सुप्रीम कोर्ट का गुस्सा: ‘आप ये सब क्यों करते हैं…’ कार्टून पर भड़की अदालत!
अरे भाई, सुप्रीम कोर्ट ने तो इस बार गुस्से में दहाड़ दिया! अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस तो पुरानी है, लेकिन ये नया मामला कुछ ज्यादा ही दिलचस्प हो गया है। सच कहूं तो, जज साहबों का ये सवाल – “कुछ कलाकार, कार्टूनिस्ट और stand-up comedian अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर रहे हैं” – सुनकर तो लगा जैसे पूरा सोशल मीडिया ही चौंक गया होगा। असल में बात ये है कि हेमंत मालवीय नाम के कार्टूनिस्ट को अदालत ने अंतरिम राहत देने से मना कर दिया। और अब सवाल यही है कि क्या व्यंग्य और कला के नाम पर लोगों को नीचा दिखाना सही है? या फिर ये सच में free speech पर अंकुश लगाने की कोशिश है?
मामले की पृष्ठभूमि: क्या था विवाद?
देखिए, सारा झगड़ा तब शुरू हुआ जब हेमंत मालवीय ने एक कार्टून बनाया जिसमें PM मोदी और RSS को कुछ ऐसे दिखाया गया जो कुछ लोगों को पसंद नहीं आया। अब यहां दो बातें हैं – एक तरफ तो कार्टूनिस्ट का कहना है कि ये तो सिर्फ राजनीतिक व्यंग्य था, लेकिन दूसरी तरफ भाजपा और RSS वालों ने इसे राष्ट्रविरोधी बताकर पुलिस में शिकायत कर दी। और भई, IPC की धारा 153A और 505 तो ऐसे मामलों में तुरंत लागू हो ही जाती है न? सो पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए मालवीय को गिरफ्तार कर लिया। बस फिर क्या था, मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: “यह मजाक का विषय नहीं”
अब यहां कोर्ट ने जो कहा, वो तो किसी बम विस्फोट से कम नहीं था! जज साहबों ने साफ-साफ कह दिया कि “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब किसी को नीचा दिखाने की आजादी नहीं है।” और तो और, उन्होंने सीधे कार्टूनिस्ट से पूछा – “आप ये सब क्यों करते हैं? क्या आपको लगता है कि यह मजाक का विषय है?” सुनकर तो लगा जैसे कोर्ट का गुस्सा साफ झलक रहा हो। हालांकि, यहां एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या वाकई कला की आड़ में लोगों को टार्गेट करना सही है? या फिर ये सिर्फ एक कार्टूनिस्ट की नजर से देखी गई राजनीतिक सच्चाई थी?
प्रतिक्रियाओं का दौर: राजनीति से लेकर कलाकार तक
अब इस फैसले के बाद तो जैसे हर कोई अपनी-अपनी राय देने पर उतर आया है। भाजपा वाले तो खुश होकर बोल रहे हैं – “हमने तो पहले ही कहा था कि ये देश के खिलाफ है!” वहीं दूसरी तरफ, कार्टूनिस्ट और free speech वाले चिल्ला रहे हैं कि ये तो अभिव्यक्ति पर पूरी तरह प्रतिबंध है। मतलब साफ है – एक तरफ कानून-व्यवस्था का तर्क, दूसरी तरफ कलात्मक स्वतंत्रता का। और ईमानदारी से कहूं तो, दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हैं। पर सवाल ये है कि बैलेंस कहां है?
आगे की कार्रवाई: अब क्या होगा?
तो अब क्या? अब हेमंत मालवीय को निचली अदालत में जमानत के लिए भटकना पड़ेगा। और देखिए न, पुलिस तो अब chargesheet लेकर आने वाली है। कानून के जानकार कह रहे हैं कि ये मामला सिर्फ कोर्ट तक ही सीमित नहीं रहेगा – ये तो पूरे देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस छेड़ देगा। सच पूछो तो, ये सवाल बार-बार उठता रहता है – क्या हम कला और कानून के बीच सही संतुलन बना पाएंगे? या फिर ये बहस कभी खत्म ही नहीं होगी?
निष्कर्ष: एक बहस जो थमने वाली नहीं
देखा जाए तो, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने बस उस पुरानी बहस को फिर से जिंदा कर दिया है। एक तरफ समाज में शांति बनाए रखना जरूरी है, तो दूसरी तरफ लोकतंत्र में कलाकारों की आवाज भी तो महत्वपूर्ण है। मेरी नजर में, ये मामला अब कानूनी गलियारों से निकलकर सड़कों तक पहुंच जाएगा। और हां, एक बात तो तय है – ये चर्चा यहीं खत्म होने वाली नहीं। क्योंकि जब तक समाज है, तब तक अभिव्यक्ति और उसकी सीमाओं पर बहस भी रहेगी। है न?
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सुप्रीम कोर्ट का गुस्सा: जानिए क्या है पूरा मामला और आपके सवालों के जवाब
सुप्रीम कोर्ट को कार्टून पर इतना गुस्सा क्यों आया?
देखिए, असल में बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट को लगा कि ये कार्टून उनकी गरिमा के साथ खिलवाड़ कर रहा है। और सच कहूं तो, न्यायपालिका को लेकर ऐसी चीजें बनाना थोड़ा risky होता ही है। कोर्ट ने सीधे-सीधे पूछा – “आप ये सब क्यों कर रहे हैं?” और यहीं से पूरा विवाद शुरू हो गया।
आखिर इस कार्टून में था क्या?
अब यहां दिक्कत ये थी कि कार्टून में न्यायपालिका के काम करने के तरीके को एकदम अजीब ढंग से दिखाया गया था। ईमानदारी से कहूं तो, कुछ लोगों को ये funny लगा होगा, लेकिन कोर्ट ने इसे अपनी छवि पर हमला मान लिया। और सुप्रीम कोर्ट जैसी जगहों पर तो image की बात ही अलग होती है न?
क्या कार्टून बनाने वाले पर कोई केस होगा?
हो सकता है! कोर्ट ने साफ़-साफ़ कह दिया है कि ये contempt of court के दायरे में आता है। मतलब क्या? मतलब ये कि अगर कोर्ट को लगा कि इससे उसकी अवमानना हुई है, तो कार्टूनिस्ट और जिसने इसे publish किया, दोनों की खैर नहीं। जुर्माना तो लगेगा ही, शायद जेल भी हो सकती है। सीरियस मामला है ये।
अब आगे क्या होगा? क्या कार्टूनिस्ट के लिए कोई रास्ता बचा है?
अभी तो कोर्ट पूरे मामले की जांच करेगी। देखा जाए तो दो ही possibilities हैं – या तो कोर्ट को लगेगा कि ये सिर्फ़ एक मजाक था और मामला खत्म। नहीं तो… वैसे हालात बिगड़ते दिख रहे हैं। एक तरफ creative freedom की बात है, दूसरी तरफ कोर्ट की इज्जत का सवाल। क्या आपको नहीं लगता कि ये पूरा मामला बहुत दिलचस्प है?
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com