ट्रंप ने फिर दिखाया अपना असली रंग! दक्षिण कोरिया के एक्सपोर्ट पर 25% टैरिफ, मार्केट हुई बैठ
अरे भाई, ट्रंप साहब तो मानो बाजारों को हिलाकर रख देने की कसम खा बैठे हैं। 1 अगस्त से दक्षिण कोरिया से आने वाली हर चीज़ पर 25% टैरिफ? सच में? ये तो वही बात हुई कि दुकानदार ने अचानक सामान का दाम बढ़ा दिया और ग्राहक की तो जैसे बोलती बंद! सोमवार को ही दक्षिण कोरियाई वॉन 1.1% लुढ़क गया – दो हफ्ते का सबसे निचला स्तर। और तो और, इसका असर दूसरे emerging markets पर भी पड़ा। अब सवाल यह है कि ये सिलसिला कहाँ जाकर रुकेगा?
ये तो चलता आ रहा सीरियल है!
देखिए, ये कोई एकदम से हुई घटना नहीं है। अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच ये व्यापार वाली तनातनी तो बरसों से चली आ रही है। ट्रंप प्रशासन को हमेशा से ही trade deficit का रोना रोना है। 2018 में KORUS समझौता हुआ था न? उसे भी ट्रंप साहब ने ‘असंतुलित’ बताकर ठुकरा दिया। स्टील और दूसरे सामान पर पहले भी टैरिफ लग चुके हैं, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर सभी आयातों पर? ये तो पहली बार हुआ है। ईमानदारी से कहूँ तो, ये move कुछ ज़्यादा ही aggressive लग रहा है।
बाजारों पर बम-सा गिरा
भईया, इस ऐलान ने तो KOSPI को ऐसा झटका दिया कि 2% से ज़्यादा की गिरावट देखने को मिली। वॉन तो गिरा ही, जापानी येन और चीनी युआन जैसी दूसरी एशियाई करेंसीज़ भी इसकी चपेट में आ गईं। दक्षिण कोरियाई सरकार ने तो गुस्से में ‘कड़ी निंदा’ तक कर डाली, वहीं अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव का कहना है कि ये ‘अमेरिकी उद्योगों को बचाने के लिए ज़रूरी’ था। सच कहूँ तो, दोनों तरफ के तर्क सुनकर लगता है कि ये मामला जल्द सुलझने वाला नहीं।
हर तरफ अलग-अलग रिएक्शन
दक्षिण कोरियाई कॉमर्स मिनिस्टर तो बिल्कुल खफा हैं – ‘एकतरफा और अनुचित’ बता रहे हैं और WTO में शिकायत दर्ज करने की बात कर रहे हैं। अमेरिकी एक्सपर्ट जॉन स्मिथ की चेतावनी और भी डरावनी है – “global supply chain को नुकसान पहुँच सकता है।” सियोल के एक निवेशक किम जोंग-हो तो बिल्कुल परेशान नज़र आए: “अगर ये टैरिफ लगा तो हमारे एक्सपोर्टर्स का तो बुरा हाल हो जाएगा।” सच कहूँ तो, हर कोई अपने-अपने तरीके से चिंता जता रहा है।
आगे क्या होगा? कोई नहीं जानता!
अब सबकी नज़रें इस पर टिकी हैं कि अगला कदम क्या होगा। दक्षिण कोरिया वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन ट्रंप साहब कितना झुकेंगे? विश्लेषकों का मानना है कि सैमसंग और हुंडई जैसी बड़ी कंपनियों को सबसे ज़्यादा झटका लग सकता है। और हाँ, ये सिर्फ दक्षिण कोरिया तक सीमित नहीं रहने वाला – पूरी एशिया की economy पर इसका असर पड़ सकता है। एक तरफ तो ये अमेरिकी ट्रेड पॉलिसी में नए दौर की शुरुआत लगती है, लेकिन दूसरी तरफ… क्या ये वाकई सही दिशा में उठाया गया कदम है? वक्त ही बताएगा!
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Source: Livemint – Markets | Secondary News Source: Pulsivic.com