supreme court allows trump deport migrants third countries 20250623232626794347

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप सरकार को दी हरी झंडी, प्रवासियों को तीसरे देश भेजने की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप सरकार को दी मंजूरी, प्रवासियों को तीसरे देश भेजने का रास्ता साफ

क्या हुआ है?

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है जो ट्रंप सरकार के लिए जीत जैसा है। असल में, निचली अदालत ने सरकार को प्रवासियों को तीसरे देश भेजने से पहले proper notice देने को कहा था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। यानी अब सरकार बिना ज्यादा formalities के प्रवासियों को दूसरे देश भेज सकती है। देखा जाए तो ये फैसला immigration policy और human rights दोनों को प्रभावित करेगा।

फैसले की खास बातें

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सरकार को अब प्रवासियों को उनके home country के अलावा किसी तीसरे देश भेजने से रोका नहीं जा सकता। यानी green signal मिल गया है।

पहले क्या नियम थे?

निचली अदालत ने कहा था कि प्रवासियों को तीसरे देश भेजने से पहले उन्हें proper notice देना होगा। इसका मकसद था कि उन्हें legal help लेने का मौका मिल सके। लेकिन अब यह rule लागू नहीं होगा।

किसने क्या कहा?

सरकार की दलील

ट्रंप सरकार का कहना है कि यह policy देश की security के लिए जरूरी है। उनका दावा है कि इससे illegal immigration पर लगाम लगेगी। सीधे शब्दों में कहें तो, “हमारा देश, हमारे नियम” वाली बात।

आलोचक क्या कहते हैं?

दूसरी तरफ, human rights groups इस फैसले से नाराज हैं। उनका मानना है कि यह प्रवासियों के basic rights के खिलाफ है। Experts का कहना है कि इससे प्रवासियों को fair trial मिलने में दिक्कत होगी।

आगे क्या होगा?

Immigration policy पर असर

इस फैसले से अमेरिका की immigration policy और सख्त होगी। हो सकता है कि अब वो और ज्यादा देशों के साथ agreements करे। मतलब, प्रवासियों के लिए रास्ते और मुश्किल हो जाएंगे।

Human rights की चिंता

सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि प्रवासियों को अब legal support मिल पाएगा या नहीं। Refugees और migrants जो पहले से ही मुश्किल हालात में हैं, उनकी परेशानियां और बढ़ सकती हैं।

हमारी राय

ये फैसला अमेरिकी immigration policy में turning point साबित हो सकता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या security के नाम पर human rights को ignore किया जा सकता है? International level पर इस पर बहस होनी चाहिए। फिलहाल तो human rights activists और legal experts की प्रतिक्रियाएं ही आगे का रास्ता तय करेंगी।

Source: Dow Jones – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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