तेज प्रताप पर सियासी सन्नाटा: नई पार्टी या सीट का ऐलान क्यों टाल रहे हैं?
अरे भई, बिहार की राजनीति में इन दिनों तेज प्रताप यादव को लेकर क्या कयासबाजी चल रही है ना? वो भी ऐसे जैसे IPL के playoffs से पहले टीम कॉम्बिनेशन को लेकर अटकलें चलती हैं। नई पार्टी बनाने की बात हो या 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए सीट चुनने का सवाल – दोनों ही मामलों में उनकी चुप्पी सियासी गलियारों में सनसनी फैला रही है। सच कहूं तो, ये अनिर्णय उनके लिए दोगला खेल साबित हो सकता है। एक तरफ तो वो खुद को स्वतंत्र नेता साबित करना चाहते हैं, पर दूसरी तरफ कदम उठाने से हिचकिचा रहे हैं। है ना मजेदार बात?
पूरा माजरा क्या है? समझिए असली कहानी
देखिए, तेज प्रताप को हम सब जानते हैं – लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री, और जिनकी मुखरता के किस्से तो अब legend बन चुके हैं। पर पिछले कुछ महीनों से ये क्या हाल है? जैसे कोई PUBG का प्लेयर अचानक से passive हो जाए। 2024 के Lok Sabha चुनाव में तो उनकी भूमिका लगभग नगण्य थी, जबकि छोटे भाई तेजस्वी पूरे जोर-शोर से campaign कर रहे थे। अब सवाल यह है कि क्या यह सब जानबूझकर किया गया silence है या फिर कोई बड़ा move करने से पहले की रणनीति? ईमानदारी से कहूं तो, अभी तक तो कुछ भी clear नहीं हुआ है।
ताजा हालात: क्या चल रहा है backstage?
अभी कुछ दिन पहले ही तेज प्रताप ने नई पार्टी बनाने की इशारा भरी बात कही थी। पर यार, बात तो हर कोई करता है – असली मायने तो तब हैं जब कोई ठोस announcement हो। और विधानसभा चुनाव के लिए सीट का मामला? वो तो अभी तक suspense thriller बना हुआ है। Political experts की मानें तो वो खुद को RJD से अलग दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, पर ये सब बातें WhatsApp university level की अटकलें लगती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वो Yadav vote bank को split करने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं दूसरों को लगता है कि ये सब pressure tactics हो सकता है। असल बात तो वक्त ही बताएगा।
कौन क्या बोला? Reactions का हाल
RJD के नेताओं की तो ऐसी हालत है जैसे किसी family function में रिश्तेदारों के बीच झगड़ा हो गया हो। कुछ उन पर “राजनीति का नौसिखिया” होने का लेबल चिपका रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि ये पार्टी के अंदर की बगावत है। BJP वाले तो मौके की ताक में हैं – उन्होंने इसे “यादव परिवार की आपसी लड़ाई” बताकर issue को और हवा दे दी है। Social media पर भी दोनों तरफ के supporters अपने-अपने तर्कों से लैस हैं। कुछ युवा तेज प्रताप के इस नए अंदाज को सपोर्ट कर रहे हैं, वहीं पुराने RJD वाले उन पर भरोसा नहीं कर पा रहे। एकदम मजेदार स्थिति!
अब आगे क्या? Possible Scenarios
अगर तेज प्रताप जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाते, तो ये उनकी image के लिए बिल्कुल वैसा ही होगा जैसे बिना practice के कोई cricketer मैच में उतर जाए। नई पार्टी बनाने की स्थिति में Yadav votes का बंटवारा तो होगा ही, साथ ही BJP को advantage मिल सकता है। वहीं अगर RJD में ही रहते हैं, तो उन्हें पार्टी में stronger role की मांग करनी होगी – वरना उनकी political relevance धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। अगले कुछ महीने तेज प्रताप के लिए make or break साबित होंगे। सच कहूं तो, ये उनके career का सबसे बड़ा turning point हो सकता है।
आखिर में बस इतना कहूंगा कि तेज प्रताप अभी political chess के ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां हर चाल का असर सिर्फ उन पर नहीं, पूरे बिहार की राजनीति पर पड़ेगा। अब देखना ये है कि ये young leader इस challenge को कैसे handle करता है। क्योंकि राजनीति में, जैसा कि हम सब जानते हैं, timing ही सब कुछ होती है।
तेज प्रताप पर मंडराते सवालों के बादल – जानिए क्या है पूरा मामला
आखिर क्यों ले रहे हैं तेज प्रताप इतना वक्त? नई पार्टी या सीट का ऐलान करने में
देखिए, मामला सीधा सा नहीं है। तेज प्रताप के चुप्पी साधे रहने के पीछे कई layers हो सकते हैं। एक तरफ तो political strategy है – शायद वो अपने next move को लेकर बेहद cautious हैं। दूसरी तरफ, यादव परिवार के अंदरूनी discussions भी चल रहे होंगे। सच कहूं तो, अभी सही समय का इंतज़ार हो सकता है। जैसे हमारे यहां कहते हैं – “अच्छे काम के लिए दो बार सोचना पड़ता है।”
BJP में जाएंगे या नहीं? यही है बड़ा सवाल!
अभी तक तो कोई official बात सामने नहीं आई है। लेकिन राजनीति के जानकारों की राय कुछ और ही कहती है। कुछ का मानना है कि वो अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं – जैसा कि उनके पिता ने किया था। वहीं कुछ experts का कहना है कि कोई regional party उन्हें अपने साथ मिला सकती है। पर सच्चाई यह है कि अभी सब कुछ unclear है। जैसे मेरे दादाजी कहते थे – “राजनीति में कुछ भी तय नहीं होता, जब तक हो न जाए!”
इतनी देरी का क्या मतलब? Political समझदारी या फिर…
असल में, ये देरी कई संकेत दे रही है। पहला तो ये कि तेज प्रताप अपनी political base को मजबूत करने में लगे होंगे। दूसरा, वो चाहते होंगे कि जब भी कोई बड़ा ऐलान करें, उसका धमाकेदार असर हो। एक तरह से देखें तो ये एक calculated move है। पर सवाल यह उठता है – क्या जनता इतना इंतज़ार करेगी? क्योंकि आजकल के दौर में patience बहुत कम लोगों में बचा है।
कहीं ये अनिश्चितता उनकी image को तो नहीं पहुंचा रही नुकसान?
सच बताऊं तो, राजनीति में लंबा इंतज़ार कभी-कभी negative impact डाल देता है। लोग भूलने लगते हैं। लेकिन यहां एक twist भी है! अगर तेज प्रताप किसी बड़े plan के साथ वापसी करते हैं, तो यही delay उनके लिए beneficial साबित हो सकता है। जैसे फिल्मों में interval के बाद ही असली मजा आता है न? बस, public को थोड़ा और patience रखना होगा। या फिर… शायद नहीं भी!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com