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“लॉर्ड्स की ट्रिकी पिच पर टीम इंडिया की रणनीति! बल्लेबाजी कोच सितांशु कोटक ने खोले राज”

लॉर्ड्स की धोखेबाज़ पिच और टीम इंडिया की जुगत! कोच कोटक ने बताई वो बातें जो आपको जाननी चाहिए

अरे भाई, क्रिकेट के इस मंदिर में खेलना कोई आसान बात नहीं! लॉर्ड्स की पिच तो जैसे अपने मूड स्विंग्स के लिए मशहूर है – कभी बल्लेबाजों का दोस्त, कभी दुश्मन। सच कहूँ तो यहाँ केवल तकनीक ही नहीं, दिमाग़ी कसरत भी चाहिए। और अब जब टीम इंडिया के बल्लेबाजी कोच सितांशु कोटक ने अपनी रणनीति के कुछ कार्ड खोले हैं, तो समझिए मैच से पहले ही मज़ा शुरू हो गया! चलिए, आज बात करते हैं कि ये ‘होली ग्रेल’ ऑफ क्रिकेट अपने अंदर क्या छुपाए बैठी है, और हमारे लड़के इस बार कैसे पासा पलट सकते हैं।

लॉर्ड्स पिच: एक कपटी प्रेमिका की तरह

देखिए न, ये पिच शुरुआती ओवरों में तो ऐसी नटखट होती है जैसे कोई नई-नवेली दुल्हन! स्विंग? हद कर देती है। सीम मूवमेंट? बल्लेबाजों की नींद उड़ा देता है। और तो और, कभी-कभी तो गेंद अचानक ऐसे उछलती है जैसे कोई स्प्रिंग लगा हो। है न मज़ेदार? पर असल मज़ा तो तब है जब पहले दिन सुबह की नमी में गेंदबाजों को मिलता है एक्स्ट्रा ‘लाइफ’। ऐसे में बल्लेबाजों को वैसा ही सतर्क रहना पड़ता है जैसे बारिश में बिजली के खंभे से चिपके किसी बंदर को!

अब सच्चाई ये है कि हमारी टीम का यहाँ रिकॉर्ड थोड़ा… एम… मिक्स्ड रहा है। कभी धोनी ने यहाँ जादू बिखेरा तो कभी पूरी लाइनअ� धराशायी हो गई। पर याद रखिए, सिर्फ़ हमारा ही नहीं, हर टीम के लिए ये मैदान एक ‘अल्टीमेट टेस्ट’ की तरह है। तकनीक + दिमाग़ = सफलता का यहाँ फॉर्मूला है।

कोच कोटक का मंत्र: “पहले जियो, फिर खेलो”

अब सुनिए हमारे कोच साहब क्या कहते हैं। उनका पहला नियम तो यही है – “भैया, पहले 15-20 ओवर तक अपने शॉट्स पर ब्रेक लगाओ!” वो कहते हैं कि लॉर्ड्स में टेस्ट क्रिकेट की असली परीक्षा यही है कि आप कितने धैर्यवान हैं। एक तरफ तो फ्रंट फुट पर खेलने की तैयारी रखो, दूसरी तरफ बैक फुट पर भी तैयार रहो। ये वो जगह है जहाँ ‘हाफ-कॉक्ड’ शॉट्स खेलने वालों को सबक मिलता है।

और हाँ, एक बात और – यहाँ ‘खेल-खेल में’ वाला अंदाज़ काम नहीं चलता। कोटक साफ़ कहते हैं कि हर गेंद को उसकी मेरिट के हिसाब से ट्रीट करो। वैसे भी, क्या पता कब पिच आपको ‘गुड मॉर्निंग’ कहने के बजाय ‘गुडबाय’ कह दे!

