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“भूषण पावर केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: JSW स्टील्स को क्यों लगा झटका?”

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भूषण पावर केस: सुप्रीम कोर्ट ने JSW स्टील्स को दी राहत, पर सवाल अभी बाकी!

अरे भाई, भारत के स्टील सेक्टर का यह केस तो किसी रोलरकोस्टर से कम नहीं! सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया जिसने JSW स्टील्स को तो राहत दी ही, साथ ही 25,000 से ज्यादा कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान ला दी। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह फैसला आखिरी है? नहीं भई नहीं। 7 अगस्त को अगली सुनवाई है, और तब तक सब कुछ अनिश्चितता के घेरे में ही रहेगा।

स्टोरी की शुरुआत: जब कर्ज़ ने डुबो दिया कंपनी को

याद कीजिए 2017 का वक्त। भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) पर बैंकों का इतना कर्ज़ था कि कंपनी दिवालिया घोषित हो गई। सच कहूं तो यह तो होना ही था। लेकिन फिर 2019 में JSW स्टील्स ने ₹19,700 करोड़ की बोली लगाकर सबको चौंका दिया। बड़ी डील थी, बिल्कुल बॉलीवुड स्टाइल में!

पर यहां से कहानी और दिलचस्प हो जाती है। BPSL के पुराने मैनेजमेंट पर धोखाधड़ी के आरोप लगे। इतने गंभीर कि NCLT ने कंपनी बंद करने का आदेश दे दिया। सोचिए, एक झटके में हजारों लोग बेरोजगार होने वाले थे। मुश्किल वक्त था वह।

सुप्रीम कोर्ट ने बदली तस्वीर: पर कितनी देर के लिए?

तभी सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया और NCLT के आदेश को पलट दिया। जज साहब ने साफ कहा – “कंपनी बंद करना समाधान नहीं है।” एक तरफ तो JSW स्टील्स को राहत मिली, दूसरी तरफ कर्मचारियों की नौकरियां बच गईं। लेकिन… हमेशा एक लेकिन होता है न? 7 अगस्त को फिर सुनवाई होगी, और तब तक यह केस पूरी तरह सेटल नहीं हुआ है।

यह फैसला इसलिए भी खास है क्योंकि यह IBC (दिवाला कोड) के तहत एक नजीर बन सकता है। कानून के जानकारों की नजरें इस पर टिकी हैं। क्या यह केस भविष्य में दूसरी कंपनियों के लिए मिसाल बनेगा? देखना दिलचस्प होगा।

किसको क्या मिला? सबके अपने-अपने मतलब

JSW स्टील्स तो मानो जैसे चांद पर पहुंच गई! कंपनी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह निवेशकों और कर्मचारियों दोनों के हित में है। पर बैंकों की चिंता कम नहीं हुई। वे सोच रहे हैं – “अगर डील फाइनली नहीं हुई तो हमारा पैसा कहां जाएगा?”

सबसे ज्यादा खुशी कर्मचारियों को हुई है। उनके लिए तो यह फैसला जिंदगी-मौत का सवाल था। कर्मचारी नेताओं ने कोर्ट को धन्यवाद दिया है। पर मैं पूछता हूं – क्या यह खुशी लंबे समय तक टिक पाएगी? अगले कुछ हफ्ते ही असली जवाब देंगे।

अब आगे क्या? 7 अगस्त का इंतज़ार

अब सबकी नजरें 7 अगस्त पर हैं। कोर्ट को BPSL के अधिग्रहण से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार करना है। एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि यह केस स्टील इंडस्ट्री और IBC दोनों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।

अगर JSW स्टील्स की डील पूरी होती है तो? फिर तो BPSL के प्लांट फिर से चलने लगेंगे। स्टील सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। बैंकों को अपना पैसा वापस मिलने की उम्मीद बढ़ेगी। पर यह सब “अगर” पर टिका है।

एक बात तो तय है – यह केस सिर्फ एक कंपनी की कहानी नहीं है। यह पूरे कॉर्पोरेट इंडिया और दिवाला कानूनों की परीक्षा है। क्या होगा आगे? वक्त बताएगा। पर अभी के लिए, JSW और कर्मचारियों को थोड़ी राहत मिली है। बस।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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