telangana chemical factory blast 34 deaths rescue ongoing 20250701052903838129

तेलंगाना केमिकल फैक्ट्री ब्लास्ट: 34 मौतें, मलबे से निकल रहीं लाशें, 24 घंटे से जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन

तेलंगाना केमिकल फैक्ट्री ब्लास्ट: 34 लोगों की जान गई, मलबे में दफ्न कितने और?

संगारेड्डी जिले का पशामैलारम इंडस्ट्रियल एरिया… नाम सुनकर ही दिमाग में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों का नज़ारा आता है न? लेकिन आज यही जगह एक ऐसी त्रासदी का गवाह बनी जिसने पूरे तेलंगाना को स्तब्ध कर दिया। सिगाची इंडस्ट्रीज में हुए इस भीषण विस्फोट ने अब तक 34 जिंदगियाँ लील ली हैं। और सच कहूँ तो यह आँकड़ा और बढ़ सकता है, क्योंकि मलबे से शव निकाले जाने का सिलसिला अभी थमा नहीं है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पिछले 24 घंटे से जूझ रही हैं, पर क्या वाकई हम इंसान इतने बेबस हैं कि ऐसे हादसों को रोक नहीं सकते?

जब चेतावनियाँ हो जाएँ अनसुनी: फैक्ट्री का काला इतिहास

सिगाची इंडस्ट्रीज… नाम तो शायद आपने पहले कभी नहीं सुना होगा। केमिकल और प्लास्टिक का कारोबार करने वाली यह फैक्ट्री असल में एक जानलेवा जंगखाना साबित हुई। स्थानीय लोग तो कह रहे हैं कि यहाँ सुरक्षा मानकों को लेकर पहले भी शिकायतें होती रही थीं। लेकिन किसने सुनी? रात के अँधेरे में हुए इस धमाके की आवाज़ 2 किमी दूर तक सुनाई दी! सोचिए, जब फैक्ट्री में कर्मचारियों की भीड़ हो और अचानक आग के लपटों में सब कुछ तबाह हो जाए… सबसे डरावनी बात? पिछले महीने ही तो निरीक्षण हुआ था! फिर यह हादसा कैसे हो गया? कागज़ों पर सब कुछ ठीक दिखाया जाता है, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयाँ करती है।

मलबे के नीचे दबी ज़िंदगियाँ: रेस्क्यू ऑपरेशन की पुरकशिश

34 मौतें… यह आँकड़ा नहीं, 34 परिवारों की तबाही है। और हाँ, अभी तो यह गिनती जारी है। 50 से ज़्यादा घायलों में से कुछ तो इतने बुरे हालात में हैं कि डॉक्टर भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। एनडीआरएफ की टीमें हीवी मशीनरी के साथ जान बचाने की जुगत में लगी हैं, लेकिन हर पल की देरी किसी की ज़िंदगी का सवाल बन जाती है। केमिकल लीक या फिर शॉर्ट सर्किट? असली वजह तो जाँच के बाद ही पता चलेगी, पर इतना तो तय है कि यह कोई ‘एक्सीडेंट’ नहीं, बल्कि लापरवाही का नतीजा है।

राजनीति या संवेदना? नेताओं के बयानों का खेल

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने 10-10 लाख के मुआवजे की घोषणा कर दी। अच्छी बात है। पर क्या पैसा किसी की ज़िंदगी वापस ला सकता है? दिल्ली से अमित शाह ने ट्वीट कर दिया। बढ़िया। लेकिन ज़मीन पर क्या बदलाव आएगा? असली आवाज़ तो वहाँ सुनाई दे रही है जहाँ फैक्ट्री के आसपास के लोग सड़कों पर उतर आए हैं। “हमने तो पहले ही चेतावनी दे दी थी!” – यही आवाज़ बार-बार गूँज रही है। और सच मानिए, इन आम लोगों का गुस्सा जायज़ भी है।

क्या सबक मिलेगा? या फिर यही सिलसिला चलता रहेगा?

राज्य सरकार ने 3 सदस्यीय जाँच टीम बना दी है। 48 घंटे में रिपोर्ट आ जाएगी। फैक्ट्री मालिक के खिलाफ केस दर्ज हो जाएगा। पर याद रखिए, हमारे यहाँ तो यही होता आया है – हादसा, फिर जाँच, फिर रिपोर्ट की धूल फाइलों में जम जाती है। क्या इस बार कुछ अलग होगा? क्या केमिकल फैक्ट्रियाँ वाकई सुरक्षित बन पाएँगी? या फिर यह त्रासदी भी हमारी याददाश्त से ऐसे ही मिट जाएगी जैसे पिछले कई हादसे मिट गए? सवाल तो बहुत हैं… जवाब शायद कोई नहीं।

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तेलंगाना केमिकल फैक्ट्री में हुआ विस्फोट… सुनकर ही दिल दहल जाता है। 34 जानें! और अभी भी मलबे के नीचे दबे लोगों की खबरें आ रही हैं। सच कहूं तो, ऐसी खबरें सुनकर मन बैठ जाता है – क्या हम कभी सीखेंगे?

तो अब सवाल यह है कि Industrial Safety के नियमों को लेकर हमारी गंभीरता कहाँ गायब हो जाती है? ये सिर्फ कागजों पर लिखे नियम नहीं होने चाहिए, ज़िन्दगियों की बात है यार। एक तरफ तो हम ‘Make in India’ की बात करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ ऐसी दुर्घटनाएं हमारी लापरवाही की कहानी बयां कर देती हैं।

और इन Rescue Workers की बात करें तो… सच में, ये लोग हीरो हैं। धुएं और मलबे के बीच जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। प्रभावित परिवारों का दर्द तो शब्दों से बाहर है, लेकिन कम से कम हम इतना तो कर ही सकते हैं कि ऐसी त्रासदियों को दोबारा न होने दें।

क्या पता, अगली बार हमारा कोई अपना न हो जाए? सोचने वाली बात है…

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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