105 KM पैदल चलकर भोलेनाथ से मांगी बेटी की मनोकामना – ये कहानी आपको रुला देगी!
सावन का महीना है न, तो भक्तों के जज्बात देखने लायक होते हैं। पर इस बार देवघर के कावरिया पथ पर एक ऐसी घटना हुई जिसने सबका ध्यान खींच लिया। बिहार के मिथिलेश नाम के एक शख्स ने अपनी बीमार भतीजी के लिए वो किया जो आजकल के दौर में शायद ही कोई करे। 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा! और सिर्फ इतना ही नहीं – कमर पर लकड़ी की गाड़ी बांधकर, हाथ में भतीजी की तस्वीर लेकर चले। सच कहूं तो, ये किसी फिल्म की सीन जैसा लगता है, लेकिन ये असल जिंदगी की कहानी है।
“चाचा नहीं, मेरे लिए तो वो भगवान हैं” – भतीजी की आंखों से बहते आंसू
मिथिलेश जी की कहानी सुनकर एक बात तो समझ आती है – प्यार और आस्था की कोई सीमा नहीं होती। वो एक साधारण किसान हैं, मगर दिल के कितने बड़े! पिछले कई सालों से उनकी भतीजी गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया था। ऐसे में उन्होंने भोले बाबा से मन्नत मांगी – “बाबा, अगर मेरी बिटिया ठीक हो जाए, तो मैं देवघर तक कावड़ लेकर जाऊंगा।” और फिर क्या? भतीजी की हालत में सुधार होने लगा। अब चाचा ने अपना वादा निभाने का वक्त समझा। क्या आप कल्पना कर सकते हैं? एक बूढ़े आदमी का ये जज्बा…
लकड़ी की गाड़ी, भतीजी की तस्वीर और एक अधूरी मन्नत
असल में ये सिर्फ 105 KM की यात्रा नहीं थी। हर कदम पर एक चाचा की चिंता, एक भक्त की आस्था और एक इंसान की हिम्मत की कहानी थी। मिथिलेश जी ने पारंपरिक तरीके से लकड़ी की गाड़ी बांधी, गंगाजल का कलश संभाला और सबसे खास – अपनी भतीजी की तस्वीर साथ रखी। सोचिए, रास्ते में कितनी तकलीफ हुई होगी? लेकिन जब लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया, तो वो और मजबूत होते गए। एकदम प्रेरणादायक!
सोशल मीडिया पर छाई एक चाचा की मोहब्बत
आजकल जहां नकली चीजें viral होती हैं, वहीं मिथिलेश जी की सच्ची श्रद्धा ने लोगों के दिल छू लिए। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गईं। लोग कमेंट्स में लिख रहे हैं – “आज के दौर में ऐसी श्रद्धा दुर्लभ है।” परिवार वालों ने बताया कि ये सिर्फ एक मन्नत नहीं, बल्कि पूरे घर की आस्था का प्रतीक बन गया है। और सच कहूं? ऐसी खबरें सुनकर फिर से इंसानियत पर भरोसा हो आता है।
देवघर पहुंचकर पूरी हुई मन्नत, पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती
अब मिथिलेश जी देवघर पहुंच चुके हैं। भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे, भतीजी की सेहत की दुआ मांगेंगे। लेकिन देखा जाए तो उनकी ये यात्रा कहीं बड़ा संदेश दे गई है। आने वाले सावन में और भी लोग ऐसी ही मन्नतें लेकर निकलेंगे। ये कहानी साबित करती है कि जब दिल सच्चा हो और नीयत साफ, तो भगवान भी रास्ता दिखा देते हैं।
अंत में बस इतना – मिथिलेश जी ने साबित किया कि रिश्तों की डोर कितनी मजबूत हो सकती है। एक चाचा का प्यार, एक भक्त की श्रद्धा और एक इंसान की हिम्मत – ये तीनों मिलकर क्या नहीं कर सकते? सच में, कभी-कभी लगता है कि भगवान ऐसे लोगों के रूप में ही हमारे बीच आते हैं।
105 KM पैदल चलकर भोलेनाथ से मांगी मनोकामना – जानिए पूरी कहानी
1. किसी ने सच में 105 KM पैदल चलकर मन्नत मांगी? क्यों?
देखिए, ये कहानी तो कुछ ऐसी है – एक चाचा जी ने अपनी भतीजी के लिए ये असंभव सी लगने वाली यात्रा की। सच कहूं तो मैं भी पहले थोड़ा संशय में था, लेकिन फिर सोचा – जब श्रद्धा हो तो भगवान तक पहुंचने के रास्ते खुद बन जाते हैं। चाचा जी ने भतीजी की तस्वीर को सीने से लगाए पूरे 105 KM का सफर तय किया। क्या बात है न?
2. ये सब कहां हुआ? कौन सा मंदिर है ये?
अभी तक exact location के बारे में पक्की जानकारी नहीं मिली है। मगर सुनने में आया है कि ये किसी छोटे से शहर के शिव मंदिर में हुआ। Social media पर तो ये वायरल हो ही रहा है, लेकिन आप जानते ही हैं न कि इन दिनों हर चीज का hype बन जाता है। हालांकि, चाचा जी की श्रद्धा में तो कोई शक नहीं!
3. सवाल तो ये उठता है – क्या मन्नत पूरी हुई?
ईमानदारी से कहूं तो अभी तक कोई official update नहीं आया। पर हम भारतीय तो जानते ही हैं – भगवान शिव भोले हैं, लेकिन उनका समय हमेशा अपना ही होता है। भक्तों का विश्वास है कि जरूर पूरी होगी। आखिर 105 KM की यात्रा तो कोई मजाक थोड़े ही है!
4. सुनिए, ऐसी लंबी पैदल यात्रा करना कितना safe है?
अरे भई, यहां तो बात ही अलग है। एक तरफ तो भक्ति का जज्बा है, लेकिन दूसरी तरफ reality भी तो देखनी होगी। बिना proper preparation के तो मैं आपको ऐसा करने की सलाह नहीं दूंगा। Hydration, proper shoes, first-aid – ये सब तो बेसिक चीजें हैं। वैसे भी, भगवान तक पहुंचने के और भी तरीके हैं न? Safety first, हमेशा याद रखिएगा।
क्या आप भी कभी ऐसी किसी मन्नत के लिए इतनी लंबी यात्रा करेंगे? कमेंट में जरूर बताइएगा!
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com