सुपरफास्ट ट्रेन की स्पीड कितनी होती है? जानें पूरी जानकारी यहां!

सुपरफास्ट ट्रेन की स्पीड कितनी होती है? जानिए असली कहानी

अरे भाई, हम सबने कभी न कभी सुपरफास्ट ट्रेन में सफर किया है। पर क्या आपने कभी सोचा कि आखिर ये ‘सुपरफास्ट’ का टैग पाती कैसे हैं? मतलब, कोई ट्रेन रातोंरात सुपरफास्ट थोड़े ही बन जाती है! असल में, इसके पीछे पूरा एक सिस्टम है जिसे समझना दिलचस्प होगा। हाल ही में रेलवे ने कुछ नए नियम बनाए हैं – तो चलिए इस मसले को गहराई से समझते हैं।

सुपरफास्ट ट्रेनें: सिर्फ स्पीड नहीं, एक क्रांति!

ये बात 1969 की है, जब पहली बार राजधानी एक्सप्रेस को ये खास दर्जा मिला। उस वक्त तो ये बड़ी बात थी भाई! आज? अब तो हम वंदे भारत जैसी ट्रेनों के आदी हो चुके हैं। पर असल मजा तो ये है कि ये ट्रेनें सिर्फ तेज नहीं होतीं – इनमें स्टॉपेज कम होते हैं, जिसका मतलब है आपका कीमती समय बचता है। सोचिए, दिल्ली से मुंबई का सफर अगर 4-5 घंटे कम हो जाए तो? ज़िंदगी बदल देने वाली बात है न!

क्या है सुपरफास्ट का राज?

अब सीधे-सीधे बात करते हैं – कोई ट्रेन कब सुपरफास्ट कहलाती है? रेलवे का रूल बुक कहता है कि औसतन 55 km/h की स्पीड चाहिए। पर यार, ये सिर्फ नंबर्स की बात नहीं है। असल में देखा जाए तो कई ट्रेनें इस स्पीड तक पहुँच भी जाती हैं, फिर भी उन्हें ये टैग नहीं मिलता। क्यों? क्योंकि इसमें और भी फैक्टर्स चलते हैं – जैसे ट्रैक क्वालिटी, सिग्नल सिस्टम, और हाँ, राजनीति भी (वैसे ये मैंने नहीं कहा!)

एक मजेदार बात – कुछ ट्रेनों को हाल ही में इस लिस्ट से हटा दिया गया। कारण? वो 55 km/h का मैजिक नंबर क्रॉस नहीं कर पा रही थीं। सच कहूँ तो रेलवे की ये सख्ती अच्छी लगती है।

लोग क्या कहते हैं? असली राय

अब जनता की बात सुनिए – कुछ लोग कहते हैं टिकट महंगा है, पर समय बचता है तो चलता है। वहीं दूसरी तरफ कुछ यात्री शिकायत करते हैं कि स्पीड तो ठीक है, पर सुविधाएँ अभी और बेहतर हो सकती हैं। सच्चाई ये है कि वंदे भारत जैसी नई ट्रेनों ने स्टैंडर्ड्स ही बदल दिए हैं। अब तो लोगों को एक्सपेक्टेशन्स बढ़ गई हैं – और यही तो प्रोग्रेस का साइन है!

आगे क्या? भविष्य की ट्रेनें

रेलवे की प्लानिंग देखकर तो लगता है कि अभी बस शुरुआत है। 200 से ज्यादा नई सुपरफास्ट ट्रेनों का प्रपोज़ल? वाह! पर मेरा मानना है कि सिर्फ नंबर्स बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और सर्विस – तीनों पर फोकस करना होगा। अच्छी खबर ये कि नए ट्रैक्स और सिग्नल सिस्टम्स पर काम चल रहा है। शायद अगले 5 सालों में हम जापान की बुलेट ट्रेनों को टक्कर देने लगें!

एक बात तो तय है – सुपरफास्ट ट्रेनें अब सिर्फ ट्रांसपोर्ट नहीं, भारत के डेवलपमेंट की स्टोरी बन चुकी हैं। और हाँ, अगली बार जब किसी सुपरफास्ट ट्रेन में सफर करें, तो इसके पीछे की मेहनत को जरूर सलाम करें!

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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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