थाईलैंड-कंबोडिया जंग: वो शिव मंदिर जो बन गया राजनीतिक मैदान!
देखा जाए तो दक्षिण पूर्व एशिया में एक बार फिर इतिहास की धूल झाड़कर पुराना ज़ख्म हरा हो गया है। थाई और कंबोडियाई फौजों के बीच हाल में हुई गोलीबारी ने प्रीह विहिहर मंदिर को लेकर सुलगते विवाद को फिर से भड़का दिया है। और अब तो चीन भी इस मामले में कूद पड़ा है – जैसे मामला और जटिल होने की कमी थी! बीजिंग ने मध्यस्थता का ऑफर दिया है, पर सच कहूं तो क्या वाकई यह कोई स्थायी हल होगा? शक तो होता है।
एक मंदिर जिसकी कहानी है बेहद दिलचस्प
असल में ये 11वीं सदी का वो शिव मंदिर है जिसे खमेर राजा सूर्यवर्मन ने बनवाया था। आज भी यहाँ शिवलिंग मौजूद है – धार्मिक महत्व तो है ही। लेकिन सच ये है कि फ्रांसीसियों ने जब सीमाएं खींचीं, तो इस मंदिर का भाग्य ही बदल गया। 2011 में ICJ (International Court of Justice) ने मंदिर पर कंबोडिया का हक तो मान लिया, मगर आसपास का 4.6 वर्ग किमी का इलाका अब भी विवाद की जड़ बना हुआ है। और यहीं से शुरू होती है असली समस्या!
हालिया झड़पें: स्थिति गंभीर
पिछले हफ्ते जो हुआ, वो तो जैसे आग में घी डालने जैसा था। गोलीबारी में 5 से ज्यादा सैनिक घायल – दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल निकला है। चीन ने तुरंत “संयम” की पट्टी बांधने की सलाह दी है, मगर क्या ये काम करेगी? नोम पेन्ह में प्रदर्शन, थाई सीमा पर अतिरिक्त फौज – स्थिति बेहद नाज़ुक है। कंबोडियाई PM हुन सेन ICJ के फैसले को मानने को तैयार हैं, पर थाईलैंड की कोई भी गलत हरकत… और फिर थाई सेना का दावा कि ये इलाका उनका “ऐतिहासिक हिस्सा” है। समझ रहे हैं न कितना पेचीदा मामला है?
चीन का खेल: मदद या मौका?
अब इसमें चीन ने दखल दिया है – और यहीं सबसे दिलचस्प मोड़ आता है। सच तो ये है कि कंबोडिया पर चीन की आर्थिक पकड़ बहुत मजबूत है। क्या ये मध्यस्थता का प्रस्ताव सच में शांति के लिए है, या फिर चीन अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है? थाईलैंड तो शक की निगाह से देख ही रहा है। मेरी निजी राय? ASEAN या UN जैसे प्लेटफॉर्म्स पर इस मामले को उठाना ज्यादा बेहतर होगा। पर कौन सुन रहा है भला?
आगे क्या? बड़े सवाल!
अब तो ये विवाद सिर्फ एक मंदिर तक सीमित नहीं रहा। राष्ट्राभिमान, सीमा सुरक्षा, क्षेत्रीय दबदबा – सब कुछ दांव पर लगा है। अगर तनाव बढ़ा, तो Tourism और cross-border trade सबसे पहले चपेट में आएंगे। सदियों पुराना ये विवाद आज भी दोनों देशों के बीच दीवार बना हुआ है। चीन इस मामले को किधर ले जाएगा? कंबोडिया को तो चीन पर भरोसा है, लेकिन थाईलैंड अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा उठाने को तैयार है। सच कहूं तो ये प्राचीन शिव मंदिर आज राजनीति की उलझनों में फंसकर रह गया है। क्या इसका हल निकलेगा? वक्त ही बताएगा।
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Source: Aaj Tak – Home | Secondary News Source: Pulsivic.com