorithmic Stablecoins: इनमें smart contracts और algorithms काम करते हैं

Central Banks ने क्या कहा?

मुख्य बातें

Central Banks का कहना है कि crypto assets कभी भी मौद्रिक प्रणाली की बुनियाद नहीं बन सकते। क्यों? क्योंकि इनमें volatility बहुत ज्यादा है और risks भी। ये financial stability के लिए खतरा हो सकते हैं।

Stablecoins को लेकर चिंताएं

Central Banks को सबसे ज्यादा परेशानी इन बातों से है:

  • Regulation नहीं है: अभी तक कोई साफ rules नहीं बने
  • Financial stability को खतरा: बड़े स्तर पर इस्तेमाल से संकट आ सकता है
  • Investors का नुकसान: Fraud और hacking के cases आम हैं

मुश्किलें क्या हैं?

Regulation की समस्या

अलग-अलग देशों में Stablecoins के लिए अलग rules हैं। कहीं ban है तो कहीं इन्हें accept किया जाता है। इस regulatory uncertainty की वजह से global adoption मुश्किल है।

Technical और Operational Risks

Stablecoins अक्सर smart contracts पर चलते हैं जिनमें bugs हो सकते हैं। साथ ही hacking और fraud का खतरा तो हमेशा बना रहता है।

Economic Impact

अगर Stablecoins बड़े पैमाने पर use होने लगे तो traditional banking system पर दबाव बढ़ेगा। Central Banks के लिए monetary control करना मुश्किल हो जाएगा।

CBDC – नया विकल्प

CBDC क्या है?

CBDC (Central Bank Digital Currency) Central Banks द्वारा issue की जाने वाली डिजिटल करेंसी है। ये Stablecoins का बेहतर विकल्प हो सकती है क्योंकि इसमें government का full control होता है।

फायदे क्या हैं?

  • पूरा regulation: Central Banks के पूरे control में
  • Financial inclusion: डिजिटल payments को और accessible बनाती है

आखिरी बात

Stablecoins ने डिजिटल फाइनेंस में क्रांति तो ला दी, लेकिन अभी भी इनकी कई limitations हैं। Central Banks का मानना है कि ये मौद्रिक प्रणाली की नींव नहीं बन सकते। आने वाले समय में CBDC जैसे विकल्पों को ज्यादा तवज्जो मिल सकती है। Investors और policy makers को इन risks को समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए।

पूछे जाने वाले सवाल

क्या Stablecoins पूरी तरह unsafe हैं?

नहीं, लेकिन risks जरूर हैं। इस्तेमाल से पहले regulations और security measures जरूर check कर लें।

CBDC और Stablecoins में फर्क क्या है?

CBDC Central Banks issue करते हैं और पूरी तरह regulated होती है, जबकि Stablecoins private companies issue करती हैं जिन पर कम control होता है।

भविष्य में क्रिप्टो की क्या भूमिका होगी?

Experts का मानना है कि क्रिप्टो एक alternative investment option तो बनी रहेगी, लेकिन mainstream monetary system का हिस्सा बनने के chances कम हैं।

Source: Dow Jones – Social Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com

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