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UK-India FTA अनिश्चितता ने ₹2,000 करोड़ के अल्ट्रा-लक्ज़री कार बाज़ार में बिक्री ठप्प कर दी

यूके-भारत FTA का झटका: अल्ट्रा-लक्ज़री कारों का बाज़ार ठंडा क्यों पड़ गया?

देखिए न, ये FTA वाली बात… भारत और यूके के बीच चल रहा ये मुक्त व्यापार समझौता (FTA) अभी तक पेंडिंग है, और इसी अनिश्चितता ने ₹2 करोड़ से ऊपर की गाड़ियों का बाज़ार ही ठप्प कर दिया है। सोचिए, जब एक कार पर 1-1.5 करोड़ की बचत की उम्मीद हो, तो कोई भी ग्राहक अभी खरीदारी क्यों करेगा? डीलर्स तो बेचने को तैयार हैं, लेकिन ग्राहक हैं कि ‘भाई, FTA का फैसला हो जाए, फिर देखेंगे’।

FTA इतना ज़रूरी क्यों है? समझिए पूरा मामला

असल में बात ये है कि पिछले दो साल से ये वार्ताएं चल रही हैं, पर फाइनल ड्राफ्ट अभी तक नहीं आया। अभी तो हालत ये है कि Rolls-Royce, Bentley जैसी कारों पर 100% से ज़्यादा का आयात शुल्क लगता है – यानी कार की असली कीमत से दोगुना! FTA आया तो शायद ये टैक्स घटकर 30% तक आ जाएगा। पर यहाँ एक पेंच है – कोटा सिस्टम भी आ सकता है, यानी सीमित संख्या में कारों को ही ये छूट मिलेगी। ब्रिटिश कंपनियों के लिए तो ये भारतीय बाज़ार में घुसने का गोल्डन टिकट होगा।

बाज़ार पर असर: ग्राहकों का ‘वेट एंड वॉच’ गेम

तो क्या हो रहा है अभी? सीधी बात – बुकिंग्स रोक दी गई हैं। कोई भी समझदार ग्राहक 1.5 करोड़ बचाने के चांस को क्यों छोड़ेगा? नतीजा – बिक्री में 40% तक की गिरावट! कार कंपनियाँ भी परेशान हैं – सरकार से साफ़ जवाब चाहिए कि पॉलिसी क्या होगी, ताकि वो अपनी प्लानिंग कर सकें। सच कहूँ तो, ये पूरा सेक्टर अभी एक अजीब लिम्बो में फंसा हुआ है।

ग्राहक और डीलर्स की राय: क्या कह रहे हैं लोग?

मैंने कुछ डीलर्स से बात की तो उनका कहना था – “साहब, ग्राहक तो बस इंतज़ार कर रहे हैं। टैक्स कम हुआ नहीं कि बाज़ार में तूफान आ जाएगा!” एक्सपर्ट्स की राय है कि ये सब शॉर्ट-टर्म प्रॉब्लम है। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि कुछ ग्राहक तो खुलेआम कह रहे हैं – “हमें 6 महीने, 1 साल इंतज़ार करने में कोई दिक्कत नहीं, बशर्ते 1 करोड़ से ज़्यादा की सेविंग्स हो!”

आगे क्या? 2024 में उछाल आएगा?

अगर FTA जल्दी साइन हो गया तो 2024 तक अल्ट्रा-लक्ज़री कारों की बिक्री में जबरदस्त उछाल आ सकता है। लेकिन अगर देरी हुई तो? कंपनियों को शायद अस्थायी डिस्काउंट देने पड़ें। लॉन्ग टर्म में तो ये डील भारत को यूरोपियन लक्ज़री ब्रांड्स का हब बना सकती है। मतलब साफ है – प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, ग्राहकों को फायदा होगा।

तो हालात क्या हैं? FTA की अनिश्चितता ने बाज़ार को थाम रखा है, पर जैसे ही डील होगी, गेम बदल जाएगा। अब बस यही देखना है कि दोनों सरकारें कब तक इस पजल को सॉल्व कर पाती हैं। एक बात तो तय है – जो भी हो, भारतीय अमीरों को उनकी ड्रीम कार्स सस्ती मिलने वाली हैं!

Source: ET Auto – Passenger Vehicles | Secondary News Source: Pulsivic.com

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