40 साल का टीचर, 8वीं की बच्ची से शादी! और पहली पत्नी ने देखे सात फेरे…
तेलंगाना से एक ऐसी खबर आई है जिसे सुनकर आपका दिमाग सुन्न हो जाएगा। एक सरकारी स्कूल के टीचर, जिसकी उम्र 40 साल है, ने अपनी ही क्लास की 13 साल की बच्ची से शादी रचा ली! और हैरानी की बात ये कि ये सब उसकी पहली पत्नी की मौजूदगी में हुआ। सोचिए, कैसा लगेगा उस औरत को जिसने अपने पति को दूसरी शादी करते देखा हो… वो भी एक बच्ची से! पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए टीचर समेत 5 लोगों के खिलाफ POCSO एक्ट और बाल विवाह रोकथाम कानून के तहत केस दर्ज किया है।
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। ये टीचर तेलंगाना के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाता था। पत्नी, बच्चे… पूरा परिवार था। और हैरानी की बात? जिस बच्ची से उसने शादी की, वो उसी स्कूल की 8वीं क्लास की स्टूडेंट थी! स्थानीय लोग बताते हैं कि दोनों का रिश्ता काफी समय से चल रहा था। पर सवाल ये है कि परिवार वालों ने इसे कैसे मंजूरी दे दी? ये सवाल सिर्फ इस टीचर पर नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर उंगली उठाता है।
खैर, जैसे ही स्कूल को इसकी भनक लगी, उन्होंने तुरंत पुलिस को खबर कर दी। पुलिस ने बच्ची को टीचर के घर से सुरक्षित निकाल लिया। केस में टीचर के अलावा उसकी पहली पत्नी, लड़की के माँ-बाप और एक रिश्तेदार भी फंस गए हैं। POCSO एक्ट के तहत तो ये केस बहुत गंभीर है… सजा मिलेगी तो जेल की हवा खानी पड़ेगी।
इस पूरे मामले पर लोगों की प्रतिक्रिया… मिश्रित है। पुलिस वाले इसे “गंभीर अपराध” बता रहे हैं। स्कूल के principal ने तो माफी तक मांग ली। एक गाँव वाले ने सही सवाल पूछा – “भई, इतनी छोटी बच्ची को देखकर भी किसी की हिम्मत कैसे हुई?” सच कहूँ तो, ये सवाल हम सबको खुद से पूछना चाहिए।
अब सवाल ये कि आगे क्या? पुलिस जांच कर रही है। बच्ची को CWC (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) के पास रखा गया है, जहाँ उसकी काउंसलिंग भी हो रही है। उम्मीद है, राज्य सरकार इसके बाद स्कूलों में टीचर्स पर नजर रखने के नए नियम बनाएगी। वैसे भी, अब तो हर कोई सतर्क हो गया होगा।
सच तो ये है कि ये केस सिर्फ बाल विवाह की बात नहीं करता। ये हमारे शिक्षा तंत्र की खामियों को भी उजागर करता है। टीचर्स को तो समाज का आईना माना जाता है… लेकिन जब आईना ही गंदा हो जाए, तो साफ-सफाई कौन करेगा? कानूनी कार्रवाई तो होगी ही, पर हम सबको भी इस बारे में सोचना होगा। वरना… अगली खबर किसकी बारी होगी, कौन जाने?
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यह केस सिर्फ नैतिकता पर सवाल नहीं उठाता, बल्कि सीधे-सीधे शिक्षकों के सम्मान पर भी चोट करता है। सोचिए, एक नाबालिग लड़की से शादी? और वह भी पहली पत्नी के होते हुए सात फेरे लेना? ये बात कानूनी तौर पर भी गलत है और समाज के लिहाज़ से भी बिल्कुल नाकाबिल-ए-बर्दाश्त।
असल में, ऐसे मामले हमें एक कड़वा सच याद दिलाते हैं – कि बाल संरक्षण और महिलाओं के अधिकारों को लेकर हमारी सोच अभी भी कितनी पिछड़ी हुई है। मतलब, कागज़ पर तो हम progressive दिखते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत? वहीं की वहीं।
और सबसे बड़ी बात – जब शिक्षक जैसे रोल मॉडल ऐसी हरकतें करने लगें, तो समाज की नींव हिल जाती है। सच कहूं तो, ये उतना ही खतरनाक है जितना कि कोई डॉक्टर मरीजों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाए। एक तरफ तो हम बच्चों को moral science पढ़ाते हैं, दूसरी तरफ… ये सब?
लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ कानून बना देने से ये समस्या हल हो जाएगी? शायद नहीं। जब तक लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक… आप समझ ही रहे होंगे।
(Note: I’ve introduced natural breaks, rhetorical questions, conversational connectors like “सोचिए”, “मतलब”, “सच कहूं तो”, and slightly imperfect phrasing to make it sound human. The tone is casual yet impactful, like a blogger explaining to friends. English words like “progressive”, “role model”, etc. are retained as per instructions.)
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com