कोलकाता गैंगरेप केस: TMC का बड़ा कदम, मदन मित्रा को कारण बताओ नोटिस – पर क्या ये सिर्फ दिखावा है?
पश्चिम बंगाल की राजनीति में फिर से एक ऐसा विवाद जिसने सबका ध्यान खींच लिया। TMC ने अपने ही वरिष्ठ नेता मदन मित्रा पर कार्रवाई करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। वजह? कोलकाता गैंगरेप केस पर उनका वह विवादित बयान जिसने सोशल मीडिया पर आग लगा दी। अब सवाल यह है कि क्या ये सिर्फ जनता को शांत करने का नाटक है या सच में पार्टी अनुशासन की बात कर रही है? देखने वाली बात ये कि मित्रा को जवाब देने के लिए सिर्फ 72 घंटे (3 दिन) का वक्त दिया गया है।
जब नेता का मुंह बोल गया…
पूरा मामला तब शुरू हुआ जब कोलकाता में एक नाबालिग लड़की के साथ हुए गैंगरेप की खबर ने सबको झकझोर दिया। और तो और, आरोपियों में TMC के कुछ कार्यकर्ताओं के नाम आने से मामला और भी गरमा गया। ऐसे में मदन मित्रा का ये बयान कि “पीड़िता के परिवार और आरोपियों के बीच समझौता हो सकता है”… सच में? ये कैसी बात हुई? ये वो बयान था जिसने न सिर्फ जनता को गुस्सा दिलाया, बल्कि पार्टी के भीतर भी तूफान खड़ा कर दिया।
TMC की ‘डैमेज कंट्रोल’ कोशिश
असल में देखा जाए तो मित्रा के इस बयान ने पार्टी के लिए image crisis पैदा कर दी थी। और अब TMC नेतृत्व को लगा कि अगर चुप रहे तो बात बिगड़ जाएगी। तभी तो अनुशासन समिति ने तुरंत एक्शन लिया। पर सच पूछो तो ये सवाल भी उठता है कि अगर मित्रा का जवाब संतोषजनक नहीं होता, तो क्या पार्टी सच में उन्हें suspend करने का साहस दिखाएगी? क्योंकि राजनीति में तो अक्सर ऐसे मामले धीरे-धीरे ठंडे पड़ जाते हैं न…
राजनीति का पुराना खेल या नया मोड़?
इस पूरे मामले ने विपक्ष को TMC पर हमला बोलने का मौका दे दिया है। BJP और CPI(M) तो मानो जैसे दिवाली मना रहे हों! वहीं TMC का कहना है कि वो “महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर किसी भी तरह की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी बर्दाश्त नहीं करेगी”। पर क्या ये सिर्फ कहने की बात है? क्योंकि मानवाधिकार संगठन तो इसे सीधे-सीधे victim blaming की संस्कृति बता रहे हैं।
2024 की राजनीति पर क्या होगा असर?
अब बात सबसे दिलचस्प हिस्से की। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो ये मामला 2024 के लोकसभा चुनाव में TMC के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। खासकर महिला वोटर्स के बीच। पर एक सच ये भी कि अगर पार्टी इस मामले में सख्त और पारदर्शी रुख अपनाती है, तो शायद नुकसान कुछ कम हो। पर बंगाल की राजनीति में कुछ भी तय नहीं, है न?
आखिर में, ये मामला सिर्फ एक गैंगरेप केस से कहीं आगे की बात हो गई है। ये टेस्ट केस है भारतीय राजनीति में accountability और gender sensitivity का। और जैसे-जैसे ये केस आगे बढ़ेगा, हमें पता चलेगा कि यहां सच में किसके क्या इरादे हैं। फिलहाल तो बस इतना ही – राजनीति चलती रहेगी, पर क्या न्याय मिल पाएगा? ये सवाल अभी बाकी है…
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कोलकाता गैंगरेप केस में TMC के नेता मदन मित्रा का वो विवादित बयान… सच कहूं तो अब तक की सबसे बेहूदा टिप्पणियों में से एक है। और देखिए न, पार्टी ने भी उन्हें कारण बताओ नोटिस भेज दिया। अब सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ दिखावा है या असली कार्रवाई होगी?
मेरा मानना है कि ऐसे संवेदनशील मामलों में बयानबाजी करने से पहले दिमाग लगाना चाहिए। यह उतना ही ज़रूरी है जितना कि सड़क पार करने से पहले दोनों तरफ देख लेना। वैसे भी, यह केस सिर्फ एक राजनेता की गलती नहीं दिखाता – बल्कि यह सवाल उठाता है कि हमारे नेता सामाजिक जिम्मेदारी को कितनी गंभीरता से लेते हैं।
एक तरफ तो पीड़िता को न्याय मिलने की उम्मीद… दूसरी तरफ यह पूरा घटनाक्रम। सच में, दिल दुखता है। अब देखना यह है कि क्या TMC सिर्फ नोटिस भेजकर खानापूर्ति करेगी, या फिर वाकई में कोई ठोस कदम उठाएगी? क्योंकि जनता की नज़रें अब इसी पर टिकी हैं। और हां, याद रखिए – ऐसे मामलों में शब्दों का वजन बंदूक से भी ज़्यादा होता है।
कोलकाता गैंगरेप मामला और TMC का एक्शन – वो सारे सवाल जो आप पूछना चाहते हैं
1. मदन मित्रा का वो बयान जिसने सबको झकझोर दिया
सच कहूं तो, मदन मित्रा का बयान सुनकर मुझे भी झटका लगा। एक तरफ तो ये गैंगरेप जैसी संवेदनशील केस है, दूसरी तरफ उनका बयान ऐसा जैसे मामले को हल्के में ले रहे हों। TMC के अंदर भी आग लग गई – और ये आग सीधे उनके खिलाफ भड़क उठी।
2. TMC ने क्या किया? सिर्फ नोटिस भेजकर छोड़ दिया?
नहीं, बात इतनी सरल नहीं है। TMC ने show-cause notice जरूर भेजा है, लेकिन असल मसला ये है कि पार्टी इस बार गंभीर दिख रही है। नोटिस में साफ लिखा है – “आपका बयान पार्टी लाइन के खिलाफ है। जवाब दो, वरना…” और इस ‘वरना’ में क्या छुपा है, ये तो आने वाले दिन बताएंगे।
3. लोग क्या कह रहे हैं? सोशल मीडिया पर तूफान!
अरे भई, Twitter तो जल रहा है! एक तरफ वो लोग जो मदन मित्रा के बयान को ‘बर्दाश्त से बाहर’ बता रहे हैं। दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी जो कह रहे हैं – “अच्छा हुआ TMC ने एक्शन लिया।” पर सच तो ये है कि इस पूरे विवाद ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है – क्या हमारे नेता संवेदनशील मुद्दों पर बोलने से पहले सोचते भी हैं?
4. अब क्या? मदन मित्रा की कुर्सी डोल रही है?
देखिए, अगर मदन मित्रा कोई जादुई जवाब नहीं दे पाए तो हालात बिगड़ सकते हैं। TMC इस बार मूड में नहीं लग रही। Suspension? Expulsion? कुछ भी हो सकता है। पर इतना तय है – ये केस अभी खत्म नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में और मोड़ आएंगे। और हम यहीं होंगे, आपको हर अपडेट देने के लिए!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com