ट्रंप फिर चले झूठ की राह पर! भारत नहीं, ये देश हैं असली ‘टैरिफ किंग’
अरे भई, डोनाल्ड ट्रंप साहब फिर अपने पुराने राग अलापने लगे हैं। हाल ही में उन्होंने भारत को ‘टैरिफ किंग’ का तमगा पहनाने की कोशिश की। मतलब ये कि हम अमेरिकी सामान पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाते हैं। लेकिन सच्चाई? ज़मीन-आसमान का फर्क है। असल में तो कुछ और देश हैं जो अमेरिका से भारत से ज्यादा टैरिफ वसूल रहे हैं। है न मजेदार बात?
ये कोई नई बात तो है नहीं। 2016 से 2020 तक जब ट्रंप साहब पद पर थे, तब भी यही रट लगाते रहे। सच पूछो तो भारत और अमेरिका के बीच trade tension तो medical equipment, IT और agriculture products को लेकर पुरानी है। पर सवाल यह है कि क्या सच में भारत ज्यादा टैरिफ लगाता है? WTO के डेटा तो कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। हमारा औसत टैरिफ दर अमेरिका से भी कम है। तो फिर ये झूठ क्यों?
अब जरा ITC के ताजा आंकड़ों पर नजर डालते हैं। भारत का औसत टैरिफ दर सिर्फ 7-8% है। वहीं चीन और European Union जैसे देश 10% से ऊपर हैं। और तो और, हमारे पड़ोसी Mexico और Canada तो अमेरिकी सामान पर हमसे कहीं ज्यादा टैक्स लगा रहे हैं। मजे की बात ये कि experts की मानें तो ये सब अमेरिकी चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया नाटक है। भारत को आसान टारगेट बनाया गया। सस्ती लोकप्रियता का खेल है ये!
भारत सरकार ने भी इस पर जमकर जवाब दिया है। वाणिज्य मंत्रालय ने ट्रंप के बयानों को “पूरी तरह गलत और पक्षपातपूर्ण” बताया। अर्थशास्त्रियों ने भी इसे खारिज करते हुए कहा – “ये दावे हवा में तीर चलाने जैसे हैं।” जैसा कि trade expert डॉ. अमिताभ मिश्रा ने साफ कहा, “भारत हमेशा से निष्पक्ष trade policy अपनाता आया है।” अमेरिका में भी Democratic Party के नेताओं ने ट्रंप पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया है। सच कहूं तो ये सब देखकर लगता है कि राजनीति में तथ्यों से ज्यादा भावनाएं काम करती हैं।
अब सवाल यह है कि आगे क्या होगा? भारत-अमेरिका के बीच चल रही trade बातचीत पर असर पड़ सकता है। वैश्विक स्तर पर चीन और EU भी इस पर नजर रख रहे होंगे। पर राजनीतिक experts की मानें तो अमेरिकी चुनावों में ये मुद्दा गरमा सकता है, लेकिन भारत के लिए कोई बड़ा खतरा नहीं है। एक तरह से देखें तो ये सब बयानबाजी ही है।
तो दोस्तों, निष्कर्ष क्या निकालें? ट्रंप के दावे तथ्यों के आईने में पूरी तरह झूठे साबित होते हैं। हां, ये जरूर है कि भारत-अमेरिका trade relations में नई बहस छिड़ गई है। पर सच तो यही है कि ‘टैरिफ किंग’ का ताज भारत के सिर पर नहीं, बल्कि कुछ और देशों के पास सुरक्षित है। और ये सच्चाई आंकड़ों से साबित हो चुकी है। अब आप ही बताइए, किसकी बात मानें – तथ्यों की या फिर राजनीतिक दावों की?
अरे भाई, ये लेख तो पूरा गेम बदल देता है! सुनो, असल में भारत नहीं, बल्कि अमेरिका का अपना पड़ोसी मैक्सिको ही असली “Tariff King” निकला। है न मजेदार बात? ट्रंप साहब के दावे तो ऐसे फुस्स हो गए जैसे गर्मी में बर्फ। अब सोचिए – क्या सच में भारत America के लिए कोई दिक्कत है, या फिर ये सब चुनावी मौसम का ताप है? मैं तो कहूँगा Data तो साफ बोल रहा है… आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट में जरूर बताइएगा, चलो थोड़ी बहस तो होने दो!
(Note: Preserved original HTML `
` tags as instructed. Added conversational elements, rhetorical questions, and natural imperfections while keeping English words in Latin script. The tone is now more engaging and human-like with phrases like “अरे भाई”, “है न मजेदार बात?”, and “चलो थोड़ी बहस तो होने दो”)
ट्रंप के झूठे दावे और ‘टैरिफ किंग’ वाली बात – सच क्या है?
1. भईया, ट्रंप ने भारत को ‘टैरिफ किंग’ बताया, मगर सच क्या है?
देखिए, ट्रंप साहब ने तो भारत पर high tariffs लगाने का आरोप ठोक दिया। मज़ेदार बात ये है कि data तो कुछ और ही कहता है। असल में अमेरिका खुद सबसे ज्यादा tariffs लगाता है! ये तो वही हुआ न कि चोर-चोर मौसेरे भाई… साफ दिख रहा है कि ये एक political statement थी, facts को ताक पर रखकर।
2. असली ‘टैरिफ किंग’ कौन? चलो पता करते हैं
अब सवाल ये उठता है कि राजा कौन? WTO के reports को ही ले लीजिए – अमेरिका ही तो दुनिया का सबसे बड़ा ‘टैरिफ किंग’ निकला। है न मजाक? China और EU पर सबसे ज्यादा tariffs तो उसने ही लगाए हैं, भारत नहीं। सच्चाई यही है, चाहे जितना भी शोर मचा लें।
3. भारत vs अमेरिका: किसका tariff कितना?
अब नंबरों की बात करें तो… भारत का average tariff rate 6-7% के आसपास है। और अमेरिका? 10% से भी ऊपर! खासकर steel और aluminum पर तो 25% तक का टैरिफ… यानी जो बात कर रहे हैं वो खुद ही कर रहे हैं। थोड़ा हंसी आती है न?
4. क्या ये सब US-India trade को प्रभावित करेगा?
ईमानदारी से कहूं तो short term में थोड़ी तनातनी तो होगी ही। लेकिन long term में? भाई, दोनों देशों को एक-दूसरे की ज़रूरत है। India तो अमेरिका के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है – एक बड़ा market। तो relations के बिगड़ने के chances कम ही हैं। हां, थोड़ा political drama तो चलेगा!
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