तेजस्वी का ‘चुनाव बहिष्कार’ वाला प्लान: कांग्रेस पर पड़ रहा है दबाव या फिर…?
अरे भई, बिहार की राजनीति में तो हमेशा से मसाले रहते हैं, लेकिन तेजस्वी यादव ने तो इस बार पूरा ‘मसाला डोसा’ परोस दिया है! RJD के इस युवा नेता ने हाल में जो ‘चुनाव बहिष्कार’ का प्रस्ताव रखा है, उसने दिल्ली से पटना तक सभी की नींद उड़ा दी है। सच कहूं तो, यह सिर्फ NDA ही नहीं बल्कि उनके अपने इंडिया ब्लॉक वालों के लिए भी सिरदर्द बन गया है। और अब कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने तो खुलकर कह दिया – “हमारे लिए सभी विकल्प खुले हैं”। अब इसे समझो भई! यह बयान साफ दिखाता है कि कांग्रेस इस मामले में बिल्कुल भी हड़बड़ी नहीं दिखाना चाहती।
असल में बात यह है कि तेजस्वी ने हाल में ही एक बयान देकर सबको चौंका दिया था। उनका कहना था कि बिहार में तो “लोकतंत्र की हत्या हो रही है”, और शायद इसीलिए वे चुनावों से दूर रहने की बात कर रहे हैं। पर सवाल यह है – जब RJD और कांग्रेस दोनों इंडिया ब्लॉक में साथ हैं, तो फिर यह अचानक का नाटक क्यों? पिछले कुछ महीनों से तो NDA के खिलाफ विपक्ष एकजुट दिख रहा था, लेकिन अब लगता है कि तेजस्वी ने इस एकता में दरार डाल दी है। क्या यह सच में लोकतंत्र की चिंता है या फिर कोई और खेल चल रहा है?
कांग्रेस वाले अल्लावरु ने तो यह तक कह दिया कि “इंडिया ब्लॉक के सभी दल इस पर गंभीरता से बात करेंगे”। मतलब साफ है – अभी कुछ तय नहीं हुआ। पर है ना अजीब बात? RJD की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया। शायद वे खुद भी नहीं जानते कि इस बयान का क्या करें! या फिर… हो सकता है यह सब पहले से प्लान किया गया हो?
अब देखिए ना, इस पूरे मामले ने तो राजनीति के पंडितों को भी दो गुटों में बांट दिया है। कुछ का कहना है कि यह इंडिया ब्लॉक के भीतर की दरारें दिखा रहा है, तो भाजपा वाले तो मजा ही ले रहे हैं – उन्होंने इसे “विपक्ष की बेबसी” बताया है। और कांग्रेस के भीतर? वहां तो खैर मत पूछिए! कुछ नेता चिल्ला रहे हैं कि यह “बिल्कुल बकवास आइडिया” है, तो कुछ इसे NDA के खिलाफ “मास्टरस्ट्रोक” मान रहे हैं। कुल मिलाकर, हर कोई अपनी-अपनी राग अलाप रहा है।
तो अब सवाल यह है कि आगे क्या? राजनीति के जानकारों का मानना है कि अगली इंडिया ब्लॉक की मीटिंग में ही सब कुछ साफ होगा। अगर वाकई चुनाव बहिष्कार होता है… अरे भई, तो बिहार में तूफान आ जाएगा! वैसे एक रास्ता यह भी है कि विपक्ष मिलकर NDA के खिलाफ जोरदार प्रचार करे। पर क्या वे ऐसा कर पाएंगे? यही तो देखना दिलचस्प होगा।
एक बात तो तय है – तेजस्वी के इस चाल ने सभी को हैरान कर दिया है। अगले कुछ दिनों में जो भी फैसला होगा, वह न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश की राजनीति को प्रभावित करेगा। और हां, अभी तो यह सिर्फ शुरुआत है… असली ड्रामा अभी बाकी है!
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तेजस्वी यादव का ‘चुनाव बहिष्कार’ वाला मूव: असल मामला क्या है?
आखिर तेजस्वी ने चुनाव ही क्यों छोड़ने का फैसला किया?
देखिए, पूरा मामला सीटों के बंटवारे को लेकर है। RJD और कांग्रेस के बीच यह झगड़ा तो चल ही रहा था, लेकिन अब तेजस्वी ने बिहार की कुछ सीटों से चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया है। कारण? उनका कहना है कि कांग्रेस ने ‘डील’ के मुताबिक सीटें ही नहीं दीं। सीधी सी बात है – “हमें जो चाहिए वो नहीं मिला, तो हम खेलेंगे ही नहीं!”
क्या यह सच में सीटों की बात है, या फिर कोई गेम चल रहा है?
असल में, राजनीति के जानकारों की मानें तो यह एक तरह का प्रेशर टैक्टिक्स है। समझिए ना – जब आपको कोई बात मनवानी होती है तो कभी-कभी ‘खेलना बंद’ कर देने की धमकी काम कर जाती है। पर सच कहूं तो इसे ‘पॉलिटिकल ब्लैकमेलिंग’ कहना भी गलत नहीं होगा। Smart move है या desperate step? यह तो वक्त ही बताएगा।
क्या यह फैसला महागठबंधन के लिए आत्मघाती साबित होगा?
बिल्कुल हो सकता है! एक तरफ तो यह कांग्रेस पर दबाव बनाने का तरीका है, लेकिन दूसरी तरफ… अगर यह गेम पलट गया तो? अभी BJP बिहार में मजबूत है ही। RJD और कांग्रेस की यह टकराहट अगर ज्यादा बढ़ गई तो सीधा फायदा NDA को ही मिलेगा। थोड़ा risky play है, है ना?
आम लोग इस पर क्या सोच रहे हैं?
सुनिए, जनता तो दो हिस्सों में बंटी हुई है। कुछ लोग तेजस्वी की इस चाल को ‘मास्टरस्ट्रोक’ बता रहे हैं – “अरे, युवा नेता है, दबाव तो बनाएगा ही!” वहीं दूसरी तरफ कई लोगों को लग रहा है कि यह विपक्ष की एकता के लिए अच्छा संकेत नहीं है। Twitter पर तो #TejashwiVsCongress ट्रेंड कर ही रहा है। कुल मिलाकर… बात बनती दिख रही है या बिगड़ती? आपको क्या लगता है?
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