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चिप्स की जंग में ताइवान ने बढ़ाई रफ्तार, क्या बदलेगा ग्लोबल टेक गेम?

चिप्स की जंग में ताइवान ने रफ्तार पकड़ी, अब टेक वर्ल्ड का क्या होगा?

बैकग्राउंड

ताइवान और चीन की टेक वॉर अब खुलकर सामने आ रही है। असल में, ताइवान चिप्स मैन्युफैक्चरिंग में दुनिया का बॉस है, खासकर TSMC (Taiwan Semiconductor Manufacturing Company) की वजह से। अब ताइवान ने Huawei और SMIC जैसी चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। ये मूव तब आया है जब अमेरिका भी चीन की टेक कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है।

ताइवान: चिप्स की दुनिया का अंडरडॉग हीरो

TSMC – जिसके बिना टेक इंडस्ट्री अधूरी

TSMC दुनिया का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर प्लेयर है। हैरानी की बात ये कि ग्लोबल मार्केट में इसका 54% शेयर है! Apple, Qualcomm और NVIDIA जैसी बड़ी कंपनियां इसी पर निर्भर हैं। सीधे शब्दों में कहें तो, आपका फोन चले या लैपटॉप, TSMC के बिना सब अधूरा है।

ताइवान का गेम चेंजिंग मूव

चिप्स में सेल्फ-रिलायंस की वजह से ताइवान ने अमेरिका-चीन के बीच की जंग में अपनी अहमियत बना ली है। दिलचस्प बात ये कि दोनों सुपरपावर्स TSMC पर डिपेंड हैं।

चीन के खिलाफ ताइवान का बड़ा कदम

Huawei और SMIC को बैन करने का मतलब?

ताइवान ने हाल में ही Huawei और SMIC पर बैन लगा दिया। ये फैसला उसकी नेशनल सिक्योरिटी और टेक्नोलॉजी को प्रोटेक्ट करने के लिए लिया गया है। ताइवान को डर है कि ये कंपनियां उसकी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुरा सकती हैं।

अमेरिका के साथ टैग टीम बनाने की कोशिश?

अमेरिका पहले से ही इन चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा चुका है। ताइवान का ये कदम अमेरिका के साथ रिलेशन्स और मजबूत कर सकता है। देखना ये है कि क्या ये ग्लोबल टेक इंडस्ट्री में नया अलायंस बनाएगा।

दुनिया की टेक इंडस्ट्री पर क्या असर होगा?

सप्लाई चेन में भूचाल आ सकता है

ताइवान के इस फैसले से सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन पूरी तरह बदल सकती है। अब देश चीन पर अपनी निर्भरता कम करने लगे हैं। इसी वजह से भारत, अमेरिका और यूरोप में नए मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकते हैं।

टेक्नोलॉजी रेस का नया चैप्टर

चीन अपने खुद के चिप्स बनाने में जुटा है, लेकिन ताइवान और अमेरिका अभी भी आगे हैं। ये प्रतिस्पर्धा आने वाले सालों में टेक वर्ल्ड का नक्शा ही बदल सकती है।

आखिर में

ताइवान का ये कदम टेक इंडस्ट्री के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है। चिप्स वॉर सिर्फ टेक्नोलॉजी को ही नहीं, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए नए मौके भी लाएगी। अब देखना ये है कि भारत इस मौके का फायदा उठाकर अपनी टेक क्षमताओं को कैसे बढ़ाता है।

Source: Financial Times – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com

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