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“तुर्की को भारी पड़ी पाकिस्तान से दोस्ती! भारत के खिलाफ खेलते ही झेलनी पड़ी भयंकर मुसीबत”

तुर्की को पाकिस्तान से दोस्ती का खामियाजा! भारतीयों का गुस्सा और पर्यटन पर ब्रेक

क्या आपने कभी सोचा था कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गलत दांव खेलने का बिल कौन भरता है? तुर्की इन दिनों इसी सवाल का जवाब झेल रहा है। देखिए न, पिछले कुछ सालों से तुर्की जिस तरह भारत के मामलों में पाकिस्तान का साथ देता रहा, उसका नतीजा अब सामने आ रहा है। “Boycott Turkey” ट्रेंड ने असल में काम किया है – भारतीय पर्यटकों की संख्या में 37% की गिरावट! यानी सीधी-सी बात, हमारे यहां के लोगों ने अपने पैसे से वोट किया है।

पूरा माजरा क्या है? थोड़ा पीछे चलते हैं

असल में बात शुरू होती है Recep Tayyip Erdoğan से। ये साहब कश्मीर मुद्दे पर बार-बार भारत को घेरने की कोशिश करते रहे। 2019 में जब अनुच्छेद 370 हटा, तो United Nations में क्या बोले ये? कश्मीर को “अंतरराष्ट्रीय समस्या” बताया! अब भला, कोई देश अपने अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी पसंद करता है क्या? हमारे यहां तो लोगों को ये बात चुभ गई। और फिर शुरू हुआ सोशल मीडिया का तूफान…

नंबर्स ने बताई कहानी: होटल वालों की टेंशन बढ़ी

अब आप ही बताइए – जब आप किसी देश में जाने का प्लान बनाएं, और वहां के नेता आपके देश के खिलाफ बयानबाजी करें, तो मन कैसे लगेगा? यही हुआ है तुर्की के साथ। उनके होटल वालों की हालत देखिए – “हमारे यहां तो 30% बुकिंग सिर्फ भारतीयों की होती थी, अब आधी रह गई है।” सच कहूं तो, तुर्की के लिए ये सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि एक बड़ा वेक-अप कॉल है।

और सोशल मीडिया? वहां तो माजरा और भी दिलचस्प है। लोग Switzerland, Dubai की तस्वीरें पोस्ट करके लिख रहे हैं – “तुर्की जाने से अच्छा यहां चले जाओ!” कुछ तो यहां तक कह रहे हैं कि उन्होंने अपनी हनीमून की यात्रा तक कैंसिल कर दी। हालांकि, सरकारी तौर पर कोई बैन नहीं है, लेकिन जनता का गुस्सा साफ दिख रहा है।

क्या कह रहे एक्सपर्ट? थोड़ा सा गंभीर हो जाएं

अब सवाल यह है कि आगे क्या? राजनीतिक विश्लेषकों की राय साफ है – तुर्की को अपनी नीतियों पर फिर से सोचना होगा। जैसे कि एक एक्सपर्ट ने कहा, “आप चाहे कितनी भी ताकतवर अर्थव्यवस्था क्यों न हों, लेकिन दोनों तरफ से रोटी सेकने की कोशिश लंबे समय तक नहीं चलती।” सच भी तो है – एक तरफ भारतीय पर्यटकों के पैसे लेना, दूसरी तरफ भारत के खिलाफ बयान देना…ये कैसा न्याय?

तुर्की के सामने अब क्या विकल्प?

अगर तुर्की ने समय रहते अपनी रणनीति नहीं बदली, तो हालात और खराब हो सकते हैं। पर्यटन तो एक पहलू है, लेकिन भारत के साथ trade relations पर भी असर पड़ सकता है। एक बात तो तय है – आज के दौर में जहां social media की ताकत इतनी ज्यादा है, वहां किसी भी देश को अपने फैसलों की कीमत चुकानी पड़ सकती है। तुर्की इसका जीता-जागता उदाहरण बन चुका है।

आखिर में एक बात समझनी जरूरी है – अंतरराष्ट्रीय संबंधों में दोस्ती और दुश्मनी दोनों का अपना मूल्य होता है। तुर्की ने पाकिस्तान को चुनकर शायद ये नहीं सोचा था कि भारतीय पर्यटकों का प्यार इतनी जल्दी ठंडा पड़ जाएगा। अब देखना ये है कि वो इस सबक से क्या सीखते हैं। वैसे, हमारे यहां कहावत है न – “जैसी करनी वैसी भरनी”… शायद ये उसका ही एक उदाहरण है।

यह भी पढ़ें:

तुर्की-पाकिस्तान दोस्ती: क्या भारत के लिए यह सच में बड़ी बात है?

तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली?

ईमानदारी से कहूं तो, तुर्की ने यहां बड़ी भूल की। पाकिस्तान का समर्थन करके उन्होंने भारत को नाराज़ तो किया ही, साथ ही अपने ही economic interests को नुकसान पहुंचाया। और हां, नतीजा? भारत ने तुरंत action लेते हुए कई deals और projects पर ब्रेक लगा दिया। अब सोचिए, क्या यह सब करना उनके लिए सही था?

भारत ने तुर्की के साथ कैसे किया ‘जैसे को तैसा’?

देखिए, भारत ने कोई half-measures नहीं लीं। Defence deals? Cancel। Infrastructure projects? वही हश्र। और तो और, तुर्की से आने वाले सामानों पर भी restrictions लगा दीं। असल में, यह वही old-school diplomacy है जहां action के बिना reaction नहीं होता। तुर्की की economy को जो झटका लगा, वो तो अभी तक महसूस किया जा रहा है।

क्या अब तुर्की ‘मनाने’ की मुद्रा में आया है?

अरे भाई, recent reports तो यही कह रही हैं! लगता है उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है। Positive signals भी दे रहे हैं, लेकिन सच कहूं तो? अभी तक कोई concrete progress नहीं हुआ। यह तो वैसा ही है जैसे कोई लड़ाई के बाद मनाने की कोशिश करे, पर trust फिर से build करने में वक्त लगता है न?

पाकिस्तान को मिला तुर्की का साथ – क्या यह उनके लिए वरदान साबित हुआ?

सुनिए, military और diplomatic support मिलना अच्छी बात ज़रूर है, पर international image और खराब हो गई। और हां, भारत के strong reaction ने पाकिस्तान की economy को भी झटका दिया। कुल मिलाकर? थोड़ा सा support पाकर भी उन्हें long-term नुकसान उठाना पड़ा। Ironical है न?

Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com

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