ट्रंप और EU का बड़ा डील: क्या यह सच में ‘ऐतिहासिक’ है या सिर्फ राजनीति?
अरे भाई, अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) के बीच जो नया व्यापार समझौता हुआ है, उस पर तो हर कोई बात कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप इसे ‘ऐतिहासिक’ बता रहे हैं, EU के नेता खुश हैं, लेकिन असल में यह डील कितनी बड़ी है? चलो समझते हैं।
सच कहूं तो, यह कोई रातों-रात हो गया ऐसा नहीं है। पिछले कुछ सालों से ट्रंप और EU वालों के बीच तनाव चल रहा था – स्टील पर tariffs, कारों को लेकर झगड़ा, डिजिटल टैक्स का मसला… लिस्ट लंबी है। तो अब सवाल यह है कि आखिर यह डील दोनों पक्षों के लिए क्या लेकर आई है?
पहले तो ये जंगल-जंगल की कहानी समझ लें
याद है ना, कैसे ट्रंप साहब हर दूसरे दिन EU को tariffs बढ़ाने की धमकी देते थे? सच बताऊं, मुझे तो लगता था कि यह बात trade war तक जाएगी। खासकर जब अमेरिका ने स्टील और एल्युमिनियम पर शुल्क बढ़ाया, और EU ने जवाब में Harley-Davidson और Levi’s jeans पर टैक्स लगा दिया। बिल्कुल स्कूल के बच्चों जैसी लड़ाई!
लेकिन देखा जाए तो, दोनों पक्षों को समझ आ गया कि लड़ाई से कुछ हासिल नहीं होगा। खासकर कोरोना के बाद की economy में। तो बातचीत शुरू हुई और आखिरकार यह डील सामने आई।
डील की चाय-पानी वाली बातें
अब आते हैं मजेदार हिस्से पर। यह समझौता क्या-क्या लेकर आया है:
- किसानों और फैक्ट्रियों वाला मामला: अब अमेरिकी किसानों के सामान और EU की औद्योगिक goods पर टैरिफ कम होगा। मतलब, दोनों तरफ के exporters की जेब थोड़ी भारी होगी।
- कारों का गेम: अब Ford और Volkswagen जैसी कंपनियों को एक-दूसरे के markets में घुसने में आसानी होगी। पर सच पूछो तो, यह तो पहले भी होना चाहिए था ना?
- डिजिटल दुनिया का नया नियम: टेक कंपनियों के लिए अच्छी खबर! डेटा flow और digital tax को लेकर कुछ clarity आई है। Facebook-Google वालों को राहत मिली होगी।
कौन खुश, कौन नाराज?
ट्रंप साहब तो मानो चुनाव जीत गए हों – “अमेरिकी workers की बड़ी जीत” बता रहे हैं। साथ ही चीन को इशारों-इशारों में message भी दे दिया। वहीं EU वालों ने इसे ‘strategic partnership’ का नया चैप्टर बताया है।
लेकिन ground reality? अमेरिकी business groups तो खुश हैं, पर European farmers चिंतित हैं। उन्हें डर है कि अमेरिकी किसानों के सस्ते सामान से उनका business डूब जाएगा। और हां, trade experts कह रहे हैं कि इससे चीन के साथ तनाव बढ़ सकता है।
आगे क्या होगा?
एक तरफ तो यह डील अमेरिका और EU के बीच trade को बढ़ावा देगी। पर असल मजा तो तब होगा जब देखेंगे कि यह चीन और UK जैसे देशों के साथ होने वाली future negotiations को कैसे प्रभावित करती है।
और हां, यह सिर्फ पैसे का मामला नहीं है। देखा जाए तो, यह geopolitical equations भी बदल सकता है। जैसे कि – अमेरिका और EU मिलकर चीन को handle करेंगे? UK अब किसके साथ जाएगा? दिलचस्प टाइम्स आने वाले हैं!
तो क्या यह सच में ‘ऐतिहासिक’ डील है? शायद हां, शायद नहीं। समय ही बताएगा। पर एक बात तो तय है – अगले कुछ महीनों में international trade की दुनिया में धमाल मचने वाला है।
अब देखिए, ये नया trade deal सिर्फ कागज़ पर ही नहीं, असल में काफी कुछ बदल सकता है। अमेरिका और European Union के बीच economic relations पहले से ही मजबूत थे, लेकिन ये deal उन्हें और भी गहरा देगा। सोचिए – long-term benefits दोनों तरफ के लिए क्या हो सकते हैं? मतलब, अमेरिकी businesses को नए markets मिलेंगे, consumers को better prices… पर सच कहूं तो सबसे दिलचस्प बात ये है कि Trump की ये चाल global trade के खेल को ही बदल सकती है।
हालांकि, यहां सवाल ये उठता है कि क्या वाकई future में stronger economic partnerships की नींव पड़ रही है? क्योंकि देखा जाए तो ऐसे deals अक्सर बड़े वादे करते हैं, लेकिन असर… वो अलग बात होती है। फिर भी, अगर ये कामयाब रहा, तो game-changer हो सकता है। बस, wait and watch!
ट्रंप और यूरोपीय संघ का नया व्यापार समझौता – जानिए सबकुछ सरल भाषा में!
1. ट्रंप और EU का यह नया trade deal आखिर है क्या?
देखिए, डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीयन यूनियन के साथ एक ऐसा समझौता किया है जो सीधे-सीधे tariffs और trade barriers को टारगेट करता है। मतलब साफ है – दोनों तरफ से आयात-निर्यात आसान होगा। अब सवाल यह है कि क्या यह सच में अमेरिका और EU के बीच economic relations को नई ऊर्जा दे पाएगा? शायद हां, क्योंकि दोनों पक्षों को इससे फायदा नजर आ रहा है।
2. भारत के लिए इसका क्या मतलब है? असल चिंता की बात…
ईमानदारी से कहूं तो, यह deal सीधे तो भारत को नहीं छूता, लेकिन इसका असर जरूर पड़ेगा। कैसे? अमेरिका और EU के बीच trade बढ़ेगा तो global market में competition बढ़ेगा ही ना! और हमारे exporters को इस नए माहौल में अपनी strategies पर फिर से सोचना पड़ सकता है। एक तरफ तो opportunity है, दूसरी तरफ चैलेंज भी।
3. क्या यह deal दोनों के लिए वाकई win-win है?
सतह पर तो हां। अमेरिका को EU का बड़ा market मिल रहा है, और EU को अमेरिका का। पर क्या आपने गौर किया? ऐसे deals में हमेशा कोई न कोई छोटा print होता है। फिलहाल तो दोनों पक्ष खुश नजर आ रहे हैं – बस यही काफी है। एकदम ज़बरदस्त। सच में।
4. चीन के लिए यह कितना बड़ा झटका हो सकता है?
अरे भई, यह तो बड़ा दिलचस्प सवाल है! चीन तो अब तक अमेरिका का सबसे बड़ा trade partner रहा है ना? लेकिन अब picture बदल सकती है। EU और अमेरिका के strong होते relations चीन के global trade dominance को चुनौती दे सकते हैं। पर याद रखिए, चीन भी कोई छोटा खिलाड़ी नहीं है। देखना यह है कि वे इसका जवाब कैसे देते हैं।
Source: Dow Jones – Social Economy | Secondary News Source: Pulsivic.com