ट्यूशन पढ़ाकर पैसे जुटाए, फिर बने असिस्टेंट कमांडेंट: एक ऐसी कहानी जो हौसला बढ़ाएगी
सच कहूं तो, जिंदगी में कुछ भी नामुमकिन नहीं होता। बस, जिस दिन आप ये मान लेते हैं कि “हो जाएगा”, उसी दिन से चीजें बदलनी शुरू हो जाती हैं। आज की ये कहानी UPSC CAPF में 139वीं रैंक हासिल करने वाले एक लड़के की है। पर ये सिर्फ सफलता की कहानी नहीं है… ये उस जुनून की कहानी है जो पैसों की तंगी को भी हरा देता है।
जब पैसे नहीं थे, तो क्या हुआ?
देखिए, middle class family का बच्चा होना अपने आप में एक challenge है। स्कूल की फीस से लेकर कॉलेज की किताबों तक – हर चीज के लिए पैसों की जद्दोजहद। लेकिन हमारे हीरो ने तो बचपन से ही तय कर लिया था – “या तो रोते रहो, या फिर solution निकालो।” और उन्होंने दूसरा रास्ता चुना। school के दिनों से ही ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। सुबह खुद पढ़ते, दोपहर में दूसरों को पढ़ाते। मजेदार बात ये कि इससे उनकी खुद की पढ़ाई भी मजबूत हो गई!
अब सवाल ये उठता है कि UPSC CAPF ही क्यों? तो भई, ये कोई ordinary government job तो है नहीं। इसमें वो मौका मिलता है जहां आप सीधे तौर पर देश की सेवा कर सकते हैं। वैसे भी, जिस लड़के ने बचपन से संघर्ष किया हो, उसके लिए तो ये perfect fit था।
बिना कोचिंग के कैसे किया तैयारी?
असल में, ये वो हिस्सा है जो सबसे ज्यादा inspire करता है। coaching के पैसे नहीं थे, तो क्या हुआ? उन्होंने खुद ही एक strategy बनाई। सुबह 5 बजे उठकर newspaper पढ़ना, फिर NCERT की किताबों को रट्टा नहीं, बल्कि समझकर पढ़ना। और हां, previous year papers तो उनकी बाइबल बन गए थे।
एक बात और – physical fitness को लेकर वो कितने serious थे, ये तो सुनकर ही आप हैरान रह जाएंगे। सुबह की दौड़, yoga, meditation… ये सब उनकी daily routine का हिस्सा था। क्योंकि CAPF में तो body और mind दोनों का test होता है न!
इंटरव्यू में कैसे किया कमाल?
written exam तो पास कर लिया, लेकिन असली टेस्ट तो अब शुरू होना था। personality development के लिए उन्होंने एक अजीब तरीका अपनाया – mirror के सामने खड़े होकर खुद से सवाल-जवाब करना! शुरू में तो अजीब लगता था, पर धीरे-धीरे confidence आ गया। और जब interview का दिन आया, तो उनका साफ-सुथरा जवाब और आत्मविश्वास देखकर interviewers भी impress हो गए।
और फिर वो दिन आ ही गया… जब result आया और उन्होंने 139वीं रैंक हासिल की। परिवार की आंखों में आंसू, दोस्तों की बधाइयां… ये वो पल होते हैं जिनके लिए सारा संघर्ष worth it लगने लगता है।
आखिरी बात… जो सबसे जरूरी है
अगर इस पूरी कहानी से एक चीज सीखनी है, तो वो ये कि problems कभी खत्म नहीं होतीं। बस, आपका उनसे deal करने का तरीका बदल जाता है। जैसे-जैसे आप मजबूत होते जाते हैं, problems छोटी पड़ती जाती हैं। और हां, ये बात हमेशा याद रखिए – “जिस दिन आप खुद पर भरोसा करना सीख जाते हैं, उस दिन से दुनिया आप पर भरोसा करने लगती है।”
“संघर्ष तो सबके जीवन में आता है, बस winners वो होते हैं जो इसे अपनी strength बना लेते हैं।”
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ट्यूशन से असिस्टेंट कमांडेंट तक: वो सारे सवाल जो आप पूछना चाहते थे!
1. ट्यूशन पढ़ाकर पैसे कमाने का सही तरीका क्या है?
देखिए, ट्यूशन पढ़ाना सिर्फ पैसे कमाने का जरिया नहीं है – ये एक skill है। मेरा खुद का अनुभव कहता है कि शुरुआत local से करो। छोटे बच्चों को पढ़ाओ, फिर धीरे-धीरे कॉलेज स्टूडेंट्स की क्लास लो। मजेदार बात ये है कि जैसे-जैसे आप पढ़ाओगे, आपकी खुद की concepts भी clear होती जाएंगी। सच कहूं तो मैंने भी यही किया था!
2. इस लंबी और थका देने वाली रेस में हिम्मत कैसे न टूटने दें?
अरे भाई, ये सवाल तो मैं खुद से रोज पूछता था! एक तरफ तो पढ़ाई का प्रेशर, दूसरी तरफ financial टेंशन। लेकिन यहां मेरी छोटी सी टिप है: हर छोटी जीत को सेलिब्रेट करो। टेस्ट में 5 नंबर ज्यादा आए? बधाई का मौका! दो स्टूडेंट्स ने आज तारीफ की? उसे डायरी में लिखो। ऐसा करोगे तो मोटिवेशन खुद-ब-खुद बना रहेगा।
3. असिस्टेंट कमांडेंट बनने का सपना देख रहे हैं? ये रहा आपका ब्लूप्रिंट
सुनो, ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है लेकिन आसान भी नहीं। Physical fitness तो बेसिक है ही – सुबह की दौड़ से भागोगे तो कैसे चलेगा? लेकिन असली गेम changer है consistency। NCERT की किताबें तो बाइबल की तरह पढ़ो, current affairs के लिए एक अच्छा newspaper पकड़ो (और उसे सच में पढ़ो!), और reasoning… अरे यार, इसमें तो रोज 10 सवाल हल करने की आदत डालो। SSB की बात अलग है – वहां तो आपको खुद को ही साबित करना है!
4. क्या ट्यूशन और competitive prep साथ-साथ चल सकते हैं?
बिल्कुल चल सकते हैं! मैंने किया है तो आप क्यों नहीं? बस एक बात याद रखो – टाइम मैनेजमेंट जिंदगी भर काम आएगा। मेरा तरीका सुनो: सुबह 5-7 बजे सेल्फ स्टडी, फिर ट्यूशन क्लासेस, शाम को 2 घंटे रिवीजन। वीकेंड? वो तो पवित्र समय है भाई! पर ये भी न भूलो कि हफ्ते में एक दिन ब्रेक लेना कोई गुनाह नहीं। थोड़ा सा संतुलन, थोड़ी सी मेहनत – और आप तैयार हैं जीतने के लिए!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com