“तुर्की-बांग्लादेश गठजोड़: भारत के लिए खतरा? बंगाल-बिहार पर ISIS की साजिश!”

तुर्की-बांग्लादेश गठजोड़: क्या भारत के लिए यह सच में खतरा है? बंगाल-बिहार में ISIS की साजिश की सच्चाई!

देखिए, पिछले कुछ महीनों से तुर्की और बांग्लादेश के बीच जो रक्षा समझौते हो रहे हैं, वो भारत के लिए चिंता का विषय ज़रूर बन गए हैं। पर सवाल यह है कि क्या यह सच में कोई नया खतरा है या फिर हम पुरानी आशंकाओं को नए तरीके से देख रहे हैं? असल में, भारतीय एजेंसियों को डर है कि यह पार्टनरशिप पश्चिम बंगाल और बिहार में ISIS जैसे संगठनों को हवा दे सकती है। और सच कहूँ तो, ये राज्य पहले से ही ऐसे मामलों के लिए संवेदनशील रहे हैं।

पूरी कहानी क्या है?

अब थोड़ा पीछे चलते हैं। तुर्की पिछले 5-6 साल से South Asia में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है – और बांग्लादेश उसका पसंदीदा प्लेग्राउंड बनता जा रहा है। हथियारों की डील? है। मिलिट्री ट्रेनिंग? है। लेकिन असली मसला तो यह है कि क्या यह सब भारत के पूर्वी राज्यों में अशांति फैलाने के लिए इस्तेमाल होगा? खासकर तब, जब पश्चिम बंगाल और बिहार में पहले से ही ISIS के कई मॉड्यूल एक्टिव हैं। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक कड़वा सच है।

अभी तक क्या हुआ है?

हाल में तुर्की ने बांग्लादेश को कुछ बेहतरीन मिलिट्री इक्विपमेंट दिए हैं – जिसे ‘सामरिक साझेदारी’ का नाम दिया जा रहा है। लेकिन भारतीय एजेंसियों को कुछ ऐसे सबूत मिले हैं जो ISIS और इस तुर्की-बांग्लादेश कनेक्शन के बीच एक धागा दिखाते हैं। और तो और, बांग्लादेश में तुर्की दूतावास की गतिविधियों पर भारत की नज़र अब और तेज हो गई है। कुछ रिपोर्ट्स तो यहाँ तक कहती हैं कि सीमा के पास युवाओं को भर्ती करने की कोशिशें चल रही हैं। गंभीर बात है, है न?

किसने क्या कहा?

भारतीय अधिकारियों का कहना है – “हम पूरी तरह अलर्ट हैं।” विदेश मंत्रालय ने अपनी ओर से वही पुराना स्टैंड दोहराया है – “हम दूसरों के मामलों में नहीं टांग अड़ाते, लेकिन अगर हमारी सुरक्षा को खतरा होगा तो जवाब देंगे।” बांग्लादेश? उनका कहना है कि “यह सिर्फ आर्थिक और रक्षा सहयोग है।” और तुर्की? वो तो ‘क्षेत्रीय शांति’ की बात कर रहा है। पर सच्चाई क्या है? वही जो हमारी एजेंसियों की रिपोर्ट्स कह रही हैं।

अब आगे क्या?

BSF और अन्य एजेंसियों को पहले ही अलर्ट कर दिया गया है। अगर ISIS या कोई और संगठन सिर उठाता है, तो भारत के पास सैन्य और कूटनीतिक विकल्प तैयार हैं। पर असली सवाल यह है कि क्या तुर्की की यह दखलंदाजी South Asia की स्थिरता के लिए अच्छी है? मेरी निजी राय? जब तक हम सतर्क हैं, कोई खतरा नहीं। लेकिन लापरवाही की कीमत हम नहीं चुका सकते।

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Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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