थाईलैंड का बड़ा फैसला: “हमें चीन या किसी और की मदद नहीं चाहिए!”
देखा जाए तो दक्षिण-पूर्व एशिया में हालात फिर से गरमाने लगे हैं। और इस बार थाईलैंड ने जो किया, वो काफी बोल्ड मूव है। अमेरिका, मलेशिया और चीन – तीनों ने कंबोडिया के साथ चल रहे सीमा विवाद में मध्यस्थता की पेशकश की, लेकिन थाईलैंड ने साफ मना कर दिया। उनका कहना है, “हम खुद ही इसका हल निकाल लेंगे।” सीधे शब्दों में कहें तो – ‘नो थैंक्यू, हमें किसी तीसरे की ज़रूरत नहीं!’
अब सवाल यह है कि आखिर यह विवाद है क्या? असल में यह कोई नई लड़ाई नहीं है। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह सीमा झगड़ा सालों से चला आ रहा है, खासकर Preah Vihear Temple को लेकर। ये मंदिर… अरे भई, सिर्फ एक इमारत नहीं है ना? दोनों देशों के लिए यह गर्व और विवाद दोनों का प्रतीक है। 2011 में तो यहां गोलीबारी तक हो गई थी! और अब फिर से तनाव बढ़ रहा है।
तो क्या हुआ जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हाथ बढ़ाया? थाईलैंड ने उनका हाथ ही काट दिया! विदेश मंत्रालय का साफ कहना है – “हम सिर्फ दोनों देशों के बीच बातचीत चाहते हैं।” दिलचस्प बात यह है कि कंबोडिया की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। शायद वे सोच रहे होंगे कि बिना किसी तीसरे पक्ष के यह विवाद सुलझेगा भी या नहीं।
अब यहां एक और मजेदार पहलू है। चीन, जो इस पूरे इलाके में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, उसकी पेशकश भी ठुकरा दी गई। हालांकि उन्होंने शांति की बात कही है, लेकिन थाईलैंड के फैसले को मानने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था। स्थानीय मीडिया में तो इस पर जमकर बहस हो रही है। कोई कह रहा है कि यह थाईलैंड की मजबूत विदेश नीति है, तो कोई इसे अलग-थलग पड़ने वाला कदम बता रहा है।
तो अब क्या? अगर बातचीत नहीं हुई तो हालात और खराब हो सकते हैं। पूरा विश्व इस ओर देख रहा है, क्योंकि यह पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया की शांति के लिए अहम है। खबरों के मुताबिक जल्द ही दोनों देशों के बीच हाई-लेवल मीटिंग हो सकती है। देखते हैं, क्या वे बिना किसी बाहरी मदद के इस गंभीर मसले का हल निकाल पाते हैं। एक तरह से यह उनके लिए एक बड़ी चुनौती है। सच कहूं तो, मैं तो बस यही कहूंगा – ‘गुड लक थाईलैंड!’
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थाईलैंड ने चीन समेत 3 देशों की मदद क्यों मना कर दी?
देखिए, थाईलैंड का स्टैंड साफ है – “हम अपने मसले खुद सुलझा सकते हैं।” और सच कहूं तो, ये उनकी फितरत में ही है। क्या आपने कभी नोटिस किया कि थाई लोग कितने स्वाभिमानी होते हैं? ठीक वैसे ही उनकी फॉरेन पॉलिसी भी है। तीसरे देश की मदद लेना उन्हें अपनी क्षमता पर शक जैसा लगता होगा।
चीन का मूड खराब होगा क्या?
अभी तक तो कोई बड़ा झगड़ा नहीं हुआ है। लेकिन सच बताऊं? चीन को ये बात जरूर चुभी होगी। वो भी जब उसके दोस्त (या कहें क्लाइंट स्टेट्स) उसकी मध्यस्थता ठुकरा दें। हालांकि, डिप्लोमैसी की दुनिया में सब चलता रहता है। दोनों देश अभी भी बातचीत कर रहे होंगे, बस हमें पता नहीं चल रहा।
ASEAN पर क्या असर पड़ेगा?
एक तरफ तो ये थाईलैंड के लिए अच्छा है – उनकी ‘हम किसी के दबाव में नहीं’ वाली इमेज और मजबूत होगी। लेकिन दूसरी तरफ… क्या ये ASEAN में तनाव बढ़ाएगा? शायद नहीं। असल में, थाईलैंड ने जो किया वो तो बस अपना स्टैंड क्लियर किया है। और ये अच्छी बात है, है न?
क्या ये थाईलैंड की ‘नॉन-अलाइनमेंट’ वाली पुरानी चाल है?
बिल्कुल! थाईलैंड तो ये गेम बरसों से खेल रहा है। किसी के साथ भी पूरी तरह न जुड़ना, न ही किसी को नाराज करना – ये उनकी स्पेशलिटी है। समझिए न, ये वैसा ही है जैसे आप दो झगड़ते दोस्तों के बीच में हो, और दोनों को यकीन दिला रहे हो कि आप उनके साथ हैं। स्मार्ट, है न?
Source: Aaj Tak – Home | Secondary News Source: Pulsivic.com