ट्रंप का बड़ा दावा: “मैंने भारत-पाक को परमाणु युद्ध से रोका!” – सच या राजनीति?
अरे भई, डोनाल्ड ट्रंप फिर सुर्खियों में हैं! और इस बार उनका दावा सीधे हमारे देश से जुड़ा हुआ है। सार्वजनिक मंच पर उन्होंने यह कहकर सबको चौंका दिया कि 2019 में उन्होंने भारत और पाकिस्तान को परमाणु युद्ध के कगार से खींच लिया था। सच कहूं तो, यह कोई नया दावा नहीं है, लेकिन ट्रंप साहब ने इस बार इतने ड्रामाई अंदाज में बयान दिया कि पूरी दुनिया की नजरें इस पर टिक गईं।
असल में बात समझने के लिए हमें 2019 के उन तनावपूर्ण दिनों को याद करना होगा। पुलवामा हमला, बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक, फिर पाकिस्तान का जवाबी हवाई हमला – याद है न वो सब? उस वक्त ट्रंप ने भी दावा किया था कि उन्होंने दोनों देशों को शांत करवाया। लेकिन सच यह है कि भारत सरकार ने तब भी और अब भी इस बात को सिरे से खारिज किया है। मजे की बात यह कि पाकिस्तान ने तो ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित भी कर दिया! क्या कहें, दोनों देशों के रवैये में जमीन-आसमान का फर्क।
अब सवाल यह है कि ट्रंप साहब को अचानक यह दावा दोहराने की क्या जरूरत पड़ गई? देखा जाए तो अमेरिकी राजनीति के हिसाब से यह बिल्कुल सही समय है। 2024 के चुनावों को देखते हुए यह उनकी ‘मैंने दुनिया बचाई’ वाली छवि को मजबूत करने का तरीका हो सकता है। वैसे भी, ट्रंप के बयानों में अक्सर एक खास तरह का ड्रामा तो होता ही है।
भारत सरकार का रुख तो बिल्कुल साफ है। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कहा – “हमारी security policy पूरी तरह स्वायत्त है।” यानी कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं। वहीं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने तो ट्रंप को धन्यवाद तक दे डाला। सचमुच, एक ही घटना पर दो अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखकर हैरानी होती है।
तो क्या अब इससे कोई नया तनाव पैदा होगा? Experts का मानना है कि ऐसा होने की संभावना कम है। दोनों देशों की स्थिति पहले से ही क्लियर है। लेकिन एक बात तो तय है – ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींच लिया है। और हां, 2024 के अमेरिकी चुनावों की तैयारी भी जोरों पर है!
अंत में बस इतना ही – अंतरराष्ट्रीय राजनीति में यह कोई नई बात नहीं। Leaders अक्सर अपनी छवि बनाने के लिए ऐसे दावे करते रहते हैं। लेकिन भारत ने हमेशा अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर जोर दिया है। और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। बाकी, ट्रंप साहब को तो बस अपना गोल मारना है – चाहे वह नोबेल पुरस्कार हो या फिर व्हाइट हाउस की वापसी!
यह भी पढ़ें:
Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com