उन्नाव हत्याकांड: फोन कर बुलाया गया युवक लापता, गंगा एक्सप्रेसवे पाइप में मिला शव
बिहार के फतुहा में एक ऐसा मामला सामने आया है जो सुनकर रूह कांप जाती है। सोचिए, किसी को फोन पर बुलाया जाए और फिर… उसकी हत्या कर दी जाए? ये कोई फिल्म का सीन नहीं, बल्कि सच्चाई है। मामला प्रेम संबंधों को लेकर हुई हिंसा का है, जो अब तक के कई केसों की तरह ही दुखद अंत लेकर आया। सबसे हैरानी की बात तो ये कि लड़की के ही परिवार वालों पर शक है – क्या ये सच में हो सकता है? पुलिस ने तीन लोगों को पकड़ा है, और एक नाबालिग लड़की को भी हिरासत में लिया गया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल – लाश कहाँ है? परिवार तो पुलिस पर आरोप लगा रहा है कि वो लापरवाही बरत रही है।
असल में पूरा मामला क्या है? देखिए, युवक बांकीपुर मच्छरियावा का रहने वाला था और एक लड़की से प्यार करता था। अब यहाँ से कहानी वही पुरानी रागिनी शुरू होती है – लड़की के घर वालों को ये रिश्ता पसंद नहीं आया। लेकिन इतना भी नहीं सहा गया कि उसे फोन कर बुलाया और… खत्म कर दिया। और फिर क्या? शव को गंगा एक्सप्रेसवे के पास एक पाइप में छुपा दिया गया! सच कहूँ तो ये सुनकर मन में एक ही सवाल आता है – इंसानियत कहाँ चली गई? पुलिस वहाँ तलाशी कर रही है, पर अभी तक कुछ हाथ नहीं लगा।
अब तक क्या हुआ है? पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है – जिनमें लड़की के रिश्तेदार भी शामिल हैं। एक नाबालिग लड़की भी हिरासत में है। पर सच्चाई ये है कि बिना शव के केस कमजोर पड़ सकता है। पीड़ित परिवार का कहना है कि अगर पुलिस ने जल्दी कार्रवाई की होती, तो शायद आज नतीजा अलग होता। सवाल ये भी उठता है कि क्या सच में पुलिस ने लापरवाही की? या फिर ये केस इतना पेचीदा है कि जल्दी सुलझ नहीं रहा?
इस मामले ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। पीड़ित के परिवार का दर्द साफ झलकता है जब वो कहते हैं, “हमारे बेटे को धोखे से मारा गया।” और पुलिस की प्रतिक्रिया? वो भी स्टैंडर्ड – “हम गंभीरता से जाँच कर रहे हैं।” स्थानीय नेताओं ने इसे ‘जघन्य अपराध’ बताया है। पर सवाल ये है कि सिर्फ बयानबाजी से क्या होगा? एक जवान की जान चली गई है – क्या उसे न्याय मिल पाएगा?
तो अब आगे क्या? पुलिस फॉरेंसिक जाँच और शव की तलाश में जुटी है। लेकिन ये मामला सिर्फ एक हत्या का केस नहीं, बल्कि समाज के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या प्रेम करना अपराध है? क्या परिवार के नाम पर हत्या जायज है? और सबसे बड़ी बात – क्या हमारी कानून व्यवस्था इतनी कमजोर है कि ऐसे अपराधी बार-बार दोहराते हैं ये सब? अभी तो सबकी निगाहें पुलिस पर टिकी हैं – देखना ये है कि ये केस किस दिशा में जाता है। एक बात तो तय है – इस मामले ने फिर से युवाओं की सुरक्षा और ‘ऑनर किलिंग’ जैसी बीमारियों पर बहस छेड़ दी है। सच कहूँ तो, ये बहस बहुत जरूरी है।
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उन्नाव हत्याकांड… सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं, है न? एक मेडिकल स्टोर चलाने वाले की रहस्यमय हत्या और फिर उसका शव गंगा एक्सप्रेसवे के पाइप में मिलना – ये सब पढ़कर सोचने पर मजबूर हो जाता हूं कि हम किस दिशा में जा रहे हैं। असल में, ये सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि अपराध की बढ़ती बर्बरता का एक और नमूना है।
तो अब सवाल यह उठता है – क्या हमारी कानून व्यवस्था इतनी कमजोर हो गई है? मतलब, ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं होती? लोगों का भरोसा टूट रहा है, और ये चिंता सिर्फ सुरक्षा को लेकर नहीं, बल्कि हमारे सिस्टम पर भी सवाल खड़ा करती है।
एक तरफ तो हम ‘डिजिटल इंडिया’ की बात करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ ऐसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि बुनियादी सुरक्षा अभी भी एक बड़ा सवाल है। ईमानदारी से कहूं तो, जब तक जांच पारदर्शी नहीं होगी और दोषियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी, तब तक ऐसे मामले बढ़ते ही रहेंगे। सच कहूं तो, ये उतना ही ज़रूरी है जितना कि सांस लेना। वरना, जनता का भरोसा? खत्म हो जाएगा। एकदम।
Source: News18 Hindi – Nation | Secondary News Source: Pulsivic.com