18 महीने की शादी, 18 करोड़ एलिमनी? सुप्रीम कोर्ट ने कहा – ‘ये नहीं चलेगा!’
अरे भाई, सुप्रीम कोर्ट ने तो हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने तलाक के मामलों का पूरा गणित ही बदल दिया! सोचो जरा – सिर्फ डेढ़ साल की शादी के बाद 18 करोड़ रुपये की एलिमनी? कोर्ट ने इसे सीधे-सीधे “बकवास” कह दिया। और सच कहूं तो, ये फैसला सुनकर तो लगता है कि आखिरकार कोई तो है जिसने कॉमन सेंस का इस्तेमाल किया।
क्या था पूरा माजरा?
मामला कुछ यूं था – एक अमीर घराने की बहू ने तलाक के बाद ससुराल से 18 करोड़ की मांग रख दी। अब भला कोई बताए, डेढ़ साल में इतना पैसा कैसे बनता है? पति वाले तो मानो चौंक ही गए होंगे! लोअर कोर्ट और हाई कोर्ट ने थोड़ा-बहुत समझौता करने की कोशिश की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तो एकदम साफ कह दिया – “ये लूट की बात है, जायज मांग नहीं”। सच कहूं तो, ये तो वैसा ही है जैसे कोई Ola से सफर करके पूरी कार ही मांग बैठे!
कोर्ट ने क्या कहा खास?
जज साहब ने तो जैसे सबकी जुबान पर लगाम लगा दी। उन्होंने साफ कहा कि “एलिमनी का मतलब लाटरी जीतना नहीं होता”। और एक बात जो बहुत जमकर कही – अगर कोई स्वस्थ है और काम कर सकता है, तो सिर्फ पैसे के लिए बेरोजगार बने रहना कोई ऑप्शन नहीं है। आखिर में, कोर्ट ने एक संतुलित रकम तय की जो दोनों पक्षों के लिए मानी जा सकती थी।
लोग क्या कह रहे हैं?
अब यहां तो हर कोई अपनी-अपनी राय दे रहा है। वकीलों का कहना है कि ये “बैलेंस्ड जजमेंट” है, वहीं कुछ महिला संगठनों को लगता है कि इससे महिलाओं के हक कमजोर हो सकते हैं। पर सोशल मीडिया पर तो जैसे जश्न ही मन रहा है! लोग कह रहे हैं कि आखिरकार कोई तो है जिसने “पैसे वालों के खेल” को समझा।
आगे क्या होगा?
ये केस तो अब एक मिसाल बन चुका है। आने वाले समय में जब भी कोई बेतुकी एलिमनी की मांग करेगा, तो कोर्ट इसी फैसले को याद करेगा। और हां, एक बात तो तय है – अब तलाक के मामलों में “खुली लूट” का जमाना शायद खत्म हो गया है।
असल में देखा जाए तो, ये फैसला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। कि अब कानून को हथियार बनाकर मनमानी नहीं चलेगी। और ये बात… एकदम सही है!
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Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com