UBS और Citi जैसे बैंकों का बुरा हाल: सिंगापुर में मनी-लॉन्ड्रिंग केस में 179 करोड़ का झटका!
अरे भाई, सिंगापुर का फाइनेंशियल वर्ल्ड इन दिनों गर्म है… और मैं सच कहूँ तो ‘गर्म’ शब्द भी कम पड़ रहा है! असल में, UBS और Citi जैसे बैंकिंग दिग्गजों को सिंगापुर में 21.5 मिलियन डॉलर (यानी हमारे लगभग 179 करोड़ रुपये) का जुर्माना झेलना पड़ा है। और ये सिर्फ पैसे की बात नहीं है – सोने की सिल्लियाँ? जब्त। लग्जरी कारें? जब्त। एकदम बॉलीवुड स्टाइल एक्शन!
ये सारा ड्रामा हुआ कैसे?
देखिए, बात ये है कि सिंगापुर में एक बड़ा मनी-लॉन्ड्रिंग रैकेट चल रहा था। और हैरानी की बात ये कि बड़े-बड़े बैंक्स ने संदिग्ध ट्रांजैक्शन्स पर आँखें मूंद लीं। MAS (यानी सिंगापुर का RBI) ने जब जाँच की तो पता चला – इन बैंकों का पूरा AML सिस्टम ही ढीला-ढाला था।
अब आप सोच रहे होंगे – “भई ये AML क्या चीज़ है?” सरल भाषा में समझें तो ये वो प्रोसेस है जिससे बैंक पता लगाते हैं कि पैसा कहाँ से आ रहा है। और जब ये सिस्टम फेल हो जाए… तो होता कुछ ऐसा ही जो सिंगापुर में हुआ!
और भई, मामला कितना बड़ा है इसका अंदाज़ा इसी से लगाइए – अब तक 2.8 बिलियन डॉलर की प्रॉपर्टी जब्त हो चुकी है। इसमें सोना, कारें, नकदी… जैसे कि कोई हीरोइन का विलेन का घर सर्च हो रहा हो!
किसको कितना चुकाना पड़ा?
सबसे ज्यादा तो UBS को लगा – 5.2 मिलियन डॉलर। Citi को 3.9 मिलियन डॉलर का झटका। कुल मिलाकर 21.5 मिलियन डॉलर… यानी हम भारतीयों के लिए समझें तो लगभग 179 करोड़ रुपये। इतने में तो कोई IPL टीम खरीद ले!
मज़ेदार बात ये कि ये सारा पैसा Due Diligence न करने की वजह से लगा। मतलब साफ है – बैंकों ने ग्राहकों की पूछताछ ही ठीक से नहीं की। और अब नतीजा सामने है।
आगे क्या होगा?
MAS ने तो साफ कह दिया है – “ये चेतावनी है, अगली बार और सख्ती होगी।” UBS ने भी मान लिया कि उनसे गलती हुई। पर सवाल ये है कि क्या सच में कुछ बदलेगा?
विशेषज्ञ कह रहे हैं कि एशिया में वेल्थ मैनेजमेंट बढ़ रहा है, पर निगरानी उस हिसाब से नहीं। और ये केस तो सिर्फ सिंगापुर की ही नहीं, पूरी ग्लोबल बैंकिंग इंडस्ट्री के लिए वेक-अप कॉल है।
सच कहूँ तो… अब देखना ये है कि ये सबक सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेगा या असली बदलाव लाएगा। क्योंकि जब तक सिस्टम में ढील रहेगी, ऐसे केसेस तो आते रहेंगे। है न?
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अरे भाई, अभी तो सिंगापुर में बड़ा हंगामा हो रहा है बैंकों को लेकर! UBS और Citi जैसे दिग्गज बैंकों पर मनी-लॉन्ड्रिंग के आरोप… और सजा? 180 करोड़ रुपये का जुर्माना! लेकिन सवाल यह है कि आखिर हुआ क्या?
1. असल में मामला क्या है?
देखिए, बात यह है कि सिंगापुर के रेगुलेटर्स को लगा कि ये बैंक एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (AML) guidelines को लेकर थोड़े… ढीले पड़ गए थे। 21.5 मिलियन डॉलर का जुर्माना तो सिर्फ एक संकेत है – “भाई, इतनी बड़ी गलती माफ नहीं!”
2. यह सब सिंगापुर में ही क्यों?
अच्छा सवाल! सिंगापुर को तो हम सब जानते हैं – financial hub है ना? वहां के rules बहुत strict हैं। थोड़ी सी भी shady activity और… छापा पड़ जाता है! इस बार उनकी नजर में ये बैंक आ गए क्योंकि suspicious transactions पर proper checks नहीं हुए। सीधी सी बात – नियम तोड़ा, सजा मिली।
3. क्या भारत के बैंक भी डरें?
ईमानदारी से कहूं तो अभी तक direct impact तो नहीं दिख रहा। लेकिन… यह केस एक wake-up call जरूर है। आप देखना, अगले कुछ महीनों में भारतीय बैंक अपनी AML policies को और tight करेंगे। वैसे भी, global banking में ऐसे cases सबक सिखाने के लिए ही होते हैं।
4. जुर्माने का गणित समझिए
अब यहां मजेदार बात यह है कि जुर्माना कोई fixed rate नहीं होता। देखिए ना, यह तो पूरी तरह depend करता है:
– गलती कितनी बड़ी थी?
– बैंक का size क्या है?
– पहले भी ऐसे cases हुए हैं क्या?
इस बार सिंगापुर ने सिर्फ पैसे का जुर्माना ही नहीं लगाया, बल्कि बैंकों को अपनी internal processes सुधारने के strict निर्देश भी दिए हैं। एक तरह से डबल मार!
तो यह थी पूरी कहानी। अब आप ही बताइए – क्या यह सजा जायज है या फिर बैंकों के साथ ज्यादती हुई है? कमेंट में बताइएगा जरूर!
Source: Financial Times – Companies | Secondary News Source: Pulsivic.com