टीम इंडिया की तैयारी: सिमुलेशन से लेकर साइकोलॉजी तक

नेट प्रैक्टिस? वो तो बेसिक है। असली बात ये है कि हमारे लड़के अब ‘वर्चुअल लॉर्ड्स’ पर बैटिंग कर रहे हैं! जी हाँ, कोचिंग स्टाफ ने यहाँ की पिच की हूबहू नकल तैयार करवाई है। और सिर्फ़ तकनीक ही नहीं, मेंटल कोच भी लगे हुए हैं ये सुनिश्चित करने के लिए कि बल्लेबाजों का आत्मविश्वास ‘विकेट की तरह’ न गिरे।

सबसे मज़ेदार बात? कोचिंग टीम ने एक नया नियम बनाया है – “पार्टनरशिप पूजा”। अरे भाई, यहाँ सिंगल्स से काम नहीं चलता, डबल्स या ट्रिपल्स चाहिए! क्योंकि जैसे हमारे देश में ‘जुगाड़’ चलता है, वैसे ही लॉर्ड्स में ‘जुगलबंदी’ चलती है।

पिछली गलतियाँ: जिन्हें भूलना नहीं, याद रखना है

ईमानदारी से कहूँ तो हमारे पास लॉर्ड्स से सीखने को बहुत कुछ है। जिन बल्लेबाजों ने यहाँ शतक मारे, उन्होंने एक चीज़ कॉमन की थी – अनुशासन। और जो फ्लॉप हुए? उनकी गलती थी – जल्दबाजी। अब कोचिंग टीम ने इन्हीं गलतियों को ‘हाइलाइट’ करके एक ‘डोंट्स’ लिस्ट बनाई है। मजेदार बात ये कि नेट प्रैक्टिस में अब बल्लेबाजों को जानबूझकर ऐसी ट्रिकी गेंदें डाली जाती हैं जो पहले उन्हें परेशान करती थीं। स्मार्ट न?

आखिरी बात: संतुलन ही सफलता की कुंजी

तो दोस्तों, निष्कर्ष ये कि लॉर्ड्स में आपको ब्रैडमैन बनने की ज़रूरत नहीं, बस थोड़ा ब्रैडमैन और थोड़ा योगी बनना है! धैर्य और आक्रामकता का सही मिश्रण ही यहाँ काम आएगा। कोच कोटक की सलाह और टीम की इस नई तैयारी को देखते हुए, लगता है इस बार हमारे बल्लेबाज ‘लॉर्ड्स के लॉर्ड’ बनने आए हैं। वैसे भी, जब तक मैच खत्म नहीं होता, तब तक क्रिकेट का मज़ा ही क्या?

आपकी बारी!

अब बताइए आप क्या सोचते हैं? क्या इस बार हमारे बल्लेबाज लॉर्ड्स की इस कपटी पिच को ‘हुकुम’ दिखा पाएँगे? या फिर ये पिच एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाएगी? नीचे कमेंट्स में अपनी भविष्यवाणियाँ ज़रूर शेयर करें – चाहे वो हिट हों या मिस! और हाँ, अगर आपको लगता है कि मैंने कोई पॉइंट मिस किया है तो बताना मत भूलिएगा। आखिर क्रिकेट की बातचीत तो दोतरफा होनी चाहिए, है न?

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अब बात करते हैं Lord’s की उस पिच की, जिसे खेलना किसी चुनौती से कम नहीं। Team India के सामने यह आसान नहीं होगा, ये तो हम सब जानते हैं। लेकिन Coach Sitanshu Kotak का अनुभव और हमारे बल्लेबाजों की मेहनत – यही वो कॉम्बिनेशन है जो गेम बदल सकता है। सच कहूँ तो, यहाँ सिर्फ तकनीक ही काफी नहीं… patience और adaptability भी उतनी ही ज़रूरी है। जैसे किसी tightrope पर चलना हो – एक पल की भी ग़लती भारी पड़ सकती है।

और हाँ, tips और रणनीति तो सोने पर सुहागा वाली बात है। मैच जीतने के लिए ये सब मायने रखेगा, यकीनन। पर सबसे बड़ी बात? हमारा support! क्योंकि जब पूरा देश साथ दे, तो जीत और भी मीठी लगती है। तो क्या कहते हैं – चलो, एक बार फिर #TeamIndia के लिए चिल्लाते हैं! 🔥

(Note: मैंने यहाँ कुछ deliberate imperfections छोड़े हैं – जैसे थोड़ा colloquial flow, rhetorical questions, और emotional appeal जोड़ा है। साथ ही, sentence length को vary किया है जैसे “सच कहूँ तो…” वाला छोटा वाक्य। English words को original form में रखा गया है।)

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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