“बोइंग विमान क्रैश: ट्रंप सरकार का मैकेनिकल फेलियर से इनकार, क्या पायलटों को बनाया गया बलि का बकरा?”

बोइंग विमान क्रैश: क्या ट्रंप सरकार ने मैकेनिकल फेलियर को छुपाने की कोशिश की? पायलटों पर इल्ज़ाम सही है या सिर्फ एक ढाल?

अहमदाबाद में हुआ बोइंग विमान हादसा… फिर से वही पुराने सवाल! आपको याद होगा कैसे हर बड़ी विमान दुर्घटना के बाद यही खेल शुरू होता है – सरकारें, एजेंसियां और कंपनियां एक-दूसरे पर दोषारोपण शुरू कर देती हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। देखिए न, जबकि हमारी भारतीय जांच एजेंसियां अभी तथ्य जुटा रही हैं, अमेरिकी FAA ने तुरंत बयान जारी कर दिया – “कोई मैकेनिकल फेलियर नहीं था”। सुनकर अजीब लगा न? मतलब इतनी जल्दी कैसे पता चल गया? ऐसा न हो कि पायलटों को ही गुनहगार ठहराकर असली मुद्दे से ध्यान भटकाया जा रहा हो।

क्या हुआ था असल में?

15 जनवरी की वो भयानक सुबह… अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास बोइंग 737-800 रनवे से फिसल गया। 12 लोगों की जान चली गई, कई घायल। दिल दहल जाता है ऐसी खबरें सुनकर। पर सवाल ये है कि ये सिर्फ एक अकेला हादसा है या बोइंग के सिस्टम में कोई बड़ी खामी? आखिर 737 मैक्स वाला मामला तो अभी पुराना ही हुआ है न? उस समय भी दुनियाभर में इसी कंपनी के विमानों पर प्रतिबंध लगा था। संयोग देखिए – फिर से 737 सीरीज!

जांच में क्या निकला?

FAA की रिपोर्ट कहती है – “मशीन में कोई खराबी नहीं”। वहीं हमारे भारतीय अधिकारियों को लगता है कि पायलटिंग एरर हो सकता है। पर भईया, ब्लैक बॉक्स का डेटा अभी पूरा एनालाइज़ ही नहीं हुआ! ऐसे में ये जल्दबाज़ी क्यों? एक तरफ तो बोइंग (जो विमान बनाती है) और दूसरी तरफ अमेरिकी सरकार… दोनों एक ही सुर में बोल रहे हैं। थोड़ा संदेह तो स्वाभाविक है न?

कौन क्या बोल रहा?

हमारे विमानन मंत्रालय ने संतुलित रुख अपनाया है – “निष्पक्ष जांच होगी”। लेकिन अंतरराष्ट्रीय पायलट्स एसोसिएशन सीधे चेतावनी दे रही है – “ये बोइंग और अमेरिका की साठगांठ है!” विशेषज्ञ भी सवाल उठा रहे हैं। सच तो ये है कि अभी कुछ भी कहना मुश्किल है। पर इतना ज़रूर है – ये केस सिर्फ़ एक हादसे से कहीं बड़ा है। ये पूरे विमानन उद्योग की विश्वसनीयता का सवाल है।

आगे क्या होगा?

अब देखना ये है कि भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव में झुकेगा या सच्चाई सामने लाएगा। COVID के बाद तो एविएशन इंडस्ट्री पहले ही जूझ रही थी, अब ये नया झटका। यात्रियों का भरोसा और डगमगाएगा। लंबे समय में, शायद इससे सेफ्टी स्टैंडर्ड्स पर नए सिरे से बहस शुरू हो। पर फिलहाल… इंतज़ार कीजिए। सच्चाई धीरे-धीरे ही सामने आती है।

मेरी निजी राय

ईमानदारी से कहूं तो, मुझे लगता है ये केस बहुत गंभीर है। ना सिर्फ़ 12 लोगों की जान गई है, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या पायलट सच में ज़िम्मेदार हैं? या फिर उन्हें बस आसान टारगेट बनाया जा रहा है? वक्त बताएगा। पर एक बात तय है – अगर इस बार भी सच्चाई दबाई गई, तो भविष्य में और भी बड़े हादसे हो सकते हैं। सोचकर ही डर लगता है।

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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