डॉक्टर्स की हड़ताल और स्टारमर की ‘आखिरी चेत’ – क्या ये वाकई मदद करेगी?
अरे भई, ब्रिटेन की कहानी तो किसी सास-बहू सीरियल से कम नहीं! कीर स्टारमर ने अभी-अभी डॉक्टर्स की उस बड़ी हड़ताल को रोकने की कोशिश की है जो इसी शुक्रवार से शुरू होने वाली थी। पर सवाल यह है – क्या ये सिर्फ एक ‘औपचारिकता’ है या असल में कुछ होगा? BMA (वो British Medical Association वाला) तो अपने पुराने राग अलाप रहा है – पिछले 10 साल में डॉक्टर्स की सैलरी 30% तक कम हुई है। और अब? अब NHS के मरीजों को भुगतना पड़ेगा। ऐसा लगता है जैसे सारा बोझ आखिरकार मरीजों पर ही आ पड़ा है।
असल में बात ये है कि… देखिए, ये विवाद कोई नया नहीं है। सरकार और डॉक्टर्स के बीच ये लड़ाई तो कई सालों से चल रही है। पर अब जाकर मामला गरमाया है। BMA वालों का कहना है कि वो तो बस अपना हक मांग रहे हैं – जो सच में उनका है। लेकिन सरकार? वो तो अपनी ही धुन में मस्त है। बीच में फंसे हैं वो बेचारे मरीज जिनका इलाज अटका पड़ा है।
अब स्टारमर साहब ने यहाँ ‘हीरो’ बनने की कोशिश की है। उन्होंने आखिरी वक्त में वार्ता की अपील की है। पर मजे की बात ये है कि… BMA वालों ने साफ कह दिया – “हम तैयार हैं बात करने के लिए, पर सरकार को भी तो गंभीर होना पड़ेगा ना?” और सच कहूँ तो, ये बात में समझ सकता हूँ। क्योंकि अब तक तो सरकार ने सिर्फ ‘बातचीत’ की बात की है, असल काम कुछ हुआ नहीं।
लोगों की प्रतिक्रिया? वो तो बिल्कुल मिली-जुली है। कुछ कह रहे हैं – “डॉक्टर्स तो सही कह रहे हैं!” जबकि दूसरे गुस्से में हैं – “हमारा क्या जो ऑपरेशन कैंसिल हो रहा है?” सच पूछो तो दोनों ही पक्षों की बात में दम है। पर समस्या ये है कि… कोई मध्यमार्ग नजर नहीं आ रहा।
तो अब क्या? अगर आज-कल (मतलब अगले 24 घंटे में) कुछ नहीं हुआ, तो शुक्रवार से NHS में हड़ताल शुरू। और फिर? फिर तो वही पुराना गाना – इमरजेंसी के अलावा सब धरा का धरा रह जाएगा। राजनीतिक विश्लेषक तो यहाँ तक कह रहे हैं कि ये विवाद ब्रिटेन के healthcare system को और भी ज्यादा डुबो देगा।
अंत में बस इतना – ये पूरा मामला सिर्फ वेतन की लड़ाई नहीं है। ये तो एक बड़े systemic failure की निशानी है। डॉक्टर्स अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं – जायज भी है। पर सरकार के पास भी तो बजट की समस्या है। और बीच में फंसे हैं वो लाखों मरीज जिन्हें इलाज की जरूरत है। क्या कोई समाधान निकलेगा? वक्त बताएगा। पर एक बात तो तय है – अगर ये हड़ताल हुई, तो NHS को जो झटका लगेगा, उसकी भरपाई में सालों लग जाएंगे।
स्टारमर और डॉक्टर्स की हड़ताल – वो सारे सवाल जो आप पूछना चाहते हैं!
अरे भाई, ये हड़ताल का मामला तो हर किसी की ज़ुबान पर है न? सोचा क्यों न आपके लिए एक सरल-सी FAQ बना दूँ। चलिए, सवालों के जवाब तो देखें!
1. स्टारमर ने डॉक्टर्स को मनाने के लिए क्या चाल चली?
देखिए, स्टारमर ने आखिरी मौके पर एक last-minute deal का ऑफर रखा है। बातचीत तो हुई, डॉक्टर्स की बातें भी सुनीं… पर यार, अभी तक कोई ठोस हल नहीं निकला। क्या पता, शायद अभी और बार्गेनिंग बाकी हो?
2. भला डॉक्टर्स हड़ताल पर क्यों गए? समझ नहीं आता!
असल बात ये है कि उनकी मांगें बिल्कुल जायज़ हैं – पगार बढ़े, काम करने की स्थितियाँ सुधरे, और हॉस्पिटल्स की हालत तो देखो! सरकार से गुहार लगा रहे हैं ये लोग। सच कहूँ तो, किसी भी प्रोफेशनल की यही तो बेसिक एक्सपेक्टेशन्स होती हैं न?
3. क्या स्टारमर का ऑफर डॉक्टर्स को पचेगा?
अभी तक तो कोई ऑफिशियल जवाब नहीं आया। कुछ डॉक्टर्स इसे सही दिशा में कदम मान रहे हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ, कईयों को लग रहा है कि ये प्रपोज़ल half-baked है। समझ नहीं आ रहा – deal होगी या नहीं?
4. आम आदमी को इसका झटका कैसे लग रहा है?
अरे भईया, स्थिति तो बड़ी खराब है! हॉस्पिटल्स में मरीजों की हालत देखकर दिल दुखता है। इमरजेंसी सर्विसेज भी ठप्प। लोगों को महंगे प्राइवेट हॉस्पिटल्स का रुख करना पड़ रहा है। सच में, ये हड़ताल सबसे ज़्यादा मिडिल क्लास और गरीबों को ही भुगतनी पड़ रही है। क्या यही न्याय है?
तो ये थी पूरी कहानी संक्षेप में। कैसा लगा? कोई और सवाल हो तो पूछिएगा ज़रूर!
Source: Financial Times – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com