थाईलैंड vs कंबोडिया की जंग: F-16, मंदिर और एक अनसुलझी दास्तान
क्या आपने कभी सोचा है कि एक प्राचीन मंदिर आज के दौर में दो देशों को युद्ध के कगार पर कैसे ला सकता है? दक्षिण-पूर्व एशिया में यही हो रहा है, दोस्तों। थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर तनाव इन दिनों आसमान छू रहा है – और मामला सिर्फ सीमा विवाद तक सीमित नहीं है। असल में, यह तो वही पुरानी कहानी है जहां इतिहास और राजनीति का घालमेल आज के समय में धमाकेदार ढंग से सामने आया है। F-16 जैसे ज़बरदस्त लड़ाकू विमानों की तैनाती से स्थिति और गंभीर हो गई है।
जब एक मंदिर बन जाता है राष्ट्रीय गौरव का सवाल
इसे ऐसे समझिए – प्रीह विहियर मंदिर सिर्फ पत्थरों का ढेर नहीं है। 11वीं सदी में बना यह मंदिर… वाह! सोचिए उस ज़माने की बात… जब खमेर साम्राज्य अपने चरम पर था। हिंदू मंदिर से शुरू हुई इसकी यात्रा आज बौद्ध धर्म तक पहुंची है। लेकिन समस्या यह है कि यह मंदिर दोनों देशों की सीमा पर बैठा है। 1962 में ICJ ने कंबोडिया के पक्ष में फैसला दिया था, मगर कहानी यहीं खत्म नहीं होती। आसपास की ज़मीन को लेकर झगड़ा जारी है – और यही तो मुख्य मुद्दा है। 2008 और 2011 में भी यही विवाद हिंसक झड़पों में बदल चुका है।
F-16 की आवाज़ और बढ़ता तनाव
अभी कुछ हफ्ते पहले की बात है। थाईलैंड ने अपने F-16 विमानों को सीमा के पास उतार दिया। सच कहूं तो, यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। कंबोडिया ने इसे सीधे-सीधे ‘धमकी’ बताया है। और सुनिए – दोनों तरफ से गोलीबारी की खबरें भी आई हैं। हालांकि, अभी तक बड़े पैमाने पर युद्ध जैसी स्थिति नहीं बनी है। पर सवाल यह है कि कब तक? कंबोडिया तो UN से मदद मांगने लगा है।
दुनिया क्या कह रही है?
देखिए, इस मामले में ASEAN और United Nations दोनों ही हाथ-पैर मार रहे हैं। थाईलैंड कहता है कि वह बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन अपनी सीमा की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। वहीं कंबोडिया के PM हुन सेन… उनका तो यहां तक कहना है कि थाईलैंड अनावश्यक रूप से ताकत दिखा रहा है। एक तरफ तो राजनयिक कोशिशें जारी हैं, दूसरी तरफ सैन्य तैयारियां भी।
आगे क्या होगा?
ईमानदारी से कहूं तो, स्थिति बेहद नाज़ुक है। दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी है। सोचिए अगर युद्ध छिड़ जाए तो? विशेषज्ञों का मानना है कि शायद अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ही एकमात्र रास्ता हो। लेकिन यहां समस्या यह है कि दोनों देशों में राष्ट्रवादी भावनाएं भड़क चुकी हैं। और जब राष्ट्रवाद और इतिहास की बात आती है, तो समझौता करना मुश्किल हो जाता है।
अंत में बस इतना कि यह विवाद सदियों पुराने घावों को फिर से हरा रहा है। ICJ का फैसला हो या नए सर्वेक्षण – समाधान तो है, पर इच्छाशक्ति की कमी साफ दिख रही है। क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बार समय रहते कुछ कर पाएगा? वक्त ही बताएगा।
थाईलैंड vs कंबोडिया: क्या ये F-16 तैनाती वाला विवाद और बढ़ेगा? | असली कहानी
कैसे शुरू हुई थाईलैंड और कंबोडिया की ये जंग?
देखिए, असल मामला तो एक पुराने मंदिर का है – प्रीह विहियर (Preah Vihear Temple)। अजीब बात है न? एक मंदिर दो देशों को लड़वा दे! ये border पर बना हुआ है और दोनों का दावा है कि ये उनका है। 1962 में ICJ (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) ने कंबोडिया के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन थाईलैंड वाले माने नहीं। और फिर? तनाव बढ़ता ही गया। ऐसा लगता है जैसे कोई पुराना घाव है जो भरने का नाम ही नहीं लेता।
F-16 जैसे fighter jets का इस झगड़े में क्या काम?
अब यहां दिलचस्प बात आती है। थाईलैंड ने अपनी सीमा पर F-16 तैनात कर दिए। पर डरने की बात नहीं – ये सिर्फ दिखावा है या असली तैयारी? वैसे तो ये defensive move है, लेकिन जब आपके पड़ोसी के पास भी army तैयार खड़ी हो, तो समझो मामला गरम है। अभी तक direct clash तो नहीं हुआ, पर हवा में तनाव तो साफ महसूस हो रहा है।
क्या दुनिया इस झगड़े पर नजर रख रही है?
बिल्कुल! ASEAN और UN जैसे international forums में ये मुद्दा उठ चुका है। दोनों देश बातचीत से हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं, पर समस्या ये है कि diplomatic talks अक्सर round और round चक्कर काटते रहते हैं। Permanent solution? अभी तक तो कोई नजर नहीं आ रहा।
आम लोगों पर क्या असर पड़ रहा है?
असली मार तो border areas के locals को झेलनी पड़ रही है। कल्पना कीजिए – एक दिन आपका घर सुरक्षित है, अगले दिन evacuation के आदेश! और tourism? वो तो बुरी तरह प्रभावित हुआ है। प्रीह विहियर मंदिर जैसा खूबसूरत tourist spot अब tension का प्रतीक बन गया है। सच कहूं तो, जब सरकारें लड़ती हैं, तो कीमत आम जनता ही चुकाती है।
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com