उमर-शरजील केस: HC का फैसला आने वाला है, पर SG ने तो बता दिया – ये कोई मामूली मामला नहीं!
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक बेहद संवेदनशील मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। और ये कोई आम केस नहीं है – 2020 के उन दिल्ली दंगों से जुड़ा है जिसने पूरे देश को हिला दिया था। अदालत ने उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर फैसला टाल दिया है। पर असली मजा तो SG तुषार मेहता की दलीलों में था! उन्होंने साफ कहा – “ये सिर्फ दंगे नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी जिसका मकसद भारत की इंटरनेशनल इमेज को धूमिल करना था।” अब तक 58 गवाहों ने बयान दिए हैं… और देखिए न, केस और भी पेचीदा होता जा रहा है।
पूरा मामला क्या है? UAPA के चंगुल में फंसे दो युवा
याद है न वो फरवरी 2020? जब दिल्ली सड़कों पर आग लगी थी और 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी? पुलिस का दावा है कि उमर और शरजील ने भड़काऊ भाषण देकर हिंसा को हवा दी। Social media पर एक्टिव रहे, लोगों को उकसाया। और अब इन पर UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत केस चल रहा है – वो भी देशद्रोह और साजिश जैसे गंभीर आरोपों में! अरे भई, UAPA में तो जमानत मिलना ही मुश्किल होता है। निचली अदालत तो पहले ही इनकी जमानत खारिज कर चुकी है। अब बारी हाईकोर्ट की है।
ताजा अपडेट: 58 गवाह, SG की धमक और कोर्ट का रुका फैसला
पिछली सुनवाई में क्या-क्या हुआ? सबसे पहले तो कोर्ट ने फैसला टाल दिया – मतलब कुछ दिन और इंतजार। SG मेहता ने जोर देकर कहा – “ये सिर्फ दंगे नहीं, बल्कि भारत की इंटरनेशनल इमेज को धूमिल करने की साजिश थी।” 58 गवाह! इतने सारे… और कई ने तो सीधे-सीधे आरोपियों को हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया है। वहीं दूसरी तरफ, आरोपियों के वकीलों का कहना है – “ये सब राजनीतिक साजिश है, ठोस सबूत कहाँ हैं?” सच क्या है? फिलहाल तो कोर्ट ही बताएगा।
किसने क्या कहा? राजनीति से लेकर सिविल सोसाइटी तक की प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने तो हर तरफ बवाल मचा रखा है। SG मेहता तो बिल्कुल सख्त – “ये देश की संप्रभुता पर हमला था।” उमर के वकील का जवाब – “सिर्फ इसलिए टार्गेट किया जा रहा है क्योंकि वो आलोचनात्मक आवाज उठाते हैं।” शरजील के समर्थकों की गुहार – “निष्पक्ष सुनवाई होनी चाहिए।” राजनीतिक दल? उनका तो हमेशा की तरह बँटा हुआ स्टैंड – कुछ कह रहे हैं “मानवाधिकारों का हनन”, तो कुछ की माँग – “कानून व्यवस्था के नाम पर सख्त कार्रवाई हो।” सच्चाई जो भी हो, पर बहस तो जोरों पर है।
अब क्या? कोर्ट का फैसला किस राह पर ले जाएगा मामले को
अब सबकी नजरें हाईकोर्ट पर टिकी हैं। अगर जमानत मिल गई? तो ये आरोपियों के लिए बड़ी राहत होगी। नहीं मिली? तो फिर UAPA के तहत ट्रायल शुरू होगा – और वहाँ तो सजा की संभावना काफी बढ़ जाती है। पर ये फैसला सिर्फ इन दोनों तक सीमित नहीं रहेगा। पूरे देश में UAPA के तहत चल रहे दूसरे केसेस पर भी इसका असर पड़ेगा। और सबसे बड़ी बात – ये नागरिक अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच की उस बहस को फिर से जन्म देगा, जो आजकल हर कोई कर रहा है। क्या है सही बैलेंस? शायद यही केस एक नई बहस की शुरुआत कर दे।
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HC का फैसला – क्या कहा गया, क्या छूट गया?
देखिए, High Court (HC) ने तो इस केस में एक बड़ा ही दिलचस्प फैसला सुनाया है। Court ने SG (Solicitor General) की बात को गंभीरता से लिया – और यही तो मुख्य बात है! सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया गया, लेकिन साथ ही कुछ ऐसे दिशा-निर्देश भी दिए जो आने वाले दिनों में मामले को नई दिशा दे सकते हैं।
SG की चेतावनी – सिर्फ़ डराने वाली बात या असली चिंता?
अब यहाँ SG ने जो कहा, वो सुनकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे। उन्होंने साफ़ कहा – अगर इन 58 गवाहों (witnesses) के बयानों को ठीक से नहीं देखा गया, तो पूरी जांच ही पानी में जा सकती है! और ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। Evidence को proper तरीके से analyze करना कितना ज़रूरी है, ये तो वकील भी मानेंगे।
58 गवाहों के बाद – अब क्या? रुकें या आगे बढ़ें?
तो अब स्थिति ये है कि Court इन सभी statements को ध्यान से परखेगी। और फिर? हो सकता है कुछ नए आदेश (orders) आएं, या फिर guidelines में बदलाव हो। पर एक बात तय है – ये केस अभी लंबा चलेगा। क्योंकि ऐसे मामलों में जल्दबाज़ी से काम नहीं चलता, है न?
SC तक जाएगा केस? सच्चाई या सिर्फ़ अफ़वाह?
ईमानदारी से कहूँ तो अभी तक Supreme Court (SC) जाने की कोई पुख़्ता बात नहीं है। लेकिन… हमेशा की तरह, अगर HC के फैसले से कोई खुश नहीं होता (और ऐसा होता ही है!), तो SC का दरवाज़ा खटखटाया जा सकता है। Legal process अपना काम करेगी – धीरे पर सही।
एक बात और – ये सब सुनकर आपको क्या लगता है? कमेंट में बताइएगा ज़रूर!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com