ग्लास्टनबरी का वो विवाद: जब ‘Death to IDF‘ नारों ने छेड़ी नई बहस
अरे भाई, ग्लास्टनबरी फेस्टिवल इस बार सिर्फ संगीत से नहीं, बल्कि एक ऐसे विवाद से चर्चा में है जिसने सबको दो खेमों में बाँट दिया है। सीन कुछ यूँ था – ब्रिटिश पंक डुओ Bob Vylan ने अपने शो में दर्शकों के साथ मिलकर “Free Palestine” और “Death to IDF” जैसे नारे लगाए। और फिर? फिर तो पूरा मामला पुलिस केस बन गया! असल में, यूके पुलिस ने इसे hate speech मानकर जांच शुरू कर दी है। पर सवाल यह है कि क्या यह सच में नफरत फैलाने वाला भाषण था, या फिर सिर्फ राजनीतिक विरोध का एक तरीका?
पूरी कहानी समझिए
Bob Vylan… नाम तो सुना होगा? Bobby और Bobbie की यह जोड़ी ब्रिटेन में उस रॉक-पंक सीन का हिस्सा है जो हमेशा सिस्टम के खिलाफ आवाज़ उठाती रही है। इनके गाने? वो तो सीधे दिल पर चोट करते हैं – बेरोजगारी, नस्लभेद, सामाजिक अन्याय पर। और ग्लास्टनबरी? भई, वहाँ तो हमेशा से ही संगीत के साथ-साथ विचारों का भी मेला लगता रहा है।
पर इस बार बात इजरायल-फिलिस्तीन के उस जटिल विवाद से जुड़ गई जो पिछले कुछ महीनों से पूरी दुनिया में बहस का विषय बना हुआ है। सच कहूँ तो, यह मुद्दा अब सिर्फ एक भू-राजनीतिक विवाद नहीं रहा – यह तो हर समाज के अंदर की दरार को उजागर कर रहा है। एक तरफ अभिव्यक्ति की आज़ादी का पक्ष, तो दूसरी तरफ समाज में शांति बनाए रखने की ज़िम्मेदारी।
अब तक क्या हुआ?
पुलिस ने case दर्ज किया है, और यह कोई मामूली बात नहीं। ब्रिटेन के कानून में hate speech को गंभीर अपराध माना जाता है। वहीं दूसरी ओर, सरकार ने BBC को भी निशाने पर ले लिया है – आरोप है कि उन्होंने “आतंकवादी समर्थक” संदेशों को हवा दी।
BBC ने अपनी तरफ से कहा है कि वे सिर्फ रिपोर्टिंग कर रहे थे, किसी पक्ष को सपोर्ट नहीं। पर सवाल यह है कि क्या मीडिया को ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर और ज़िम्मेदारी से काम करना चाहिए? खासकर तब, जब एक तरफ से आरोप लग रहे हों कि यह रिपोर्टिंग नहीं, प्रोपेगैंडा है।
लोग क्या कह रहे हैं?
सोशल मीडिया पर तो जैसे युद्ध छिड़ गया है! #BobVylan और #Glastonbury ट्रेंड कर रहे हैं, और लोग दो गुटों में बंटे नज़र आ रहे हैं। एक तरफ वो लोग जो मानते हैं कि कलाकार को अपनी राय रखने का पूरा हक़ है – आखिर संगीत हमेशा से विरोध का माध्यम रहा है। दूसरी तरफ यहूदी समुदाय और कई राजनेता इसे हिंसा को बढ़ावा देने वाला भाषण मान रहे हैं।
और हाँ, एक मजेदार बात – कुछ लोग तो बैंड के पुराने गाने खोजकर ये साबित करने में लगे हैं कि ये लोग “हमेशा से विवादास्पद” रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, फैंस का एक बड़ा समूह इसे “सिस्टम के खिलाफ साहसिक बयान” बता रहा है। कुल मिलाकर, हर कोई अपनी-अपनी राग अलाप रहा है।
आगे क्या?
अब देखिए न, इसके तीन संभावित नतीजे हो सकते हैं:
1. अगर पुलिस को सबूत मिल गए तो Bob Vylan के खिलाफ केस चलेगा – और फिर कला बनाम कानून की वह पुरानी बहस फिर से शुरू हो जाएगी।
2. BBC को अपनी गाइडलाइंस पर फिर से सोचना पड़ सकता है – खासकर राजनीतिक मुद्दों को कवर करने के तरीके पर।
3. और सबसे बड़ा सवाल – क्या कलाकारों को अपने मंच से राजनीतिक बयान देने चाहिए? या फिर कला को राजनीति से अलग रखना चाहिए? यह बहस तो अब लंबे समय तक चलने वाली है।
आखिरी बात
यह मामला सिर्फ एक संगीत कार्यक्रम की घटना नहीं रहा। यह तो उस बड़ी लड़ाई का प्रतीक बन गया है जो आज पूरी दुनिया में चल रही है – एक तरफ अभिव्यक्ति की आज़ादी, तो दूसरी तरफ सामाजिक सद्भाव की ज़िम्मेदारी। और जैसा कि हमेशा होता आया है, इसमें कोई आसान जवाब नहीं है। एक तरह से देखा जाए तो, ग्लास्टनबरी का यह विवाद हमारे समय का आईना है – जहाँ हर चीज़ दो रायों में बंटी नज़र आती है।
तो आपकी राय क्या है? क्या Bob Vylan ने सही किया? या फिर उन्हें अपने संगीत तक ही सीमित रहना चाहिए था? कमेंट में बताइएगा ज़रूर!
UK सरकार और पुलिस की यह कार्रवाई साफ़ संदेश देती है – आतंकवादी संगठनों की तरफ़दारी करने वाले बयान अब चलने वाले नहीं। है न? और BBC को मिली यह फटकार तो मानो पूरे मीडिया के लिए एक झटका है। ऐसा लगता है जैसे सरकार कह रही हो, “भाई, ज़िम्मेदारी से काम लो वरना…”
अब सवाल यह है कि क्या यह Free Speech पर अनुचित पाबंदी है? शायद। पर एक तरफ़ देखें तो, जब कला और राजनीति की लाइनें धुंधली होने लगें, तो समस्या तो होगी ही। ठीक वैसे ही जैसे चाय में नमक डाल दिया जाए – स्वाद ही बिगड़ जाता है।
सच कहूँ तो, यह मामला उतना सरल नहीं जितना लगता। एक तरफ़ Free Speech का सिद्धांत, दूसरी तरफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल। पर UK सरकार ने तो अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है। बस।
Source: NY Post – World News | Secondary News Source: Pulsivic.com