Unilever ने Ben & Jerry’s के लिए नया CEO चुना, लेकिन क्या यह सिर्फ एक कठपुतली की नियुक्ति है?
तो खबर ये है कि Unilever ने Ben & Jerry’s के नए CEO के तौर पर Jochanan Senf को लगाया है। अब ये Jochanan कोई नए शख्स नहीं हैं – बल्कि Unilever के पुराने खिलाड़ी हैं। मजे की बात ये है कि ये नियुक्ति ठीक उस वक्त हुई है जब Ben & Jerry’s के स्वतंत्र बोर्ड और Unilever के बीच “तू मेरा या मैं तेरा” वाली लड़ाई चल रही है। देखा जाए तो ये साफ-साफ Unilever का Ben & Jerry’s पर अपनी पकड़ मजबूत करने का चाल है। पर सवाल ये उठता है – क्या अब Ben & Jerry’s वही रहेगा जिसे हम जानते हैं?
पूरा माजरा क्या है? एक कहानी दो धड़ों की
असल में Ben & Jerry’s को Unilever ने 2000 में खरीदा था, लेकिन ये कोई आम कंपनी नहीं। ये तो वो आइसक्रीम वाला है जिसने हमेशा अपनी सामाजिक और राजनीतिक राय रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इनका अपना एक स्वतंत्र बोर्ड है जिसका काम है कंपनी के मूल्यों की हिफाजत करना। पर पिछले कुछ समय से Unilever और ये बोर्ड आपस में भिड़े हुए हैं – खासकर इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर। Ben & Jerry’s ने तो इजरायली बस्तियों में अपनी आइसक्रीम बेचने से मना कर दिया था! बस फिर क्या था – Unilever के तलवे में छाले हो गए। उनके बिजनेस इंटरेस्ट्स को ठेस पहुंची थी।
नया CEO: Unilever का ‘हाँ मैं हूँ’ वाला आदमी?
अब इस Jochanan Senf को देखिए – सालों से Unilever के लिए काम कर रहे हैं। क्या ये सच में Ben & Jerry’s के मूल्यों को आगे बढ़ाएंगे, या फिर Unilever के इशारों पर नाचेंगे? बोर्ड के कुछ लोगों को डर है कि ये नियुक्ति कंपनी की आजादी पर हमला है। Unilever वाले तो कह रहे हैं कि ये ग्लोबल ग्रोथ के लिए अच्छा है, पर सच क्या है? ईमानदारी से कहूं तो ये लगता है जैसे कोई बड़ा भाई छोटे भाई पर नजर रखने के लिए अपना आदमी बिठा रहा हो।
लोग क्या कह रहे हैं? और क्या होगा अब?
एक्सपर्ट्स की राय? ये तो टग ऑफ वॉर जैसा हो गया है। कुछ कह रहे हैं कि Unilever Ben & Jerry’s की आजादी छीनना चाहता है, तो कुछ इसे सिर्फ बिजनेस समझ रहे हैं। पर असली सवाल तो ये है कि Ben & Jerry’s के फैंस क्या सोचते हैं। ये वो लोग हैं जो सिर्फ आइसक्रीम नहीं, बल्कि कंपनी के सिद्धांत भी खरीदते हैं। अगर उन्हें लगा कि कंपनी अपने रास्ते से भटक रही है… तो बस! बाय-बाय कस्टमर्स!
अब क्या? आइसक्रीम या सिद्धांत – किसे चुनेगा Ben & Jerry’s?
तो अब देखना ये है कि नया CEO किसकी सुनता है – Unilever के पैसों की, या फिर Ben & Jerry’s के दिल की? बोर्ड और Unilever के बीच ये टेंशन और बढ़ेगी, ये तो तय है। और अगर ये झगड़ा बढ़ा, तो Ben & Jerry’s की छवि को तो नुकसान पहुंचेगा ही। सच कहूं तो ये मामला सिर्फ आइसक्रीम से ज्यादा बड़ा हो चुका है – ये तो अब सिद्धांतों की लड़ाई बन गई है। क्या होगा आगे? हमें भी इंतज़ार है… आप भी बने रहिए हमारे साथ!
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Unilever और Ben & Jerry’s विवाद: जानिए पूरी कहानी, आपके सवालों के जवाब
1. Unilever ने Ben & Jerry’s के नए CEO क्यों चुने? असल में क्या चल रहा है?
देखिए, Unilever का ये मूव थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन इसमें उनकी मंशा साफ है। कंपनी चाहती है कि Ben & Jerry’s को अपने तरीके से मैनेज किया जाए। पर सवाल ये है कि क्या ये फैसला सही था? खैर, ये पूरा मामला स्वतंत्र बोर्ड वाले विवाद के बाद आया है। थोड़ा पेचीदा है, पर समझते हैं।
2. स्वतंत्र बोर्ड (Independent Board) वाला विवाद क्या है? और ये इतना बड़ा मुद्दा क्यों बन गया?
असल में Ben & Jerry’s का ये Independent Board कंपनी के सोशल मिशन का रखवाला है। जैसे कोई चौकीदार। अब Unilever ने जब नया CEO लगाया, तो बोर्ड को लगा कि उनकी आवाज़ दबाई जा रही है। और सच कहूं तो, ये डर बिल्कुल वाजिब भी है। क्योंकि जब बड़ी कंपनियां छोटे ब्रांड्स को खरीदती हैं, तो ऐसे टकराव तो होते ही हैं।
3. सबसे बड़ा सवाल: क्या Ben & Jerry’s की इमेज को नुकसान पहुंचेगा?
अब यहां चिंता की बात है। Ben & Jerry’s सिर्फ आइसक्रीम बेचने वाली कंपनी नहीं है, ये तो एक विचार बेचती है। Social values उसकी पहचान हैं। अगर ये लगेगा कि Unilever उसकी आत्मा को बदल रहा है, तो कस्टमर्स का भरोसा टूट सकता है। और भरोसा… वो तो एक बार जाने के बाद वापस लाना मुश्किल होता है।
4. आगे क्या? क्या ये झगड़ा शांत होगा या और बढ़ेगा?
ईमानदारी से कहूं तो अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। दोनों तरफ से बातचीत चल रही है, ये अच्छी बात है। पर कॉर्पोरेट दुनिया में ऐसे मामले कभी जल्दी सुलझते हैं, कभी लंबा खिंच जाते हैं। एक तरफ तो Unilever का पैसा और दबदबा है, दूसरी तरफ Ben & Jerry’s की वफादार कम्युनिटी। देखते हैं कौन जीतता है। या फिर कोई मध्यमार्ग निकल आता है।
Source: WSJ – US Business | Secondary News Source: Pulsivic.com