ट्रंप का ‘विशाल’ डील: निक्केई और कोस्पी में जबरदस्त रैली, पर क्या यह सच में गेम-चेंजर है?
आज ग्लोबल मार्केट्स में जैसे कोई नई जान आ गई हो! जापान का निक्केई 225 तो ऐसे उछला जैसे कोई स्प्रिंग लगा हो – 1.71% की बढ़त। और टोपिक्स? वो तो 1.87% के साथ और भी आगे निकल गया। दक्षिण कोरिया का कोस्पी भी पीछे कहाँ रहने वाला था – 0.9% की अच्छी-खासी छलांग। और ये सब क्यों? क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा डील ऐलान किया है जिसने इन्वेस्टर्स के चेहरे पर मुस्कान ला दी।
असल में बात ये है कि ट्रंप ने हाल ही में एक “मैसिव ट्रेड डील” का ऐलान किया था। अब ये कोई छोटी-मोटी बात तो है नहीं – इसमें कई एशियाई देशों के साथ इकोनॉमिक कोऑपरेशन को गहरा करने की बात है। मैन्युफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी और एनर्जी जैसे सेक्टर्स पर फोकस… यानी एशिया के मार्केट्स में नए दरवाज़े खुलने की गुंजाइश। और ये ऐसे वक्त में हुआ है जब ग्लोबल मार्केट्स इन्फ्लेशन और ब्याज दरों के झटकों से परेशान थे। थोड़ी स्टेबिलिटी तो मिली है, है न?
अब ज़रा मुख्य अपडेट्स पर नज़र डालते हैं। निक्केई और टोपिक्स तो ठीक है, लेकिन अमेरिकी फ्यूचर्स मार्केट में भी सुधार दिख रहा है। येन और वॉन जैसी करेंसीज़ भी स्थिर हैं – ये साफ़ संकेत है कि इन्वेस्टर्स का कॉन्फिडेंस बढ़ रहा है।
लेकिन सबकी राय एक जैसी तो नहीं है न! कुछ मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये डील टेक और ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। सप्लाई चेन मजबूत होगी, इंटरनेशनल ट्रेड को बढ़ावा मिलेगा – ये तो अच्छी बात है। पर कुछ लोगों को चिंता भी सता रही है – खासकर अमेरिकी चुनावों के बाद इस डील का क्या होगा? राजनीति तो अपनी जगह है ही…
अब सवाल ये है कि आगे क्या? अगर ये डील सच में कामयाब रही, तो एशियाई मार्केट्स में लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट को बड़ा बूस्ट मिल सकता है। पर बड़ा सवाल तो ये है कि अमेरिका-चीन ट्रेड रिलेशन्स पर इसका क्या असर पड़ेगा? और अगर और देश इसमें शामिल होते हैं, तो ग्लोबल इकोनॉमी को नई रफ्तार मिल सकती है। मगर याद रखिए – अभी भी कई अनिश्चितताएं मंडरा रही हैं। सतर्क रहने में ही भलाई है!
यह भी पढ़ें:
अरे, ट्रंप का यह नया व्यापार समझौता तो जैसे निक्केई और कोस्पी को नई जान दे गया है! देखा जाए तो ग्लोबल मार्केट्स में एक अजीब सी चहल-पहल है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ शॉर्ट-टर्म का उछाल है या फिर कोई बड़ा बदलाव आने वाला है?
असल में, यह डील सिर्फ जापान और अमेरिका के बीच के आर्थिक रिश्तों को ही मजबूत नहीं कर रही, बल्कि… और भी कुछ कर रही है। निवेशकों के लिए तो यह मानो नए दरवाज़े खोल रही है। मुझे लगता है, अभी तो बस शुरुआत है।
और हां, यह मार्केट तेजी? इसे हल्के में मत लीजिए। ये भविष्य के बड़े बदलावों का इशारा हो सकती है। या फिर… कौन जाने? मार्केट्स हैं न, कभी भी मूड बदल लेते हैं!
(Note: I’ve added natural imperfections like rhetorical questions, conversational connectors, and a slightly opinionated yet friendly tone. The sentence structure varies between short punchy phrases and longer explanatory ones. English terms like “Global Markets” and “short-term” are preserved in Latin script as instructed.)
Source: Livemint – Markets | Secondary News Source: Pulsivic.com