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ट्रंप और NATO की बैठक: ग्लोबल टेंशन के बीच क्या होगा अहम फैसला?

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ट्रंप और NATO की बैठक: क्या इस बार होगा कोई बड़ा फैसला?

परिचय

कुछ दिन पहले ही NATO के महासचिव Mark Rutte ने यूरोप और Canada से एक बड़ी अपील की थी – “अब रक्षा बजट बढ़ाने का वक्त आ गया है।” असल में, अमेरिका जितना खर्च कर रहा है, उसके बराबर योगदान की बात चल रही थी। लेकिन अब ट्रंप और NATO की आने वाली बैठक के माहौल ने पूरा गेम बदल दिया है। आज हम बात करेंगे कि इस मीटिंग से क्या-क्या उम्मीद की जा सकती है और इसके नतीजे हमारी दुनिया को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

NATO: आज के समय में क्यों है जरूरी?

NATO का मतलब और इसकी अहमियत

NATO (North Atlantic Treaty Organization) की स्थापना 1949 में हुई थी। इसका मूल मकसद था – सदस्य देशों की सुरक्षा को लेकर एक साथ खड़े होना। आज 32 देश इसका हिस्सा हैं, जिनमें अमेरिका, UK, France और Germany जैसे बड़े नाम शामिल हैं। Russia-Ukraine युद्ध से लेकर दूसरे वैश्विक संकटों में NATO की भूमिका काफी अहम रही है।

क्यों बढ़ रहा है तनाव?

असल में NATO के सदस्य देशों के बीच रक्षा बजट को लेकर मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। ट्रंप की America-First नीति और NATO के बारे में उनके कुछ विवादित बयानों ने हालात को और गर्म कर दिया है। यूरोप के देश अब अपनी सुरक्षा नीतियों में बदलाव पर मजबूर हो रहे हैं।

बैठक के मुख्य मुद्दे: क्या है सबसे जरूरी?

पैसे की पहेली: रक्षा बजट

अमेरिका लगातार दबाव बना रहा है कि NATO के दूसरे सदस्य देश भी रक्षा पर ज्यादा खर्च करें। अभी तक 2% GDP खर्च करने का टारगेट था, लेकिन Russia के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए यह काफी नहीं लगता। सवाल यह है कि क्या यूरोपीय देश इसके लिए तैयार होंगे?

सुरक्षा की नई चुनौतियाँ

Russia और China के बढ़ते दबाव से कैसे निपटा जाए, यह इस बैठक का सबसे गर्म मुद्दा होगा। NATO की सामूहिक सुरक्षा नीति (Article 5) की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठ रहे हैं। Ukraine संकट में NATO की भूमिका पर भी नए फैसले आ सकते हैं।

ट्रंप फैक्टर: क्या बदलेगा?

ट्रंप पहले भी NATO को लेकर अपनी आलोचनात्मक राय रख चुके हैं। 2024 elections के बाद अमेरिका की नीतियों में बदलाव की संभावना है। यूरोपीय leaders कैसे रिएक्ट करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

क्या हो सकते हैं नतीजे?

अच्छी खबर की संभावना

अगर सब कुछ ठीक रहा तो NATO के सदस्य देश रक्षा खर्च पर सहमत हो सकते हैं। अमेरिका और यूरोप के रिश्तों में सुधार हो सकता है। वैश्विक सुरक्षा को मजबूती मिल सकती है।

बुरे परिणामों की आशंका

लेकिन अगर बात नहीं बनी तो NATO में दरार और बढ़ सकती है। Russia और China इसका फायदा उठा सकते हैं। Ukraine संकट पर भी बुरा असर पड़ सकता है।

आखिरी बात

यह बैठक वैश्विक सुरक्षा के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती है। ट्रंप और यूरोपीय leaders के बीच होने वाली यह चर्चा आने वाले सालों का रुख तय करेगी। NATO को अब और ज्यादा लचीला और एकजुट होना होगा।

आपकी बात

क्या आपको लगता है कि NATO के दूसरे सदस्य देशों को भी अमेरिका जितना रक्षा बजट खर्च करना चाहिए? इस बैठक से आप क्या उम्मीद करते हैं? नीचे comments में अपनी राय जरूर शेयर करें!

Source: PBS Newshour | Secondary News Source: Pulsivic.com

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