सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: कोचिंग सेंटरों की मनमानी पर लगाम, जानें पूरी डिटेल

सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग सेंटर्स की हदें तय कर दीं – अब क्या होगा?

आखिरकार! सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर लगाम लगाने का ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। और हाँ, यह कोई छोटा-मोटा आदेश नहीं है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अगले 60 दिनों में केंद्र सरकार को इन संस्थानों को रेगुलेट करने के लिए नए नियम बनाने होंगे। सच कहूँ तो, यह फैसला आने में बहुत देर हो चुकी थी। कितने सालों से students के साथ हो रही ज्यादतियाँ – फीस का खेल, मानसिक प्रताड़ना, झूठे वादे – सब पर अब रोक लगेगी।

असल में देखा जाए तो कोचिंग इंडस्ट्री एक जंगल की तरह हो चुकी थी। खासकर कोटा जैसे शहरों की कहानियाँ तो रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं। साल-दर-साल कितने होनहार students दबाव न सह पाने की वजह से… खैर, आप समझ ही रहे होंगे। हालांकि कुछ राज्यों ने गाइडलाइन्स जारी की थीं, पर वे कागजी ही रह गईं। अब शायद असली बदलाव आएगा।

कोर्ट के इस फैसले में कुछ बेहद दिलचस्प बातें हैं:
• फीस का एक तय स्ट्रक्चर – जिसका मतलब है अब कोई भी मनमर्जी की फीस नहीं वसूल पाएगा
• मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएँ अनिवार्य – यह तो बिल्कुल जरूरी था
• रजिस्ट्रेशन और निगरानी – जिससे बेलगाम संस्थानों पर नजर रखी जा सके

लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सब प्रैक्टिकली लागू हो पाएगा?

रिएक्शन्स तो मिले-जुले ही हैं। students और उनके पैरेंट्स खुश हैं – और होना भी चाहिए। वहीं कोचिंग वालों की मजबूरी भी समझ आती है। उनका कहना है कि इससे उनका बिजनेस मॉडल प्रभावित होगा। पर सच तो यह है कि पैसा कमाने और स्टूडेंट्स का भविष्य बनाने में बहुत फर्क होता है।

अब बारी सरकार की है। दो महीने के भीतर नियम बनाने हैं, और फिर…? नियम तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना या लाइसेंस रद्द करने जैसी कार्रवाई होगी। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह फैसला न सिर्फ students को सुरक्षा देगा, बल्कि पूरी इंडस्ट्री को एक सिस्टम के तहत लाएगा।

अंत में बस इतना – यह फैसला तारीफ के काबिल है, पर असली परीक्षा तो अब शुरू होगी। जब नियम लागू होंगे, तभी पता चलेगा कि क्या वाकई बदलाव आया है या फिर सब कागजों तक ही सीमित रह गया। आपको क्या लगता है? क्या यह सिस्टम बदल पाएगा?

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कोचिंग सेंटर्स के लिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या नए नियम थोपे हैं?

देखिए, अब कोचिंग वाले बच्चों के साथ जो मनमर्जी करते थे, वह नहीं चलेगा। कोर्ट ने साफ कह दिया है – भईया, फीस का ठिकाना होना चाहिए, झूठे दावे बंद होंगे, और students का शोषण तो बिल्कुल नहीं! अब हर कोचिंग को अपनी फीस पारदर्शी तरीके से बतानी होगी और guidelines का पालन करना होगा। सीधा सा मतलब – अब रामभरोसे नहीं चलेगा।

सवाल यह है कि क्या इस फैसले से कोचिंग की फीस में सच में कमी आएगी?

असल में देखा जाए तो कोर्ट ने एकदम सही कदम उठाया है। अब कोचिंग वाले मनमाने ढंग से फीस नहीं बढ़ा सकते। जैसे हमारे यहाँ राशन की कीमतें कंट्रोल होती हैं, वैसे ही कोचिंग फीस पर भी लगाम लगेगी। Parents की जेब पर जो बोझ पड़ रहा था, उसमें ज़रूर राहत मिलेगी। लेकिन… हमेशा की तरह एक ‘लेकिन’ तो होता ही है न?

ये नियम कब से लागू होंगे? क्या अभी से ही बदलाव दिखने लगेंगे?

तो भईया, कोर्ट का आदेश तो तुरंत लागू हो गया है – एकदम झट से! पर हम भारतीय हैं न, सबको थोड़ा समय तो चाहिए ही। कोचिंग सेंटर्स को नए सिस्टम में ढलने के लिए कुछ वक्त मिलेगा। मतलब यह कि अगले कुछ हफ्तों में धीरे-धीरे बदलाव दिखने लगेंगे।

अरे भई, अगर कोई कोचिंग वाला इन नियमों को तोड़े तो क्या करें?

सुनो सुनो, अगर कोई कोचिंग वाला ‘छात्र जीवन भर मेहनत करो’ वाला नारा देकर खुद मेहनत से भाग रहा है, तो उसकी शिकायत करने में हिचकिचाएं मत! Education authorities के पास जाइए, consumer court का दरवाज़ा खटखटाइए। कोर्ट ने तो साफ कह दिया है – नियम तोड़ोगे तो पछताओगे। एकदम स्ट्रिक्ट एक्शन होगा। सच कहूँ तो, इस बार लगता है सिस्टम सच में बदलेगा!

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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