ukraine neighbor buys israeli iron dome against putin 20250714200655176396

यूक्रेन के पड़ोसी ने खरीदा इजरायली Iron Dome! पुतिन के खिलाफ इजरायल का बड़ा कदम

रोमानिया ने इजरायल का Iron Dome खरीदा – क्या ये पुतिन के लिए चेतावनी है?

अरे भई, पूर्वी यूरोप में तो इन दिनों जैसे हर कोई अपनी सुरक्षा को लेकर सीरियस हो गया है! अभी-अभी खबर आई है कि यूक्रेन का पड़ोसी देश रोमानिया ने इजरायल के मशहूर Iron Dome सिस्टम को खरीदने का फैसला किया है। सच कहूं तो, ये कोई छोटी-मोटी डील नहीं है। असल में देखा जाए तो ये एक तरह का जियो-पॉलिटिकल गेम-चेंजर हो सकता है।

वैसे रोमानिया के पास पहले से ही अमेरिकी Patriot मिसाइल सिस्टम तो था, लेकिन आजकल के ड्रोन और क्रूज मिसाइलों जैसे छोटे-मोटे खतरों से निपटने के लिए उनके पास कोई खास बचाव नहीं था। Iron Dome ठीक इसी कमी को पूरा करेगा। मतलब साफ है – अब रोमानिया पूरी तरह से सेफ्टी मोड में आ गया है!

रूस-यूक्रेन वॉर का असर: क्यों डरा हुआ है रोमानिया?

देखिए, रोमानिया NATO का मेंबर है, ये तो सभी जानते हैं। लेकिन पिछले दो साल से रूस-यूक्रेन वॉर ने इस पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। अब सवाल यह है कि क्या रोमानिया सच में इतना डर गया है? शायद हां… वरना इतना बड़ा कदम क्यों उठाता?

Iron Dome की बात करें तो ये इजरायल का सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम है जो 90% एक्यूरेसी के साथ छोटी मिसाइलों, ड्रोन्स को मार गिराता है। एक तरह से ये छोटे-मोटे हमलों के लिए परफेक्ट शील्ड है। लेकिन यहां सबसे मजेदार बात ये है कि इजरायल ने अभी तक यूक्रेन को सीधी मिलिट्री हेल्प देने से मना किया है, लेकिन रोमानिया को ये सिस्टम बेचकर उन्होंने रूस को इनडायरेक्टली एक मैसेज दे दिया है। स्मार्ट मूव, है न?

डील के पीछे की असली कहानी

अब जरा इस डील के डिटेल्स पर नजर डालते हैं:

  • ये सौदा करोड़ों डॉलर का है (यानी भारी भरकम!)
  • रोमानिया अब Patriot (लंबी दूरी) + Iron Dome (छोटी दूरी) के कॉम्बिनेशन से सेफ होगा
  • इजरायल इसे “रक्षा सहयोग” बता रहा है – पॉलिटिकली करेक्ट लैंग्वेज!

अलग-अलग लोगों की राय भी कम दिलचस्प नहीं है। रोमानियाई डिफेंस मिनिस्ट्री तो खुशी से झूम रही है (“हमारी सुरक्षा मजबूत होगी!”), वहीं इजरायली अधिकारी NATO के साथ टाई-अप बढ़ाने की बात कर रहे हैं। और रूस? अभी तक चुप्पी साधे हुए है – लेकिन उनका मीडिया तो यही कह रहा है कि “इजरायल पश्चिम के साथ मिलकर रूस के खिलाफ खेल रहा है।”

आगे क्या? 3 बड़े सवाल जो सबके दिमाग में हैं

अब तो बस यही देखना बाकी है कि:

  1. रूस इस पर कैसे रिएक्ट करेगा? क्या पुतिन इजरायल पर प्रेशर डालेंगे?
  2. क्या अब और NATO देश भी Iron Dome खरीदने को ललचाएंगे?
  3. सबसे बड़ा सवाल – क्या इजरायल अब यूक्रेन को भी हेल्प करने लगेगा?

एक बात तो तय है – ये डील सिर्फ दो देशों की बात नहीं रही। ये तो पूरे यूरोप की सिक्योरिटी डायनैमिक्स बदल देगी। आने वाले दिनों में इसके कई और इफेक्ट देखने को मिलेंगे। फिलहाल तो बस इतना ही – बाकी… वक्त बताएगा!

यह भी पढ़ें:

यूक्रेन और इज़रायल का Iron Dome: जानिए वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

1. Iron Dome आखिर है क्या? और ये काम कैसे करता है?

देखिए, Iron Dome को समझना उतना ही आसान है जितना कि आपके घर का CCTV सिस्टम। बस फर्क इतना है कि ये कोई साधारण सुरक्षा प्रणाली नहीं, बल्कि इज़रायल की बनाई हुई एक जबरदस्त मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। असल में, ये short-range rockets और artillery shells को हवा में ही नष्ट कर देता है। कैसे? रडार और ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी की मदद से threats को पकड़कर… और फिर बाम! मिड-एयर में ही खत्म। सच में कमाल की चीज़ है।

2. यूक्रेन का पड़ोसी Iron Dome खरीद क्यों रहा है? क्या कोई गेम चल रहा है?

अब यहाँ बात दिलचस्प हो जाती है। सुनिए, रिपोर्ट्स तो यही कह रही हैं कि पुतिन के possible attacks से बचने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है। लेकिन मेरी नज़र में, ये इज़रायल का एक चालाक diplomatic move भी है। यूक्रेन को सपोर्ट करने का एक तरीका, बिना सीधे तौर पर रूस को नाराज़ किए। स्मार्ट, है ना?

3. क्या सच में Iron Dome पुतिन के लिए सिरदर्द बन सकता है?

ईमानदारी से कहूँ तो – हाँ, बिल्कुल! अगर ये सिस्टम ठीक से काम करे, तो रूसी missiles और drones की रफ़्तार कम हो सकती है। सोचिए, जैसे क्रिकेट में अच्छा फील्डिंग साइड गेंदबाज़ी को मजबूत कर देता है, वैसे ही ये यूक्रेन को defensive advantage देगा। हालांकि, युद्ध के मैदान में कुछ भी हो सकता है।

4. सीधा सवाल: इज़रायल ने यूक्रेन को Iron Dome क्यों नहीं दिया?

अरे भाई, राजनीति है न! इज़रायल रूस के साथ अपने रिश्तों को लेकर बहुत cautious है। सीधे military aid देना उनके लिए risky हो सकता था। तो क्या किया? पड़ोसी देश के जरिए सप्लाई कर दी। जैसे हमारे यहाँ कहते हैं – “हाथ की सफाई”। एक तरह से diplomatic चाल, समझे? लेकिन असल मकसद तो यूक्रेन की मदद करना ही है।

Source: Navbharat Times – Default | Secondary News Source: Pulsivic.com

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