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ट्रंप पर $454M के फ्रॉड केस का फैसला अभी बाकी, जजों के ‘राजनीतिक पक्षपात’ पर बहस छिड़ी

ट्रंप का वो $454 मिलियन वाला फ्रॉड केस: क्या जज सच में पक्षपात कर रहे हैं?

अरे भई, डोनाल्ड ट्रंप के लिए तो ये इंतज़ार किसी सस्पेंस थ्रिलर से कम नहीं! सोचो, 293 दिन से एक फैसले का इंतज़ार कर रहे हैं – और वो भी ऐसा फैसला जो उन्हें 3,800 करोड़ रुपये (यानी $454 मिलियन) का चूना लगा सकता है। असल में, न्यूयॉर्क की Attorney General लेटिशिया जेम्स ने उन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी प्रॉपर्टीज का वैल्यू बढ़ा-चढ़ाकर बताया ताकि बैंकों से फायदा उठा सकें। लेकिन अब तो केस से ज्यादा दिलचस्प बात ये हो गई है कि फैसला आने में इतनी देरी क्यों हो रही है? क्या सच में जजों के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा तो नहीं?

स्टोरी का पिछला हिस्सा: ट्रंप ने क्या गलती की थी?

ये सारा ड्रामा 2022 में शुरू हुआ था जब कोर्ट ने कहा कि ट्रंप और उनकी Trump Organization ने बैंकों को धोखा दिया। मतलब क्या? सरल भाषा में समझें तो – मान लीजिए आप अपनी मारुति ऑल्टो को 10 लाख की बताकर लोन लेने जाएं जबकि उसकी असल कीमत 5 लाख हो। ठीक वैसा ही ट्रंप ने किया, बस स्केल बड़ा है। उन्होंने अपनी प्रॉपर्टीज का वैल्यू बढ़ा-चढ़ाकर बताया ताकि बेहतर loan terms पा सकें। बस फर्क ये है कि हमारी ऑल्टो की बात होती तो शायद कोई नोटिस भी न लेता, लेकिन ट्रंप तो ट्रंप हैं न!

अब क्या है नया ट्विस्ट?

देखिए, यहां सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि ट्रंप की अपील पर फैसला करने में जजों को 293 दिन लग गए! जबकि न्यूयॉर्क की अपीलीय अदालत में आमतौर पर 6-8 महीने में फैसला आ जाता है। अब सवाल ये उठता है कि इतनी देरी क्यों? और तो और, ट्रंप के आलोचक भी मान रहे हैं कि इसमें कुछ तो गड़बड़ है। ट्रंप की टीम तो सीधे-सीधे कह रही है – “ये पक्षपात है भाई!”

कौन क्या बोल रहा है?

इस मामले में हर कोई अपना-अपना राग अलाप रहा है:
– ट्रंप के वकील: “ये देरी दिखाती है कि न्यायिक प्रक्रिया में राजनीति घुस गई है!”
– लेटिशिया जेम्स की टीम: “अरे भई, कोर्ट को समय तो दो। जल्दबाजी में फैसला थोड़े होता है!”
– एक कानून एक्सपर्ट (जो नाम नहीं लेना चाहते): “ये देरी… हम्म… थोड़ी अजीब जरूर है।”

सच कहूं तो, हर कोई अपनी रोटी सेक रहा है। पर सवाल ये है कि आखिर सच क्या है?

अब आगे क्या? ट्रंप के लिए क्या दांव पर लगा है?

अगर ट्रंप हार गए तो? तो फिर $454 मिलियन (यानी हमारे हिसाब से लगभग 3,800 करोड़) का जुर्माना भरना पड़ेगा। इतने पैसे में तो शायद हमारे पूरे मोहल्ले की जिंदगी बदल दी जा सके! और तो और, 2024 के चुनावों से पहले ये केस अमेरिकी न्याय व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर देगा। ट्रंप तो यहां तक कह चुके हैं कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वो सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। मतलब, ड्रामा अभी बाकी है!

असल में, ये केस अब सिर्फ पैसे की बात नहीं रह गया। ये तो एक टेस्ट केस बन गया है – अमेरिकी न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता का, लोकतंत्र की ताकत का। और जैसे-जैसे समय बीत रहा है, ये पहेली और भी उलझती जा रही है। क्या ट्रंप इस बार भी बच निकलेंगे? या फिर उनकी किस्मत ने उनका साथ छोड़ दिया है? वक्त ही बताएगा…

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Source: NY Post – US News | Secondary News Source: Pulsivic.com

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