स्वच्छ भारत मिशन: 11 साल बाद, क्या बदला और क्या बाकी है?
आज ‘मन की बात’ में PM मोदी ने फिर से एक बात जोर देकर कही – स्वच्छता सिर्फ सरकार का काम नहीं, हम सबकी ज़िम्मेदारी है। और सच कहूं तो, यह बात अब सिर्फ नारा नहीं रह गई है। देखा जाए तो पिछले 11 साल में यह अभियान एक सरकारी योजना से कहीं बड़ा बन चुका है। लेकिन क्या आपको याद है कि यह सब कैसे शुरू हुआ था?
वो शुरुआती दिन… जब टॉयलेट बनाना भी मुश्किल था!
2 अक्टूबर 2014 – गांधी जयंती के दिन जब यह मिशन शुरू हुआ, तो लोग हंसते थे। “अरे भई, पहले रोटी दो, फिर शौचालय की बात करो!” वाली मानसिकता थी। लेकिन आज? 10 करोड़ से ज़्यादा टॉयलेट्स! 6 लाख गांव ODF घोषित! ये कोई छोटी बात नहीं है। हालांकि, अभी भी कहीं-कहीं लोगों को लगता है कि ये सब दिखावा है। पर UN के सामने 100% कवरेज का दावा करना… ये तो कुछ कहता है न?
‘मन की बात’ में क्या खास रहा?
आज का एपिसोड सुनकर एक बात क्लियर हो गई – स्वच्छता अब सिर्फ शौचालय बनाने तक सीमित नहीं रही। इंदौर, सूरत जैसे शहरों की सफलता की कहानियां तो अब हम सब जानते हैं। लेकिन PM ने आज जिस बात पर ज़ोर दिया, वो थी प्लास्टिक की समस्या। “गंदगी भारत छोड़ो” वाला नारा फिर से याद दिलाया गया। और सच बताऊं? अब तो हमें waste management और वेस्ट टू वेल्थ जैसी चीज़ों के बारे में भी सोचना होगा।
लोग क्या कह रहे हैं – गुड, बैड और उलझे हुए
एक तरफ तो इंदौर के मेयर का गर्व – “7 बार लगातार टॉप रैंकिंग!” वहीं कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की चिंता – “गांवों में अभी भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है।” सच्चाई शायद इन दोनों के बीच कहीं है। मंत्री जी का कहना है कि इससे स्वास्थ्य और सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है… जो सही भी लगता है। पर क्या अब हमें जल संरक्षण और बायो-टॉयलेट्स जैसी चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए? शायद हां।
अब आगे क्या? स्वच्छ भारत 2.0!
अब सरकार waste management, सीवेज ट्रीटमेंट और यहां तक कि हवा की गुणवत्ता पर भी फोकस कर रही है। 2024-25 तक वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स का टार्गेट रखा गया है। लेकिन असली सवाल ये है कि क्या हम daily life में स्वच्छता को अपना पाएंगे? टेक्नोलॉजी और जनभागीदारी का ये कॉम्बिनेशन… यही तो आगे का रास्ता है। एकदम सही कहा न?
यह भी पढ़ें:
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com