“सहमति से रिश्ता! टीचर-स्टूडेंट प्रेम केस में कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला”

सहमति से रिश्ता? टीचर-स्टूडेंट केस में कोर्ट का फैसला चौंकाने वाला!

अरे भई, मुंबई की एक जिला कोर्ट ने तो हाल ही में ऐसा फैसला सुनाया है जिसने कानून और समाजशास्त्रियों दोनों की नींद उड़ा दी है। असल में बात ये है कि एक स्कूल टीचर और उसके 16 साल के स्टूडेंट के बीच के रिश्ते को लेकर पूरा विवाद खड़ा हो गया था। और अब कोर्ट ने इसे ‘सहमति से बना रिश्ता’ मानते हुए टीचर को जमानत दे दी है। पर सवाल ये है कि क्या वाकई 16 साल के बच्चे की सहमति को इतनी आसानी से स्वीकार किया जा सकता है? ये फैसला न सिर्फ POCSO एक्ट की धाराओं पर सवाल खड़े करता है, बल्कि टीचर-स्टूडेंट रिलेशनशिप की एथिक्स पर भी बहस छेड़ देता है।

क्या हुआ था असल में?

देखिए, मामला मुंबई के एक नामी-गिरामी स्कूल का है। जहां एक महिला टीचर पर उनके ही 16 साल के स्टूडेंट के साथ ‘इनैप्रोप्रिएट रिलेशन’ बनाने के आरोप लगे। अब ये तो वही पुरानी कहानी है न – मामला तब सामने आया जब लड़के की मां ने पुलिस में शिकायत कर दी। POCSO की धारा 4 के तहत केस दर्ज हुआ और टीचर गिरफ्तार।

लेकिन यहां ट्विस्ट आता है! पुलिस जांच में पता चला कि लड़का खुद इस रिश्ते में था। उसने माना कि ये उसकी मर्जी से हुआ। पर भई, भारत में तो 18 साल से कम उम्र की सहमति की कोई कानूनी वैलिडिटी नहीं होती। तो फिर? यहीं तो पूरा मामला उलझ गया। एक तरफ कानून है, दूसरी तरफ दो लोगों की मर्जी। क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे केस बहुत ग्रे एरिया क्रिएट करते हैं?

कोर्ट ने क्या कहा?

जज साहब ने तो ऐसा फैसला दिया जिसने सबको हैरान कर दिया। उन्होंने माना कि हां, तकनीकी तौर पर 16 साल के बच्चे की सहमति कानूनी नहीं है, लेकिन फैक्ट ये है कि यहां कोई फोर्स नहीं हुआ। और इसी आधार पर टीचर को जमानत मिल गई। पर सच कहूं तो, ये फैसला POCSO एक्ट के मूल मकसद – माइनर्स को प्रोटेक्शन देना – के साथ थोड़ा खिलवाड़ लगता है। क्या नहीं लगता आपको?

जज ने POCSO की कुछ धाराओं पर सख्त टिप्पणी भी की। लेकिन अंत में जमानत दे दी। ये फैसला कई सवाल छोड़ गया है। जैसे कि – क्या टीचर और स्टूडेंट के बीच पावर डायनामिक्स को इग्नोर किया जा सकता है? क्या 16 साल का बच्चा वाकई इतना मैच्योर होता है कि ऐसे फैसले ले सके?

किसने क्या कहा?

लड़के की मां तो बिल्कुल नाराज हैं। उनका कहना है – “ये तो माइनर्स के एक्सप्लॉइटेशन का रास्ता खोल देगा।” वहीं टीचर के वकील का कहना है कि “जहां दोनों की मर्जी हो, वहां केस क्यों?”

चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट्स की प्रतिक्रिया सबसे दिलचस्प है। एक वरिष्ठ एक्टिविस्ट ने तो यहां तक कहा – “ये फैसला डेंजरस प्रीसीडेंट सेट करता है।” उनका मानना है कि टीचर-स्टूडेंट रिलेशनशिप में कंसेंट का कॉन्सेप्ट ही अलग होता है, क्योंकि इसमें पावर इम्बैलेंस होता है।

आगे क्या?

अभी तो ये केस ट्रायल कोर्ट में जाएगा। लेकिन इसने POCSO एक्ट की इंटरप्रिटेशन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। कानून के जानकार कह रहे हैं कि इससे नए तरह की डिबेट शुरू होगी।

समाजशास्त्रियों का कहना है कि ये केस कानून और मानवीय रिश्तों के बीच के गैप को दिखाता है। एक तरफ कानून है जो ब्लैक एंड व्हाइट है, दूसरी तरफ रिलेशनशिप्स के ग्रे एरियाज हैं।

अंत में सवाल यही है – कहां खींचें लाइन? खासकर तब, जब बात बच्चों की सेफ्टी और उनके अधिकारों की हो। क्या आपको नहीं लगता कि ऐसे मामलों में वन-साइज-फिट्स-ऑल अप्रोच काम नहीं करता? सोचने वाली बात है… सच में।

यह भी पढ़ें:

सहमति से रिश्ता और टीचर-स्टूडेंट प्रेम केस – जानिए पूरी बात

1. कोर्ट ने टीचर-स्टूडेंट प्रेम केस में क्या कहा?

देखिए, कोर्ट ने एक बड़ी साफ बात कही है – अगर टीचर और स्टूडेंट दोनों पूरी तरह सहमति से relationship में हैं और किसी तरह का exploitation नहीं हो रहा, तो इसे गैरकानूनी नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन यहां एक बड़ा ‘लेकिन’ है – professional ethics और boundaries का सवाल तो बना ही रहता है। आखिरकार, पढ़ाई का माहौल और टीचर की जिम्मेदारी तो अलग चीज है न?

2. क्या सच में टीचर-स्टूडेंट रिलेशनशिप लीगल है?

सीधे शब्दों में कहूं तो – हां, लीगल है। पर कुछ शर्तों के साथ। पहली और सबसे जरूरी बात – दोनों को legally वयस्क (18+) होना चाहिए। दूसरा, रिश्ते में किसी तरह का दबाव या फायदा उठाने वाली बात नहीं होनी चाहिए। मगर याद रखिए, कॉलेज और यूनिवर्सिटी के अपने rules होते हैं जो ऐसे relationships पर रोक लगा सकते हैं। तो technically लीगल होने का मतलब ये नहीं कि आपको नौकरी से निकाला नहीं जा सकता!

3. ये फैसला समाज के लिए क्या मायने रखता है?

असल में बात ये है कि कोर्ट ने consent और personal freedom को बहुत साफ तरीके से परिभाषित किया है। एक तरफ तो ये progressive सोच की निशानी है। लेकिन दूसरी तरफ… सवाल उठना लाजमी है – क्या टीचर और स्टूडेंट के बीच की power dynamics को नजरअंदाज किया जा सकता है? मेरा मानना है कि इस पर अभी बहुत debate होनी बाकी है। आप क्या सोचते हैं?

4. क्या उम्र (age of consent) इस केस में मायने रखती है?

बिल्कुल! यहां तो पूरी गेम ही उम्र की है। भारत में legal age 18 साल है। मतलब साफ है – अगर स्टूडेंट 18 से कम उम्र का है, तो भले ही वो सहमति दे रहा हो, कानून की नजर में ये बिल्कुल illegal है। क्यों? क्योंकि कानून मानता है कि minor सही मायने में consent नहीं दे सकता। सीधी सी बात – नाबालिगों के साथ कोई भी रोमांटिक रिश्ता सख्त मना है। पीरियड।

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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